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Showing posts from April, 2020

शंकराचार्य जी

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shashtriji *आचार्य मंडनमिश्र के साथ भगवान आदि शंकराचार्य का शास्त्रार्थ पुर्व कटाक्ष वार्तालाप* मंडन‌मिश्रा :- "मैं जानता हूँ कि सबकुछ छोड़कर लोग बाबाजी कब बनते हैं , या तो विवाह के लिये कोई सुन्दर कन्या मिली नहीं होगी या फिर स्वयं सोचा होगा कि घर-गृहस्थी का झंझट कौन पाले ! एक तो पत्नी का भरण-पोषण की जिम्मेदारी फिर उसकी रक्षा करना और जब बाल-बच्चे हो तो उनकी भी जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी । यही सब सोचकर आलस्य में आपने पुस्तकों का भार छाती पर लादकर खूब विद्वानों को शास्त्रार्थ में हराया , कई राजाओं को प्रभावित करके अपना शिष्य बनाया और अपनी ब्रह्मनिष्ठता भी क्या खूब प्रमाणित की ।" ---- गर्व में भरकर मण्डन मिश्र ने आचार्य शंकर के सम्मुख यह बातें कही । आचार्य शंकर ने सहज भाव से कहा --- "मुझे आलसी क्यों कहते हो ? जबकि आलसी तो आप प्रतीत होते हो । गुरुकुल में समझ लिया कि गुरुदेव की आजीवन सेवा करने में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए गुरुजी के अनुशासन में रहना होगा ; सांसारिक सुख-भोगों से दूर रहकर गुरु की सेवा करनी होगी , तो अजितेन्द्रीय होकर आलस्य में आप गुरुकुल से निवृत्त होकर स्त्रियों क...

જય પરશુરામ જયંતી

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*अक्षय तृतीय का महत्व* *“न क्षयति इति अक्षय” * अर्थात जिसका कभी क्षय न हो उसे अक्षय कहते हैं और वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है। इसी दिन भगवान परशुरामका जन्म होनेके कारण इस दिन परशुराम जयंती मनाई जाती है। अक्षय तृतीया के दिन गंगा-स्नान करने एवं भगवान श्री कृष्ण को चंदन लगाने से है।मान्यता है कि इस दिन जिनका परिणय-संस्कार होता है उनका सौभाग्य अखंड रहता है। इस दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए विशेष अनुष्ठान करने, श्री सूक्त के पाठ के साथ हवन करने का भी विधान है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करने से माँ अवश्य ही कृपा करती है जातक को अक्षय पुण्य के साथ उसका जीवन धन-धान्य से भर जाता है।जानिए क्या है  अक्षय तृतीया का महत्व,  अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है,  *अक्षय तृतीया के दिन क्या करें,*  जो मनुष्य इस दिन गंगा स्नान/ पवित्र नदियों में स्नान करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यदिघर पर ही स्नान करना पड़े तो सूर्य उदय से पूर्व उठ कर एक बाल्टी में जल भर कर उस में गंगा जल मिला कर स्नान करना च...

वृषोत्सर्ग क्यों ।। shashtriji

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🙏🏻 *जय भगवान* 🙏🏻 🍀 *जयतु संस्कृतम् जयतु भारतम्* 🍀 गरूड पुराण।  *वृषोत्सर्ग* की महिमा। इसके बाद लोमश ऋषिकी संगतिसे वह बहुत से तीर्थोंमें गया। अधिक पुण्य नील (वृष) विवाहसे उसको प्राप्त हुआ था। श्रेष्ठ विमानपर चढ़कर दिव्य विषयोंको भोगनेके बाद उसका विरसेनके राजकुल में जन्म हुआ। इस जन्म में उसको वीरपंचानन नाम की ख्याति प्राप्त हुई। वह धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष इस पुरुषार्थ चतुष्ट्यका एक अद्वितीय साधक था। वृषोत्सर्ग करते समय वहां जो नौकर चाकर उपस्थित थे, वह भी गायकी पूंछके तर्पणके छींटोंका स्पर्श करके दिव्य रूप हो गये।  जो दूसरे ही इस कार्य को देख रहे थे, वे लोग हृष्ट-पुष्ट हो गये और उनका स्वरूप कांतिसे चमक उठा। इसके अतिरिक्त जो लोग इस सत्कर्मके भूभागसे बहुत दूर थे, वे मलिन दिखाई दे रहे थे। वृषोत्सर्ग न देखते हुए जो लोग उसकी निंदा करने वाले थे, वे अभागे, दीन-हीन और व्यवहार आदि में ऋक्ष, कृष और वस्त्रविहीन हो गये। हे द्विज ! मैंने भगवान पराशरसे पूर्व जन्मसे संबंध इस राजाका अद्भुत और धार्मिक जो वृतांत सुना था, उसका वर्णन आपसे कर दिया। इसलिए आप मेरे ऊपर कृपा करके अब अपने घर लौट जा...

कों सी समस्या के लिए क्या उपाय

*👉किस समस्या के लिए कौन से मंत्र का जाप करें 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 कभी-कभार ऐसा होता है कि आपकी गलती न होने पर भी उस कर्म के लिए आपको ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। बेवजह के लांछन से आपका मन परेशान हो उठता है। ऐसे में इस मंत्र का जाप आपको इस समस्या से मुक्ति दिला सकता है। ॐ ह्रीं घृणी: सूर्याय आदित्य श्रीं ।। ॐ ह्रौं जूँ सः क्लीं क्लीं क्लीं ।। किसी ग्रह के फेर, भय और शंका से आप घिरे रहते हैं। ऐसे में जब कोई अपना घर से निकलता है तो अनिष्ट की आशंका मन में सताने लगती है। इस वक्त भगवान का स्मरण करते हुए आप इस मंत्र का जाप कर सकते हैं। ॐ जूँ सः (पूरा नाम) पालय पालय सः जूँ ॐ ॐ ॐ।। यदि आप किसी मुसीबत में पड़े हों और आपको न चाहते हुए भी मौत का भय सता रहा हो तो इस मंत्र का जाप करना शुरू कर दें।ॐ ह्रौं जूँ सः।। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥ यदि आप अपने करियर में खुद को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं तो इस मंत्र का जाप फलदायक साबित हो सकता है। ॐ भूर्भुव: स्वः। तत्सवितुर् वरेण्यं ।। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो योनः प्रचोदयात् क्लीं क्लीं क्लीं ...

सीखा के बिना किया गया कोई भी कर्म सफल नहीं होता

विना शिखा के किये गये सभी सदकृत्य व्यर्थ हो जाते है। इसलिये शिखा अति महत्वपूर्ण है। ----आचार्य ।।  #शिखां_छिन्दन्ति_यो_मोहादज्ञानतो_ज्ञानतोपि_वा।  #तप्तकृच्छ्रेण_शुद्ध्यंति_त्रयोवर्णा_द्विजातयः।। ----यदि मोह वस,मदांध होकर या अज्ञानता में शिखा कटवा दी गयी है तो इन तीन वर्णो को(ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य)तप्तकृच्छ्र चन्द्रायण ब्रत अवश्य करना चाहिए । तभी उनकी एव उनके द्वारा किये गये सद्कार्यों की शुद्धि होती है।। #अथ_चेत्प्रामादान्निशिखं_वपनं_स्यात्_तत्र_कौशीं_शिखां_ब्रह्मग्रंथिसमन्वितां_दक्षिणकर्णोपरि_# #आशिखावन्धादव_तिष्ठेत्। यदि कोई मनुष्य प्रमादवश शिखा कटवा ले तो वह कुशा की शिखा बनाकर दाहिने कान पर तब तक रखे ,जब तक बांधने योग्य शिखा न बढ़ जाये।।  #सदोपवीती_चैव_स्यात्_सदाबद्ध_शिखो_द्विजः ! #अन्यथा_यत्कृतं_कर्म_तद्_भवत्ययथाकृतम्!! #सदोपवीतिना_भाव्यं_सदा_वद्धशिखेन_च ! #विशिखो_व्युपवीतश्च_यत्करोति_न_तत्कृतम्!! #विना_यज्ञोपवितेन_विना_बद्ध_शिखेन_च! #विशेषोद्युपवितेन_यत्कृतं_नैव_तदकृतम्।। द्विज को सदा यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए और शिखा बांधकर रखना चाहिए ! यज्ञोपवीत और शिखा के विना ज...

पांच पाण्डव

पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं - 1. युधिष्ठिर    2. भीम    3. अर्जुन 4. नकुल।      5. सहदेव ( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में नहीं की जाती है ) यहाँ ध्यान रखें कि… पाण्डु के उपरोक्त पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन की माता कुन्ती थीं ……तथा , नकुल और सहदेव की माता माद्री थी । वहीँ …. धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र….. कौरव कहलाए जिनके नाम हैं - 1. दुर्योधन      2. दुःशासन   3. दुःसह 4. दुःशल        5. जलसंघ    6. सम 7. सह            8. विंद         9. अनुविंद 10. दुर्धर्ष       11. सुबाहु।   12. दुषप्रधर्षण 13. दुर्मर्षण।   14. दुर्मुख     15. दुष्कर्ण 16. विकर्ण     17. शल       18. सत्वान 19. सुलोचन   20. चित्र       21. उपचित्र 22. ...

पांच कल्याण

विद्याभ्यास स्तपो ज्ञानमिन्द्रियाणां च संयमः । अहिंसा गुरुसेवा च निःश्रेयस्करं परम् ॥ विद्याभ्यास, तप, ज्ञान, इंद्रिय-संयम, अहिंसा और गुरुसेवा – ये परम् कल्याणकारक हैं ।। 🙏🙏 shashtriji-mj-bhavnagar

देव श्राप किनको दिए ।। जय श्री राम ।।

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*🍃🍃विचित्र श्राप और उनकी कहानी......🍃🍃* *‼️वेद पुराण की प्रस्तुति‼️* *पौराणिक ग्रंथो में अनेको अनेक श्रापों का वर्णन मिलता है। हर श्राप के पीछे कोई न कोई घटना मिलती है।* 1. युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप. महाभारत के शांति पर्व के अनुसार युद्ध समाप्त होने के बाद जब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो पांडवों को बहुत दुख हुआ। तब युधिष्ठिर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया तो शोक में आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि – आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी।  2. ऋषि किंदम का राजा पांडु को श्राप. महाभारत के अनुसार एक बार राजा पांडु शिकार खेलने वन में गए। उन्होंने वहां हिरण के जोड़े को मैथुन करते देखा और उन पर बाण चला दिया। वास्तव में वो हिरण व हिरणी ऋषि किंदम व उनकी पत्नी थी। तब ऋषि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी आप किसी स्त्री से मिलन करेंगे। उसी समय आपकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप के चलते जब राजा पांडु अपनी...

नारद भक्ति सूत्र

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देवर्षि नारद विरचित भक्तिसूत्र 🙏😊 तस्याः साधनानि गायन्त्याचार्याः ।।३४।। अर्थ » आचार्यगण उस भक्ति के साधन बतलाते हैं । व्याख्या » कर्म और ज्ञानकी अपेक्षा भक्तिकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन करके अब नारदजी भक्तिशास्त्र के प्रधान प्रवर्तक और भक्तिके अनुभवि आचार्यो का एवं सन्तोका गान किये हुए उस भक्ति के साधनोंका वर्णन करते है ।।३४।। ✍..विराट भट्ट पुराणोपासक रासपंचाध्यायी ५ अध्याय २१ श्लोक 🙏😊 तासामतिविहारेण श्रान्तानां वदनानि सः । प्रामृजत् करुणः प्रेम्णा शन्तमेनाङ्ग पाणिना ।। भागवतजी १०/३३/२१ संस्कृत व्याख्यानम् » अतिविहारण श्रान्तानां तासां वदनानि मुखानि करुणो दयालुः स कृष्णः प्रेम्णा शन्तमेनातिसुखकारिणा पाणिना हस्तेन प्रामृजद्शूशुधत् ।। सरलार्थ » हे अङ्ग ! अतिशय रमण से परिश्रान्त व्रजवनिताओ के मुखकमल को करुणानिधान श्रीकृष्ण नें अपने श्रम हरण करनेवाले और सुख प्रदान करनेवाले करकमलोंसे पोंछने लगे ।। रासविहारी भगवान कि जय 🙏😊 ✍..विराट भट्ट पुराणोपासक Shashtriji bhavnagar