मधु और कैटभ का वध किसने किया?

शंका समाधान
मधु और कैटभ का वध किसने किया?

श्री सप्तशती के प्रथम अध्याय में मधु और कैटभ दोनों भाईयों से विष्णु भगवान का युद्ध हुआ और उन्होंने दोनों को अपने जंघे पर स्थापित कर उनके मस्तक को चक्र से काट डाला --
कृत्वा चक्रेण वै छिन्ने जघने शिरसी तयोः।
ठीक इसीके आगे लिखा है -- ब्रह्मा से स्तुत होनेके कारण
देवी समुत्पन्न हुई और उसके प्रभाव से दोनों राक्षस मारे गये-- एवमेषा समुत्पन्ना ब्रह्मणा संस्तुता स्वयम्। प्रभावमस्या देव्यास्तु भूयः शृणु वदामि ते।

** भगवान विष्णु ने अपने चक्र से मधु कैटभ को मारा। अतः उनका नाम -- मधुसूदन और मध्वरि पड़ा। उन्हें कैटभारि भी कहा जाता है।
इसके साथ साथ यह भी सर्वविदित है कि देवी ने मधु और कैटभ को मारा----
मधु- कैटभ विद्रावि विधातृ वरदे नमः।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।
मधु कैटभ के नाश में देवी का काली स्वरूप कारण माना जाता है।
मधु कैटभ के वध के मूल कारण विष्णु हैं या काली या दोनों ?
भगवान ब्रह्मा ने योगनिद्रा में सो रहे विष्णु को जगाने के लिए भगवती की स्तुति की।जैसे ही निद्रा देवी उनके शरीर से बाहर हुईं की वे जग उठे। विष्णु के जागने में कारण हैं योगनिद्रा देवी।

**--- आचार्य भास्कर राय ने इस प्रश्न का समुचित उत्तर दिया है। उनका कहना है कि विष्णु और काली में अभेद है।कालिका ने ही विष्णु रूप में इस दुर्धर्ष वध को किया।

एकैव शक्तिः परमेश्वरस्य 
  भिन्ना चतुर्धा विनियोगकाले।
भोगे भवानी पुरुषेषु विष्णु:
कोपेषु काली समरेषु दुर्गा ।।

परमार्थतः विष्णु और काली एक ही हैं।मधु कैटभ ब्रह्मा की पार्थिव रचना के पूर्ववर्ती वैष्णवी रचना हैं।योगनिद्रा ही ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रसन्न होकर विष्णु द्वारा उन दोनों का वध कराती हैं।यदि विष्णु शक्तिमान हैं तो भगवती कालिका उनकी शक्ति हैं।आचार्य भास्कर राय की इस युक्ति को सभी स्वीकार करते हैं।

एक बात औऱ जब मधु-कैटभ से लड़ते लड़ते भगवान विष्णु को बहुत समय व्यतीत हो गया तब वे विश्राम करने लगे और देवी का स्मरण किया और इन दोनों दैत्यों को विष्णुमाया से मोहित कर दिया, तब ये दोनों दैत्य कहने लगे है विष्णु हम तुम्हारे युद्ध कौशल से प्रसन्न हैं वर मांगो! 
तब विष्णु जी ने उनकी मृत्यु का रहस्य पूछा तो वे घबरा गए औऱ बोले - इस समय सर्वत्र जल ही जल है अतः जहाँ सुखी भूमि हो वहाँ हमारी मृत्यु हो सकती है और विराट स्वरूप विष्णु जी ने अपनी दोनों जंघाओं पर उन दोनों धरकर गदा से मार दिया जिसके फलस्वरूप उनका मेद फैल गया जिसके कारण पृथ्वी को मेदिनी भी कहते हैं।

यह थी उन विष्णुमाया / योगमाया देवी काली की लीला।जिसके कारण दोनों को मधु-कैटभ हंता माना जाता है।

Comments

Popular posts from this blog

કર્મકાંડી બ્રાહ્મણ મિત્રો ની ટ્રસ્ટ મંડળ ની વાર્ષિક મિટિંગ આયોજન સિહોર ભાવનગર

અષ્ટલક્ષ્મી સ્તોત્ર spritualshastri

मंगल गीतम spritualshastri