नारद भक्ति सूत्र
देवर्षि नारद विरचित भक्तिसूत्र 🙏😊
तस्याः साधनानि गायन्त्याचार्याः ।।३४।।
अर्थ » आचार्यगण उस भक्ति के साधन बतलाते हैं ।
व्याख्या » कर्म और ज्ञानकी अपेक्षा भक्तिकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन करके अब नारदजी भक्तिशास्त्र के प्रधान प्रवर्तक और भक्तिके अनुभवि आचार्यो का एवं सन्तोका गान किये हुए उस भक्ति के साधनोंका वर्णन करते है ।।३४।।
✍..विराट भट्ट पुराणोपासक
रासपंचाध्यायी ५ अध्याय २१ श्लोक 🙏😊
तासामतिविहारेण श्रान्तानां वदनानि सः ।
प्रामृजत् करुणः प्रेम्णा शन्तमेनाङ्ग पाणिना ।।
भागवतजी १०/३३/२१
संस्कृत व्याख्यानम् » अतिविहारण श्रान्तानां तासां वदनानि मुखानि करुणो दयालुः स कृष्णः प्रेम्णा शन्तमेनातिसुखकारिणा पाणिना हस्तेन प्रामृजद्शूशुधत् ।।
सरलार्थ » हे अङ्ग ! अतिशय रमण से परिश्रान्त व्रजवनिताओ के मुखकमल को करुणानिधान श्रीकृष्ण नें अपने श्रम हरण करनेवाले और सुख प्रदान करनेवाले करकमलोंसे पोंछने लगे ।।
रासविहारी भगवान कि जय 🙏😊
✍..विराट भट्ट पुराणोपासक
Shashtriji bhavnagar
तस्याः साधनानि गायन्त्याचार्याः ।।३४।।
अर्थ » आचार्यगण उस भक्ति के साधन बतलाते हैं ।
व्याख्या » कर्म और ज्ञानकी अपेक्षा भक्तिकी श्रेष्ठताका प्रतिपादन करके अब नारदजी भक्तिशास्त्र के प्रधान प्रवर्तक और भक्तिके अनुभवि आचार्यो का एवं सन्तोका गान किये हुए उस भक्ति के साधनोंका वर्णन करते है ।।३४।।
✍..विराट भट्ट पुराणोपासक
रासपंचाध्यायी ५ अध्याय २१ श्लोक 🙏😊
तासामतिविहारेण श्रान्तानां वदनानि सः ।
प्रामृजत् करुणः प्रेम्णा शन्तमेनाङ्ग पाणिना ।।
भागवतजी १०/३३/२१
संस्कृत व्याख्यानम् » अतिविहारण श्रान्तानां तासां वदनानि मुखानि करुणो दयालुः स कृष्णः प्रेम्णा शन्तमेनातिसुखकारिणा पाणिना हस्तेन प्रामृजद्शूशुधत् ।।
सरलार्थ » हे अङ्ग ! अतिशय रमण से परिश्रान्त व्रजवनिताओ के मुखकमल को करुणानिधान श्रीकृष्ण नें अपने श्रम हरण करनेवाले और सुख प्रदान करनेवाले करकमलोंसे पोंछने लगे ।।
रासविहारी भगवान कि जय 🙏😊
✍..विराट भट्ट पुराणोपासक
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