श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं का सार है ‘शिक्षाष्टक’!!!!!!! shastri bvn
#Jay bhagvan श्रीचैतन्य महाप्रभु जी की शिक्षाओं का सार है ‘शिक्षाष्टक’!!!!!!! प्रकाण्ड विद्वान होते हुए भी श्रीचैतन्य महाप्रभु ने किसी ग्रंथ की रचना नहीं की । इनके मुख से आठ श्लोक ही निकले बताये जाते हैं, जो ‘शिक्षाष्टक’ के नाम से प्रसिद्ध हैं । जानें, शिक्षाष्टक (हिन्दी अर्थ सहित) । श्रीचैतन्य महाप्रभु जिन्हें कुछ लोग श्रीराधा का अवतार मानते हैं और बंगाल के वैष्णव साक्षात् पूर्णब्रह्म कहते हैं; वे भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे । जिस समय ये श्रीकृष्ण के विरह में उन्मत्त होकर विलाप करते, उस समय पत्थर से पत्थर दिल भी पिघल जाता था । इनके जीवन का प्रधान उद्देश्य भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति व नाम का प्रचार करना ही था। प्रकाण्ड विद्वान होते हुए भी श्रीचैतन्य महाप्रभु ने किसी ग्रंथ की रचना नहीं की । इनके मुख से आठ श्लोक ही निकले बताये जाते हैं, जो ‘शिक्षाष्टक’ के नाम से प्रसिद्ध हैं । वैष्णवों के लिए तो यह ‘शिक्षाष्टक’ कंठहार-स्वरूप है । शिक्षाष्टक (हिन्दी अर्थ सहित)!!!!!!! श्रीचैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं का सार आठ पदों में ‘शिक्षाष्टक’ में दिया गया है । शिक्षाष्टक संस...