शक्ति के १० रूप-यह शक्ति की पूजा है। विश्व का मूल स्रोत एक ही है पर वह निर्माण के लिये २ रूपों में बंट जाता है, चेतन तत्त्व पुरुष है, पदार्थ रूप श्री या शक्ति है। शक्ति माता है अतः पदार्थ को मातृ (matter) कहते हैं। सभी राष्ट्रीय पर्वों की तरह यह पूरे समाज के लिये है पर क्षत्रियों के लिये मुख्य है, जो समाज का क्षत से त्राण करते हैं- क्षतात् किल त्रायत इत्युदग्रः शब्दस्य अर्थः भुवनेषु रूढः। (रघुवंश, २/५३) वेद में १० आयाम के विश्व का वर्णन है अतः दश, दशा, दिशा-ये समान शब्द हैं। १० आयाम कई प्रकार से हैं- (१) ५ तन्मात्रा = भौतिक विज्ञान में माप की ५ मूल इकाइयां। इनके सीमित और अनन्त रूप ५-५ प्रकार के हैं। (२) आकाश के ३ आयाम, पदार्थ, काल, चेतना या चिति, ऋषि (रस्सी-दो पदार्थों में सम्बन्ध), वृत्र या नाग (गोल आवरण), रन्ध्र (घनत्व में कमी-बेशी, आनन्द या रस। (३) ३ गुणों (सत्व, रज, तम) के १० प्रकार के समन्वय-क, ख, ग,कख, खक, कग, गक, खग, गख, कखग। (ख) महाविद्या-१० आयाम की तरह १० महा-विद्या हैं, जो ५ जोड़े हैं- (१) काली-काला रंग, तारा-श्वेत। (२) त्रिपुरा के २ रूप-सुन्दरी, भैरवी (शान्त, उग्र)। (३) कमला-...