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बेबस आत्मा

*"""""""'"""बेबस-आत्मा""'''''''''''''*        *आज इस कलयुग के दौर में हमारी आत्मा इतनी कमजोर हो गई है की वह मन से लड़ने की सारी शक्त्ति खो चुकी है क्योंकि उसे हमेशा मन और इन्द्रियों के इशारों पर नाचना पड़ता है इसलिए आज ऐसी "बेबस-आत्मा" दुनिया के प्रलोभनों(विकारों)का सामना नही कर पाती वह मन और इन्द्रियों के हाथों का खिलौना बन चुकी है वह काम-क्रोध आदि दुश्मनों की फौज द्वारा कैद हो चुकी है इसलिए जब-तक उसके सिर से एक-एक करके सब बेड़ियाँ तोड़ नही फेंकते और जब-तक इसे काल की कोठरी से निकाल नही लेते और जब-तक इसे किसी कामिल मुर्शिद की शरण में नही लाते तब-तक यह अपने खोये हुए वैभव को कैसे प्राप्त कर सकती है?इसलिए जब-तक इन्सान पूरे गुरु की रहनुमाई में अपनी आत्मा को नौ द्वारों से समेत नही लेता तब-तक आत्मा पर चढ़ी भारी बेड़ियाँ को वह कैसे उतार सकता है?और उसे मन -माया से कैसे परास्त करा सकता है?.......*

કર્મ શું છે

कर्म क्या है....? 〰️〰️🌼〰️〰️    कर्मों को एक वर्गीकरण के अनुसार  तीन प्रकार का बताया गया है।  ये तीन प्रकार है-- 1. कायिक 〰️〰️〰️ कायिक कर्म उन कर्मों को कहा जाता है जो काया या शरीर द्वारा किये जाते है।  2. वाचिक  〰️〰️〰️ जो कर्म वचन या वाणी द्वारा किये जाते है उन्हें वाचिक कर्म कहा जाता है। 3. मानसिक 〰️〰️〰️〰️ मन से सम्पन्न होने वाले कर्म मानसिक कर्म कहलाते है।  इससे भिन्न गीता मे क्रमशः 3 प्रकार के कर्म का उल्लेख किया गया है।  1. सात्विक कर्म  〰️〰️〰️〰️〰️ जो कर्म शास्त्र विधि से नियत किया हुआ और कर्तापन से अभिमान से रहित, फल को न चाहने वाले पुरुष द्वारा बिना राग द्वेष से किया हुआ है वह कर्म सात्विक कर्म कहा जाता है (गीता 18:24)।  2. राजस कर्म  〰️〰️〰️〰️〰️ जो कर्म बहुत परिश्रम से युक्त है तथा फल को चाहने वाले अहंकार युक्त पुरूष द्वारा किया जाता है, वह कर्म राजस कर्म कहलाता है। (गीता 18:25)  3. तामसिक कर्म  〰️〰️〰️〰️〰️ जो कर्म परिणाम हानि, हिंसा और सामर्थ्य को न विचारकर केवल अज्ञान से आरंभ किया जाता है, वह कर्म तामस कर्म कहा जात...

મંત્ર શકિત દ્વારા આપડું જીવન બદલો

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*🕉️मंत्र जप से बदल सकता है जीवन🕉️*  कभी भी आपके मन-मस्तिष्क  में यह बात आई है कि मंत्रों का क्या और कितना महत्व है..?  मंत्रों की शक्ति और उनके हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में अक्सर हम सुनते रहते हैं, लेकिन शायद ही कभी हमने हेल्थ और मंत्र के साइंटिफिक कनेक्शन को जानने की कोशिश की हो.! अगर हम मंत्रों के हेल्थ कनेक्शन को जान जाएंगे, तो ज़ाहिर है उन्हें बेहतर तरी़के से अपने जीवन में अपनाकर हेल्दी और बेहतर ज़िंदगी जी सकेंगे। 👉वैसे तो हमारे ऋषि मुनि व संतों ने मंत्रों के बारे में लाखों वर्ष पूर्व ही काफी कुछ बताया है। हमारे सनातन धर्म ग्रंथों में मंत्रों पर काफी विस्तार से वर्णन है।और आज विज्ञान भी इसी तर्ज पर अपना रिसर्च करके मंत्रों की प्रभाव को पूरी तरह स्वीकार करने लगा है। 👉हमारे पौराणिक ग्रंथों में व ज्योतिष शास्त्रों में मंत्रों पर काफी विस्तृत जानकारियां उपलब्ध है। सही मंत्र जप से सजीव व निर्जीव दोनों तरह के पदार्थों को प्रभावित किया जा सकता है। 👉मंत्रों से पांचों तत्वों आकाश, अग्नि, वायु, पृथ्वी व जल को पूर्ण रूप से प्रभावित कर सकते हैं और मंत्रों द्वारा दैवीय शक्तियों ...

આસન નું મહત્વ જાણો.

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पूजा आदि कर्म में आसन का महत्त्व 🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼 हमारे महर्षियों के अनुसार जिस स्थान पर प्रभु को बैठाया जाता है, उसे दर्भासन कहते हैं  और जिस पर स्वयं साधक बैठता है, उसे आसन कहते हैं।  योगियों की भाषा में यह शरीर भी आसन है और प्रभु के भजन में इसे समर्पित करना सबसे बड़ी पूजा है।  *जैसा देव वैसा भेष* वाली बात भक्त को अपने इष्ट के समीप पहुंचा देती है । कभी जमीन पर बैठकर पूजा नहीं करनी चाहिए, ऐसा करने से पूजा का पुण्य भूमि को चला जाता है।  नंगे पैर पूजा करना भी उचित नहीं है। हो सके तो पूजा का आसन व वस्त्र अलग रखने चाहिए जो शुद्ध रहे।  लकड़ी की चैकी, घास फूस से बनी चटाई, पत्तों से बने आसन पर बैठकर भक्त को मानसिक अस्थिरता, बुद्धि विक्षेप, चित्त विभ्रम, उच्चाटन, रोग शोक आदि उत्पन्न करते हैं।  अपना आसन, माला आदि किसी को नहीं देने चाहिए, इससे पुण्य क्षय हो जाता है।  *निम्न आसनों का विशेष महत्व है। 🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃🌼🍃 कंबल का आसन:👉 कंबल के आसन पर बैठकर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। लाल रंग का कंबल मां भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए तो...

સુદર્શન ચક્ર સ્તોત્ર પાઠ

सुदर्शन चक्र स्तोत्र || Sudarshana Chakra Stotram सुदर्शनचक्र के इस महत्पुण्यशाली स्तोत्र का जो मनुष्य परम भक्ति से पाठ करता है, उसके ग्रहदोष और रोगादि सभी कष्ट विनष्ट हो जाते हैं और वह विष्णुलोक को प्राप्त करता है। श्रीसुदर्शनचक्रस्तोत्रम् अथवा सुदर्शनपूजाविधिः सुदर्शनचक्र-पूजा-विधि रुद्र उवाच । सुदर्शनस्य पूजां मे वद शङ्खगदाधर । ग्रहरोगादिकं सर्वं यत्कृत्वा नाशमेति वै ॥ १॥ रुद्र ने कहा-हे शङ्ख-गदाधर ! उस सुदर्शन की पूजा के विषय में मुझे बतायें, जिसे करने से ग्रहदोष और रोगादि सभी कष्ट विनष्ट हो जाते हैं। हरिरुवाच । सुदर्शनस्य चक्रस्य श्रृणु पूजां वृषध्वज । स्नानमादौ प्रकुर्वीत पूजयेच्च हरिं ततः ॥ २॥ मूलमन्त्रेण वै न्यासं मूलमन्त्रं श्रृणुष्व च । सहस्रारं हुं फट् नमो मन्त्रः प्रणवपूर्वकः ॥ ३॥ कथितः सर्वदुष्टानां नाशको मन्त्रभेदकः । ध्यायेत्सुदर्शनं देवं हृदि पद्मेऽमले शुभे ॥ ४॥ शङ्खचक्रगदापद्मधरं सौम्यं किरीटिनम् । आवाह्य मण्डले देवं पूर्वोक्तविधिना हर ॥ ५॥ पूजयेद्गन्धपुष्पाद्यैरुपचारैर्महेश्वर । पूजयित्वा जपेन्मन्त्रं शतमष्टोत्तरं नरः ॥ ६॥ एवं यः कुरुते रुद्र चक्रस्यार्चनमुत्तमम् । सर...

ભગવાન શિવ ના અવતારો.

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भगवान शिव के 14 अवतार  🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का वर्णन मिलता है, लेकिन बहुत ही कम लोग इन अवतारों के बारे में जानते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के 19 अवतार हुए थे। आइए जानें शिव के 19 अवतारों के बारे में। 1- वीरभद्र अवतार 🔸🔸🔹🔹🔸🔸 भगवान शिव का यह अवतार तब हुआ था, जब दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने अपनी देह का त्याग किया था। जब भगवान शिव को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने क्रोध में अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे रोषपूर्वक पर्वत के ऊपर पटक दिया। उस जटा के पूर्वभाग से महाभंयकर वीरभद्र प्रगट हुए। शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काटकर उसे मृत्युदंड दिया। 2- पिप्पलाद अवतार 🔸🔸🔹🔹🔸🔸 मानव जीवन में भगवान शिव के पिप्पलाद अवतार का बड़ा महत्व है। शनि पीड़ा का निवारण पिप्पलाद की कृपा से ही संभव हो सका। कथा है कि पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा- क्या कारण है कि मेरे पिता दधीचि जन्म से पूर्व ही मुझे छोड़कर चले गए? देवताओं ने बताया शनिग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना। पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्...

અમાવસ્યા ભોજન

*अमावास्यां नरा ये तु परान्नमुपभुञ्जते ।*  *तेषां मासकृतं पुण्यमन्नदातुः प्रदाप्यते ।।*  *षण्मासमयने भुङ्क्ते त्रीन्मासान् विषुवे स्मृतम् ।*  *वर्षैर्द्वादशभिश्चैव यत्पुण्यं समुपार्जितम्।।*  *तत सर्वं विलयं याति भुक्त्वा सूर्येन्दुसम्प्लवे ।*       _स्कन्दपुराण, प्रभासखण्ड २००/११-१३_ "जो मनुष्य *अमावस्या* को दूसरे का अन्न खाता है, उसका *महीने भर का* किया हुआ पुण्य अन्नदाता को मिल जाता है। इसी प्रकार *अयनारम्भ* के दिन दूसरे का अन्न खाये तो *छः महीनों* का और *विषुवकाल* (जब सूर्य मेष अथवा तुला राशिपर आये) में दूसरे का अन्न खाने से *तीन महीनों* का पुण्य चला जाता है। *चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण* के अवसर पर दूसरे का अन्न खाये तो *बारह वर्षों से एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो* जाता है। *संक्रान्ति के दिन* दूसरे का अन्न खाने से *महीने भर से अधिक* समय का पुण्य चला जाता है।" 🌳

માનવ શરીર નો સંરચના.

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क्या आप इस शरीर के रहस्य को वैदिक रूपसे जानते है?  यह ब्रह्माण्ड है, वैसा ही यह शरीर भी बताया गया है | भगवान् सूर्य बोले – वत्स कमठ ! तुम्हारी बुद्धि तो वृद्धों जैसी है | तुम बहुत अच्छा प्रतिपादन कर रहे हो | अब मैं तुमसे शरीर का लक्षण सुनना चाहता हूँ; उसे बताओ | कमठ ने कहा – विप्रवर ! जैसा यह ब्रह्माण्ड है, वैसा ही यह शरीर भी बताया गया है | पैरों का मूल (तलवा) पातळ है, पैरों का उपरी भाग रसातल है, दोनों गुल्फ तलातल हैं, दोनों पिंडलियों को महातल कहा गया है, दोनों घुटने सुतल, दोनों ऊरू ( जांघ) तथा कटिभाग अतललोक है | नाभि को भूलोक, उदार को भुवर्लोक, वक्षःस्थल को स्वर्गलोक, ग्रीवा को महर्लोक और मुख को जनलोक कहते हैं | दोनों नेत्र तपोलोक है तथा मस्तक को सत्यलोक कहा गया है | जैसे पृथ्वी पर सात द्वीप स्थित हैं, उसी प्रकार इस शरीर में सात धातुएं हैं, उनके नाम सुनिए – त्वचा, रक्त, मांस, मेदा, हड्डी, मज्जा और वीर्य – ये सात धातुएं हैं | शरीर में तीन सौ साठ हड्डियाँ हैं तथा तीस लाख छप्पन हजार नौ नाड़ियाँ बतायी गयी हैं | जैसे नदियाँ इस पृथ्वी पर जल बहाती हैं, उसी प्...

South Sea Pearl

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South Sea Pearl  मोती  रत्न जन्मपत्री ग्रह अनुसार लाभ हानि         सादगी, पवित्रता और कोमलता की निशानी माने जाने वाला मोती एक चमत्कारी ज्योतिषीय रत्न माना जाता है। इसे मुक्ता, शीशा रत्न और पर्ल (Pearl) के नाम से भी जाना जाता है। मोती सिर्फ एक रंग का ही नहीं होता बल्कि यह कई अन्य रंगों जैसे गुलाबी, लाल, हल्के पीले रंग का भी पाया जाता है। मोती, समुद्र के भीतर स्थित घोंघे नामक कीट में पाए जाते  मोती के तथ्य (Facts of Moti or Pearl in Hindi) * मोती के बारे में बताया जाता है कि यह रत्न, बाकी रत्नों से कम समय तक ही चलता है क्योंकि यह रत्न रूखेपन, नमी तथा एसिड से अधिक प्रभावित हो जाता है। * प्राचीनकाल में मोती (Pearl or Moti) को सुंदरता निखारने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता था तथा इसे शुद्धता का प्रतीक माना जाता था। मोती के लिए राशि (Moti for Cancer Rashi)कर्क राशि के जातकों के लिए मोती धारण करना अत्याधिक लाभकारी माना जाता है । चन्द्रमा से जनित बीमारियों और पीड़ा की शांति के लिए मोती धारण करना लाभदायक माना जाता है। मोती के फायदे (Benefits of P...

what is bhadra

What's is bhadra (vishti) Bhadra is considered bad for most auspicious activities hence it is excluded more god mugurut timing. મોટાભાગના શુભ કાર્યો માટે ભદ્રાને અશુભ માનવામાં આવે છે તેથી તે વધુ સારા મુહૂર્ત સમયને બાકાત રાખવામાં આવે છે. अशुभ माना जाता है? * जानिए भद्रा की शुभता एवं अशुभता एवं महत्व    किसी भी मांगलिक कार्य में भद्रा योग का विशेष ध्यान रखा जाता है, क्योंकि भद्रा काल में मंगल-उत्सव की शुरुआत या समाप्ति अशुभ मानी जाती है अत: भद्रा काल की अशुभता को मानकर कोई भी आस्थावान व्यक्ति शुभ कार्य नहीं करता। इसलिए जानते हैं कि आखिर क्या होती है भद्रा? और क्यों इसे अशुभ माना जाता है?   पुराणों के अनुसार भद्रा भगवान सूर्यदेव की पुत्री और राजा शनि की बहन है। शनि की तरह ही इसका स्वभाव भी कड़क बताया गया है। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने के लिए ही भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टि करण में स्थान दिया। भद्रा की स्थिति में कुछ शुभ कार्यों, यात्रा और उत्पादन आदि कार्यों को निषेध माना गया किंतु भद्रा काल में तंत्र कार्य, अदालती और राजनीतिक चुनाव का...

history of Maharana pratap singh

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"महाराणा प्रताप के आदर्श थे उनके पितामह राणा सांगा" प्रताप को बाल्यकाल में सदा यही बात खटकती रहती थी कि भारतभूमि विदेशियों की दासता की हथकड़ी और बेड़ी में सिसक रही है । वे स्वदेश की मुक्ति-योजना में सदा चिन्तनशील रहते थे ।  प्रताप बड़े साहसी बालक थे। स्वतन्त्रता और वीरता के भाव उनके रग-रग में भरे हुए थे। कभी-कभी बालक प्रताप घोड़े की पीठ से उतरकर बड़ी श्रद्धा और आदर से महाराणा कुम्भा के विजयस्तम्भ की परिक्रमा कर तथा मेवाड़ की पवित्र धूलि मस्तक पर लगाकर कहा करते थे कि "मैंने वीर क्षत्राणी का दुग्ध पान किया है, मेरे रक्त में महाराणा साँगा का ओज प्रवाहित है। हे चित्तौड़ के विजय स्तम्भ ! मैं तुमसे स्वतन्त्रता और मातृ-भूमि-भक्ति की शपथ लेकर कहता हूँ, विश्वास दिलाता हूँ कि तुम सदा उन्नत और सिसौदिया-गौरवके विजय प्रतीक बने रहोगे। शत्रु तुम्हें अपने स्पर्शसे मेरे रहते अपवित्र नहीं कर सकते।" बालक प्रतापके सामने सदा राणा साँगाका आदर्श रहता था । वे प्रायः श्रद्धाञ्जलि समर्पित करते समय कहा करते थे कि 'मैं महाराणा साँगाके अधूरे कार्यको अवश्य पूरा करूंगा । उनके दिल्ली- विजय स्व...

पा शांकुशा एकादशी।। ekadashi

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બ્રહ્માંડ પુરાણમાં યુધિષ્ઠિરને શ્રીકૃષ્ણે પાસાંકુશા એકાદશીનું માહાત્મ્ય કહ્યું છે, જે આ વ્રત કરે છે તે આવા ફળ મેળવે છે. “પાસાંકુશા એકાદશી” પાસાંકુશા / પાશાંકુશા અથવા પાપાંકુશા એકાદશી આસો માસમાં શુકલ પક્ષમાં આવે છે. તેનું માહાભ્ય બ્રહ્મ વૈવર્ત પુરાણમાં ભગવાન શ્રીકૃષ્ણ અને મહારાજ યુધિષ્ઠિર વચ્ચેની વાતચીતમાં વર્ણવાયું છે. આ વર્ષે આ એકાદશી 6 ઓક્ટોબર 2022 ના રોજ છે. યુધિષ્ઠિરે શ્રીકૃષ્ણને પૂછયું, ‘હે મધુસુદન, આસો માસના શુકલ પક્ષમાં આવતી એકાદશીનું નામ, મહત્ત્વ, વિધિ અને ફળ વિશે મને કહો.’ ભગવાન શ્રીકૃષ્ણે કહ્યું, ‘હે રાજન, આ એકાદશીનું નામ પાસાંકુશા અથવા પાપાંકુશા એકાદશી છે. આ એકાદશીનું માહાભ્ય સાંભળવાથી બધા પાપ નાશ પામે છે. આ એકાદશીએ દરેકે પદ્મનાથની પૂજા કરવી જોઈએ. આ એકાદશી મોક્ષ આપે છે, સ્વર્ગનું તમામ સુખ અને ઈચ્છિત ફળનું પ્રદાન કરે છે. વિષ્ણુનું સંકીર્તન કરવા માત્રથી જ પૃથ્વી પરના બધા પવિત્ર સ્થળોની યાત્રા કરવાથી જે પુણ્ય મળે તેટલું પુણ્ય મળે છે. પાપાચારી પ્રવૃત્તિઓ કરવા છતાં પણ જો માનવી વિષ્ણુ ભગવાનના શરણે જાય તો પાપમાંથી છુટકારો મળે છે. જે વૈષ્ણવો ભગવાન શિવની નિંદા...

सप्तमम कालरात्रि।

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पंचम स्कंद माता।। ध्यान मंत्र स्तोत्र महिमा।। शास्त्री जी भावनगर।।

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शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे । सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥४॥ शरणागतों, दिनों एवं पीड़ितों की रक्षा में संलग्न रहनेवाली तथा सबकी पीड़ा दूर करनेवाली नारायणी देवी ! आपको नमस्कार है ।🙏🙏।। Instagram account ।। follow

jay ambe। कुष्मांडा माता चतुर्थ दिन।।

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*🌞 🚩 । l ॐ l । 🚩 🌞* 🕉 ।। *श्री गणेशाय नमः* ।। 🕉  *सुप्रभातम् स्नेह वंदनम्*   🌐 *आज का पंचांग* 🌐  ⛳ *तिथि*....४ (चतुर्थी) 🌺 विनायक चतुर्थी 🌺 🍁 बिछुड़ा - रात्रि ११ः२५ से 🍁2️⃣9️⃣-0️⃣9️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ 🔔 *वार*.....गुरुवार 🦚 *नक्षत्र*....विशाखा 🪔 *योग*.....विष्कुम्भ 🍁 *करण*.....वणिज 🌅 *सूर्योदय* :- ६:३१ 🌌 *सूर्यास्त* :- ६:२८ 🌓 *पक्ष*........शुक्ल 🌝 *चन्द्र राशि*.....तुला/ रात्रि ११ः२५ से वृश्चिक 🌝 ⛱️ *ऋतु*.........शरद 🪷 *मास*..... *आश्विन* 🌍 *कलियुगाब्द*......५१२४ 🌎 *विक्रम संवत्*.....२०७८ 🌏 *शक संवत्*...... १९४४ 🌹 *अभिजीत मुहूर्त*....१२:०४ से १२:५२ 🌚 *राहुकाल*....०१:५८ से ०३:२८ तक ( शुभ कार्य वर्जित ) 🌻 *।। आपका दिन मंगलमय हो ।।* 🌻         🙏 ● *जय श्री कृष्ण* ● 🙏 ||ॐ || सहस्र शीर्षं देवं विश्वाक्षं विश्वशंभुवम् । विश्वै नारायणं देवं अक्षरं परमं पदम् ॥ विश्वतः परमान्नित्यं विश्वं नारायणं हरिम् । विश्वं एव इदं पुरुषः तद्विश्वं उपजीवति ॥ पतिं विश्वस्य आत्मा ईश्वरं शाश्वतं शिवमच्युतम् । नारायणं महाज्ञेयं ...

मधु और कैटभ का वध किसने किया?

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शंका समाधान मधु और कैटभ का वध किसने किया? श्री सप्तशती के प्रथम अध्याय में मधु और कैटभ दोनों भाईयों से विष्णु भगवान का युद्ध हुआ और उन्होंने दोनों को अपने जंघे पर स्थापित कर उनके मस्तक को चक्र से काट डाला -- कृत्वा चक्रेण वै छिन्ने जघने शिरसी तयोः। ठीक इसीके आगे लिखा है -- ब्रह्मा से स्तुत होनेके कारण देवी समुत्पन्न हुई और उसके प्रभाव से दोनों राक्षस मारे गये-- एवमेषा समुत्पन्ना ब्रह्मणा संस्तुता स्वयम्। प्रभावमस्या देव्यास्तु भूयः शृणु वदामि ते। ** भगवान विष्णु ने अपने चक्र से मधु कैटभ को मारा। अतः उनका नाम -- मधुसूदन और मध्वरि पड़ा। उन्हें कैटभारि भी कहा जाता है। इसके साथ साथ यह भी सर्वविदित है कि देवी ने मधु और कैटभ को मारा---- मधु- कैटभ विद्रावि विधातृ वरदे नमः। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। मधु कैटभ के नाश में देवी का काली स्वरूप कारण माना जाता है। मधु कैटभ के वध के मूल कारण विष्णु हैं या काली या दोनों ? भगवान ब्रह्मा ने योगनिद्रा में सो रहे विष्णु को जगाने के लिए भगवती की स्तुति की।जैसे ही निद्रा देवी उनके शरीर से बाहर हुईं की वे जग उठे। विष्णु के जागने में कारण हैं योगन...

*नवरात्रि की कोटिशः शुभकामनाएं।*

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ज्ञानिनामपि चेतांसि देवि भगवती हि सा । बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।। वे भगवती महामाया देवी ज्ञानियों के भी चित्त को बलपूर्वक खींचकर मोह में डाल देती है। 🙏🙏 *🌞 🚩 । l ॐ l । 🚩 🌞* 🕉 ।। *श्री गणेशाय नमः* ।। 🕉  *सुप्रभातम् स्नेह वंदनम्*   🌐 *आज का पंचांग* 🌐  ⛳ *तिथि*....१ (प्रतिपदा) 🙏 यज्ञनारायण इष्टि 🙏 🕉️ शारदीय नवरात्रि प्रारम्भ 🕉️ 🌺 घटस्थापन - दीपस्थापन प्रातः ६ः३५ से ०८ः००, ०९ः३० से ११ः०० 🌺 🪷 श्री अग्रसेन जयन्ती 🪷 🌹 मातामह श्राध्द 🌹 2️⃣6️⃣-0️⃣9️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ 🔔 *वार*.....सोमवार 🦚 *नक्षत्र*....हस्त 🪔 *योग*.....शुक्ल 🍁 *करण*.....किंस्तुघ्न 🌅 *सूर्योदय* :- ६:३० 🌌 *सूर्यास्त* :- ६:३१ 🌓 *पक्ष*........शुक्ल 🌝 *चन्द्र राशि*.....कन्या ⛱️ *ऋतु*.........शरद 🪷 *मास*..... *आश्विन* 🌍 *कलियुगाब्द*......५१२४ 🌎 *विक्रम संवत्*.....२०७८ 🌏 *शक संवत्*...... १९४४ 🌹 *अभिजीत मुहूर्त*....१२:०५ से १२:५३ 🌚 *राहुकाल*....०७:५८ से ०९:२९ तक ( शुभ कार्य वर्जित ) 🌻 *।। आपका दिन मंगलमय हो ।।* 🌻         🙏 ● *जय श्री कृष्ण* ● 🙏 ?...

s b bhavnagar

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%%% બ્રહ્મ ક્રાંતિ સંઘ દ્વારા 11 મો નવરાત્રી મહોત્સવ યોજાશે... આગામી તારીખ 1.2.3.4/10/22 છેલ્લા 4 દિવસ સુધી નું આયોજન ભાવનગર ના ખ્યાત નામ રિધમ ઓરકેસ્ટ્રાં અને બ્રહ્મ કલાકારો દ્વારા  કરવામાં આવ્યું છે.  અખિલેશ સર્કલ પાસે મ્યુ.કોમ્યુનિટી હોલ ના ગ્રાઉન્ડ ખાતે ભૂદેવો દાંડિયા રાસ..ગરબા ની રમઝટ બોલાવ શે. આ માટે સ્ટોલ રાખવા માગતા ભૂદેવો તેમજ પાસ લેવા વેચવા સહયોગ આપવા માગતા ભૂદેવો તેમજ બેનર નું યોગદાન આપી શકે તેવા ભૂદેવ વેપારી તેમજ ધંધાદારી લોકો ને સંપર્ક કરવા વિનંતી છે.. માત્ર 500પાસ જ વેચવા મા આવશે ..વહેલા તે પહેલા ના ધોરણે મળશે..આ આયોજન ધંધા દારી હેતુ માટે નથી..માત્ર એકતા અને ઓછી આવક વાળા પરિવારો ના સંતાનો માટે છે ખર્ચ મોટો થાય છે માત્ર 300રૂ મા ચાર દિવસ બે વ્યક્તિ અને 10 વર્ષ થી નીચે ના બાળકો ફ્રી .અને પાર્ટી પ્લોટ મા હોય તેવી વ્યવસ્થા છે તેમજ મંડપ ..લાઈટ ડેકોરેશન..સિક્યુરિટી..ગાવા વગાડવા વાળા અને ગરબા રમવા વાળા તમામ લોકો ભૂદેવો જ છે તો જે યોગદાન આપવા માગતા ભૂદેવો બ્રહ્મ ક્રાંતિ સંઘ ના કાર્યકરો નો સંપર્ક કરવા વિનંતી છે  1.. વંદીત ભાઇ જાની.9427135152.. 2..મનીષ ભાઈ ...

जय सनातन।

આજ કાલ સ્વામિનારાયણ સંપ્રદાયના સાધુ દ્રારા ભગવાન મહાદેવ નું હળાહળ અપમાન કર્યું જેથી સનાતન સંસ્કૃતિ, એવમ્ સમસ્ત હિન્દુ સમાજ ની ધાર્મિક લાગણી લુભાણી છે કેવલ અપમનાન જ નહીં પરંતુ પોતાને મહાન મનાવવા આવી ચેષ્ટા કરી એ યોગ્ય નથી માત્ર સોખડા ગૃપ ના સાધુઓ જ નહીં પણ BAPS સંસ્થા ના સાધુઓ દ્વારા પણ આવી અભદ્ર ટિપ્પણી કરી સનાતન દેવ,દેવીઓ ને અપમાનીત કરવા માટે કોઈ મોકકો છોડયો નથી પોતાના પૈસા અને સંપત્તિ ના બળે પોતાના સંપ્રદાયની વાહ વાહ કરવી અને કરાવવી એ મહા પાપ છે આપણા શાસ્ત્રોમાં વ્યક્તિ પૂજા નુ કોઈ મહત્વ જ નથી છતાં પણ પોતાને ભગવાન બનાવી પૂજાતા અને પૂજતા લોકો પણ દોષ અને પાપ ને પાત્ર છે વળી મુળ સ્વામિનારાયણ સંપ્રદાયના સાધુ જે મુળ સંસ્થા થી અલગ થય ગુરુકુળ ની આડમાં શિક્ષણ વેચીને વેપાર સિવાય કાંઈ પ્રવૃત્તિ કરતા નથી પોતાને બ્રહ્મચારી ગણાવતા ઢોંગીઓ સંસાર ના દરેક સુખો ભોગવીને ધર્મ ને કાળી ટીલી બેસાડે છે અને અંધ ભક્તો આ દશ્ય જોયા કરે છે ગામડે ગામડે મંદિર બંધાવી સૌરાષ્ટ્ર ના દરેક ગામડા માં ધર્મ ના નામે સંપ્રદાયના નામે રાજકારણ ઘુસાડી ભાઇ ભાઇ વચ્ચે કુટુંબો વચ્ચે પરીવારો વચ્ચે ની શાંતિ ને છિન્ન ભિન્ન કરવામાં મહત્...

આચાર્યોએ શરદને રોગોની માતા કહી છે - रोगाणाम् शारदी माता.*

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મારા દાદાજી કહેતા હતા કે: *ભાદરવાનું🍌 કેળું અને માગશર નો મૂળો જો ના આપે તો ઝુટાવીને પણ ખાવું.* 卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐卐 *ભાદરવો એટલે છૂટી છવાઈ વરસાદી સીઝન.... અને બીમારી નું પ્રવેશદ્વાર ....* *વર્ષા ની વિદાય અને શરદનું આગમન એટલે ભાદરવો.* *દિવસે ધોમ ધખે (તડકો ખુબ હોય) અને મોડી રાત્રે ઠંડક હોય, ઓઢીને સુવુ પડે એવો ઠાર પડે.* *આયુર્વેદાચાર્યો કહી ગયા છે કે વર્ષાઋતુમાં પિત્તનો શરીરમાં સંગ્રહ થાય અને શરદઋતુમાં તે પિત્ત પ્રકોપે (બહાર આવે). આ પ્રકોપવું એટલે તાવ આવવો, ગરમી શરીરની બહાર નીકળવી.* *ભાદરવાના તાપ અને તાવથી બચવા ત્રણ-ચાર ઘરગથ્થુ પ્રયોગો* *(૧) ભાદરવાના ત્રીસે દિવસ રોજ રાત્રે સુતા પહેલા સુદર્શન/મહાસુદર્શન ઘનવટી - ૨-૩ ટીક્ડી ચાવીને નવસેકા ગરમ પાણી સાથે લેવી.* *(૨) અનુકૂળતા હોય તો ભાદરવાના ત્રીસે દિવસ દુધ -ચોખા-સાકરની ખીર, ગળ્યુ દુધ એ વકરેલા પિત્તનુ જાની દુશ્મન છે. આ હેતુથી જ શ્રાદ્ધપક્ષમાં ખીર બનાવવાનુ આયોજન થયુ હતુ.* *(૩) જેની છાલ પર કથ્થાઇ/કાળા ડાઘ હોય એવા પાકેલા એક કેળાને છુંદીને એમાં ઘી, સાકર, ત્રણ ઈલાયચી ઉમેરી બપોરે જમવા સાથે ખાવા.* *(જો ખીર અને કેળા - બન્નેનો પ્રયોગ કરવો હોય તો કેળા બપોરે અને ...

महर्षि सुमन्तु ने श्राद्ध से होने वाले लाभ के बारे में बताया है

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*महर्षि सुमन्तु ने श्राद्ध से होने वाले लाभ के बारे में बताया है :-  कि 'संसार में पितरों की शान्ति के लिये श्राद्ध से बढ़कर कोई दूसरा कल्याणप्रद मार्ग नहीं है। अतः बुद्धिमान मनुष्य को प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध करना चाहिए। श्राद्ध की आवश्यकता और लाभ पर अनेक ऋषि-महर्षियों के वचन ग्रंथों में मिलते हैं।* *कुर्मपुराण* में कहा गया है कि 'जो प्राणी जिस किसी भी विधि से एकाग्रचित होकर श्राद्ध करता है, वह समस्त पापों से रहित होकर मुक्त हो जाता है और पुनः संसार चक्र में नहीं आता।' *गरुड़ पुराण* के अनुसार 'पितृ पूजन (श्राद्धकर्म) से संतुष्ट होकर पितर मनुष्यों के लिए आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य देते हैं | *मार्कण्डेय पुराण* के अनुसार 'श्राद्ध से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन, विद्या सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करते हैं। *ब्रह्मपुराण* के अनुसार 'जो व्यक्ति शाक के द्वारा भी श्रद्धा-भक्ति से श्राद्ध करता है, उसके कुल में कोई भी दुःखी नहीं होता।' साथ ही ब्रह्मपुराण में वर्णन है कि 'श्रद्धा एवं विश्वास...

तमिलनाडु में एक वृद्ध ब्राह्मण पूजा करते करते ही काया छोड़ गए।

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तमिलनाडु में एक वृद्ध ब्राह्मण पूजा करते करते ही काया छोड़ गए। S/B_official instagram  मैं हमेशा कहता हूं ब्राह्मण सनातन का वो सेतु है जिसने इतिहास के सारे थपेड़े झेल कर भी सनातन की पोथी नहीं छोड़ी,ओर सदियों से सनातन को हिन्दुओ की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में रोपते रहा.. #हजारों वर्षों से सनातन धर्म को हिंदुओं की एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में पहुंचाते रहे। एक ब्राह्मण ही है जिस पर सारे हमले पहले हुए मुगलों ने पहला आक्रमण मंदिरों और पुजारियों पर किया अंग्रेजों ने पहला आक्रमण मंदिर और पुजारियों पर किया कांग्रेस वामपंथियों ने ब्राह्मणवाद के नाम पर पहला हमला ब्राह्मणों पर किया चर्च मिशनरियों ने पहला हमला ब्राह्मणों पर किया हजार साल के क्रूर इस्लामिक शासनकाल में भी ब्राह्मण ने अपनी सनातनी पोथी नहीं छोड़ी बल्कि तलवार की धार पर चलकर भी अपने हिंदू समाज को सनातन की जड़ों से जोड़े रखा, हरगांव का पुजारी पूज्य है अनपढ़ पुजारी ने भी गांव के छोटे से मंदिर में सनातन की परंपराओं को जिंदा रखा और गांव को तीज त्योहारों के माध्यम से सनातन जीवन पद्धति से जोड़े रखा, यही कारण है कि यूनान रोम और मित्र 100 साल के...

श्री कृष्णाश्रम बोलुंदरा।।

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*🌞 🚩 । l ॐ l । 🚩 🌞* 🕉 ।। *श्री गणेशाय नमः* ।। 🕉  *सुप्रभातम् स्नेह वंदनम्*   🌐 *आज का पंचांग* 🌐  ⛳ *तिथि*....१५ (पूर्णिमा) 🌺 पौष्ठपदी पूर्णिमा 🌺 🙏 अंबाजी मेला ( गुजरात ) 🙏 💐 ब्रह्मलीन श्रोत्रिय अग्निहोत्री स्व. पू. दादाजी- शुकदेवप्रसादजी ( बोलुंदरा - नडियाद)जन्मतिथि 💐 🌸 भागवत सप्ताह समाप्ति 🌸 🍁 संन्यासी के चातुर्मास समाप्त 🍁 🌼 गौत्रि रात्रि व्रत समाप्त 🌼 🍀 अन्वाधान 🍀 🪸 पितृपक्ष प्रारम्भ 🪸 🙏 महालय श्राद्धारंभ 🙏 🌼 प्रतिपदा श्राद्ध 🌼 🅿️ पञ्चक 🅿️ 🌸 नारायणगुरु जयंती ( केरल ) 🌸 🍀 बुध वक्री प्रातः ९ः०९ 🍀 1️⃣0️⃣-0️⃣9️⃣-2⃣0⃣2⃣2️⃣ 🔔 *वार*.....शनिवार 🦚 *नक्षत्र*....शतभिषा 🪔 *योग*.....धृति 🍁 *करण*.....बव 🌅 *सूर्योदय* :- ६:२६ 🌌 *सूर्यास्त* :- ६:४७ 🌓 *पक्ष*........शुक्ल 🌝 *चन्द्र राशि*.....कुम्भ/ रात्रि २ः२४ से मीन 🌝 ⛱️ *ऋतु*.........शरद 🪷 *मास*..... *भाद्रपद* 🌍 *कलियुगाब्द*......५१२४ 🌎 *विक्रम संवत्*.....२०७८ 🌏 *शक संवत्*...... १९४४ 🌹 *अभिजीत मुहूर्त*.....१२:१० से १३:०० 🌚 *राहुकाल*....०९:२८ से ११:०१ तक ( शुभ कार्य वर्जित ) 🌻 *।। आपका...

शक्ति के दस रूप

शक्ति के १० रूप-यह शक्ति की पूजा है। विश्व का मूल स्रोत एक ही है पर वह निर्माण के लिये २ रूपों में बंट जाता है, चेतन तत्त्व पुरुष है, पदार्थ रूप श्री या शक्ति है। शक्ति माता है अतः पदार्थ को मातृ (matter) कहते हैं। सभी राष्ट्रीय पर्वों की तरह यह पूरे समाज के लिये है पर क्षत्रियों के लिये मुख्य है, जो समाज का क्षत से त्राण करते हैं- क्षतात् किल त्रायत इत्युदग्रः शब्दस्य अर्थः भुवनेषु रूढः। (रघुवंश, २/५३) वेद में १० आयाम के विश्व का वर्णन है अतः दश, दशा, दिशा-ये समान शब्द हैं। १० आयाम कई प्रकार से हैं- (१) ५ तन्मात्रा = भौतिक विज्ञान में माप की ५ मूल इकाइयां। इनके सीमित और अनन्त रूप ५-५ प्रकार के हैं। (२) आकाश के ३ आयाम, पदार्थ, काल, चेतना या चिति, ऋषि (रस्सी-दो पदार्थों में सम्बन्ध), वृत्र या नाग (गोल आवरण), रन्ध्र (घनत्व में कमी-बेशी, आनन्द या रस। (३) ३ गुणों (सत्व, रज, तम) के १० प्रकार के समन्वय-क, ख, ग,कख, खक, कग, गक, खग, गख, कखग। (ख) महाविद्या-१० आयाम की तरह १० महा-विद्या हैं, जो ५ जोड़े हैं- (१) काली-काला रंग, तारा-श्वेत। (२) त्रिपुरा के २ रूप-सुन्दरी, भैरवी (शान्त, उग्र)। (३) कमला-...