નવરાત્રી મહોત્સવ. શારદીય નવરાત્રિ.2023

*🕉️ शारदीय नवरात्र 🕉️* 
 *15 अक्टूबर 2023 रविवार*
*नवरात्रि स्थापना मुहूर्त-:* 

🔸घट (कलश) स्थापना मुहूर्त-:
आश्विन नवरात्र घटस्थापना 15 अक्टूबर 2023, रविवार, 
  सुबह 06:30 से सुबह 08:45 तक।

🔸घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त-:
दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 36 मिनट तक 

(घट (कलश) स्थापना के यह दो मुहूर्त है अतः आप अपनी सुविधा के अनुसार कोई से भी मुहूर्त पर घट स्थापना कर सकते हैं)
_________________________
*✡️नवरात्रि की तिथि-:* 

प्रतिपदा (मां शैलपुत्री):15 अक्टूबर

द्वितीया (मां ब्रह्मचारिणी):16 अक्टूबर

तृतीया (मां चंद्रघंटा):17 अक्टूबर

चतुर्थी (मां कुष्मांडा):18 अक्टूबर

पंचमी (मां स्कंदमाता):19 अक्टूबर

षष्ठी (मां कात्यायनी): 20 अक्टूबर

सप्तमी (मां कालरात्रि): 21अक्टूबर 

अष्टमी (मां महागौरी): 22 अक्टूबर 

नवमी (मां सिद्धिदात्री): 23 अक्टूबर 

दशमी (विसर्जन): 24 अक्टूबर 
 *दशहरा 24 अक्टूबर 2023* 
_________________________
*✡️नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री-:* 

माँ दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र, लाल चुनरी, अशोक या आम की पत्तियाँ, चावल, दुर्गा सप्तशती की किताब, लाल कलावा, गंगा जल, चंदन, नारियल, कपूर, जौ के बीच, मिट्टी का बर्तन, गुलाल, सुपारी, पान के पत्ते, लौंग, इलायची इत्यादि।

*✡️नवरात्रि पूजा विधि-:* 

सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें. ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें. पूजा की थाल सजाएं. मां दुर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें. मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोएं और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें. पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें. इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर अशोक या आम की पत्तियाँ लगाएं और ऊपर नारियल रखें. कलश को लाल कपड़े से लपेटें और कलावा के माध्यम से उसे बांधें. अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें. फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें. नौ दिनों तक मां दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें. अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं. आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें मां की आरती गाए, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।।
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🌼आश्विन शुक्ल प्रतिपदा- १५-१०-२३ रविवार 🌼
🙏शारदीय नवरात्र प्रारंभ 🙏
जगदम्बा की उपासना के श्रेष्ठ दिवस 🙏
कलियुग में चण्डी- जगदम्बा- शीघ्र फल देती हैं। 🙏
माँ सबकी शुभ मनोकामना पूर्ण करती है। 
🦚 भाव-भक्ति के अनुसार व्यक्ति को माँ की कृपा प्रसाद के स्वरूप में मिलती हैं। 
आलस्य का त्याग करके यह नौ दिवस में भक्ति भाव से अनुष्ठान करें। 

🦚ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे। 
( मूल मंत्र ) के जप करें या गुरुमंत्र या गुरु के आदेश अनुसार अनुष्ठान करें। 

🦚 श्रीसूक्त करें / विद्वान ब्राह्मणों से करवायें। 
१२५१/१२००० 
🦚 महालक्ष्मी स्तोत्र के पाठ करें / करवायें। 
🦚 जगदम्बा की महापूजा करवायें। 
🦚 होम - हवन - यज्ञ - अनुष्ठान करवायें। 
🌺 चंडीपाठ १२/३६/१२५ करवायें। 🌺
🦚 चंडीपाठ में से कोइ भी स्तोत्र कर सकते है। 
जैसे शक्रादि स्तुति। देवीसूक्त। रात्रि सूक्त। ….
अनुष्ठान पूर्ण होने पर बटुक, कुमारिका, सौभाग्यवती का पूजन करें। 
विद्यार्थियों को विद्या। 
अर्थार्थी ( धनकी इच्छा वाले को ) अर्थ। 
जगदम्बा की पूजा- उपासना क्या नहीं देती ? ( सब कुछ देती है। )

नवरात्र उपवास करें। 
नव रात्रि तक न हो , तो एकम- पंचमी - अष्टमी का उपवास कर सकते है। 
वह भी न हो तो केवल अष्टमी का उपवास करें। 
एक बार भोजन कर के भी नवरात्र कर सकते है। ( यथाशक्ति 😃 )

माँ समस्त जीवों का कल्याण करें। 
भक्तों पर विशेष कृपा करो🙏
सर्व मंगल मांगल्ये 
शिवे सर्वार्थ साधिके। 
शरण्ये त्र्यंबके गौरी
नारायणी नमोऽस्तुते। 🙏🙏🙏
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