શ્રાદ્ધ વિધિ

यह *व्हाट्सएप ज्ञान* नहीं है। पुराणों व धर्मग्रन्थों में उल्लेखित जानकारी है।
*आज रविवार, आश्विन कृष्ण द्वितीया/तृतीया तिथि है।*
 *आज अश्विनी नक्षत्र, "नल" नाम संवत् 2080 है।*
👆 ( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
👉 *आज तृतीया तिथि का श्राद्ध।*
 👉 श्रद्धा से श्राद्ध करने से पितरों को *एक वर्ष* तक तृप्ति बनी रहती है।
👉 गयाजी में श्राद्ध करने से पितर *सदा* के लिए तृप्त हो जाते हैं।
👉 हर महीने की अमावस्या के दिन वंशजों द्वारा श्राद्ध और पिण्ड करने से पितरों को *एक मास* तक तृप्ति बनी रहती है।
👉 जब तक कन्या राशि पर सूर्य रहते हैं, तब तक पितर अपनी सन्तानों द्वारा किए जाने वाले श्राद्ध की *प्रतीक्षा* करते हैं।
👉 कुछ पितर सूर्य के तुला राशि में रहने तक यानि *कार्तिक* मास में भी श्राद्ध की राह देखते हैं।
👉 इस प्रकार पूरे *दो मास* तक भूख - प्यास से व्याकुल पितर वायु रूप में आकर *घर* के दरवाजों पर खड़े रहते हैं। (स्कन्द पुराण)
👉 जिस घर में *श्वान* रहता है, उस घर में पितर प्रवेश नहीं करते हैं।
👉 श्राद्धकर्त्ता *दो श्वेत वस्त्र* अवश्य पहनें।
👉 श्राद्ध करते समय और श्राद्ध के भोजन पर *रजस्वला स्त्री* की दृष्टि नहीं पड़ना चाहिए।
👉 *श्राद्ध स्थान* के पास घर-घराहट की ध्वनि, ओखली के कूटने का शब्द और सूप के फटकने की आवाज नहीं होना चाहिए।
👉 यमलोक में चित्र और विचित्र नामक दो लेखक हैं। चित्र सब प्राणियों का *धर्म* लिखते हैं और विचित्र पापियों के *पातकों* का उल्लेख करते हैं।
👉 श्राद्धकाल में शरीर, द्रव्य, स्त्री, भूमि, मन, मन्त्र तथा ब्राह्मण - *इन सात* वस्तुओं की शुद्धि पर विशेष ध्यान देना चाहिए। 
👉 श्राद्ध में दौहित्र, कुतपकाल, जौ, काले तिल, कुशा और चॉंदी को *पवित्र* माना गया है।
👉 श्राद्ध करते समय *जल्दबाजी* और *क्रोध* नहीं करना चाहिए।
👉 जिस मनुष्य को अपने माता-पिता की *मृत्यु तिथि* ठीक - ठीक ज्ञात न हो तो उसे पितृपक्ष की अमावस्या को *पार्वण श्राद्ध* तथा माघ अथवा मार्गशीर्ष की अमावस्या को *सांवत्सरिक श्राद्ध* करना चाहिए।
👉 कैथ, सेमल, नीबू और बहेड़ा - ये श्राद्ध कर्म में *निन्दित* हैं।
👉 रजस्वला स्त्री पितृकार्य के लिए *पॉंचवें दिन* शुद्ध मानी गई है।
👉 एक बार पुनः -
*देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।*
*नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।।*
देवता, पितर, महायोगी, स्वधा और स्वाहा - इन सबको नित्य बारम्बार नमस्कार है।
👆 श्राद्ध के प्रारम्भ और अन्त में इस मन्त्र का *तीन* बार जप करना चाहिए।

-----------------------------------------------
 *कल सोमवार 2 अक्टूबर 2023* 
            *के व्रत - पर्व - उत्सव*

        ** *चतुर्थी का श्राद्ध * **
 ----------------------------------------------

   *विजय अड़ीचवाल*
_*ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ*_
प्रधान सम्पादक: विप्र जगत्, इन्दौर
मोबा. *98262 47846*

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

 *विप्र जगत्* (मासिक) *पत्रिका, इन्दौर*

                     *आज का*
       🌹 *विप्र जगत् पञ्चाङ्ग* 🌹
             (उज्जैन के पञ्चाङ्गों से साभार)

🌞  *दिनांक 1 अक्टूबर 2023, रविवार*

🌞 *इन्दौर का सूर्योदय : प्रातः 6:24*
🌞 *इन्दौर का सूर्यास्त : सायं  6:13 बजे*

👉 *आश्विन कृष्ण द्वितीया तिथि मध्याह्न 12:00:30 बजे तक, पश्चात् तृतीया तिथि* 

👉 *नक्षत्र :‌ अश्विनी नक्षत्र रात्रि 10:59:15 बजे तक, पश्चात् भरणी नक्षत्र*

👉 *योग : व्याघात योग सायं 5:20 बजे तक, पश्चात् हर्षण  योग*

👉 *दिशाशूल - पश्चिम दिशा में*

👉 *अयन : दक्षिणायन*
🌧️ *ऋतु : शरद* 

👉 *आज राष्ट्रीय सौर तिथि 9 आश्विन (इष मास) 1945, युगाब्द 5125 है।*

🙏 *प्रस्तुति :  विजय अड़ीचवाल*
_*ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ*_

🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

Comments

Popular posts from this blog

કર્મકાંડી બ્રાહ્મણ મિત્રો ની ટ્રસ્ટ મંડળ ની વાર્ષિક મિટિંગ આયોજન સિહોર ભાવનગર

અષ્ટલક્ષ્મી સ્તોત્ર spritualshastri

मंगल गीतम spritualshastri