महा दारिद्र्य नाशक कृतिका नक्षत्र युक्त सोमवार

*महादारिद्रय नाशक कृत्तिका नक्षत्र युक्त सोमवार....*

*02 मे 2022 को वैशाख  मास का कृत्तिका नक्षत्र युक्त सोमवार है।*

शिवपुराण विश्वेश्वरसंहिता अध्याय 16 के अनुसार...

कृत्तिकासोमवारेषु शिवस्य यजनं नृणाम् ॥
महादारिद्र्यशमनं सर्वसंपत्करं भवेत् ॥
गृहक्षेत्रादिदानाच्च गृहोपकरणादिना ॥

कृत्तिका नक्षत्र से युक्त सोमवारों को किया हुआ शिवजी का पूजन मनुष्यों के महादारिद्र को मिटाने वाला और संपूर्ण संपत्तियों को देने वाला हैं। घर की आवश्यक सामग्रियों के साथ गृह और क्षेत्र आदि का दान करने से भी उक्त फल की प्राप्ति होती है।

लिङ्गपुराण के अनुसार चंद्र की उत्पत्ति कृत्तिका में ही हुई थी अतः इसको चंद्र का जन्म नक्षत्र माना जाता है। 

“ शीतरश्मिः समुत्पन्नः कृत्तिकासु निशाकरः ”

शिवपुराण, विश्वेश्वरसंहिता में सोम (चन्द्र) को संपत्तियों का दाता कहा है.

“ आरोग्यं संपदश्चैव व्याधीनां शांतिरेव च ”

कालपुरुष की कुंडली में चंद्र चतुर्थ भाव के स्वामी होकर द्वितीय भाव में (अपने से ग्यारहवें) उच्च के होते हैं। इसका अर्थ है सम्पत्ति के लिए परम आवश्यक है प्राप्ति, लाभ, सिद्धि, पूर्णता।

 हमारे शास्त्रों में एक गृहस्थ के लिए प्रत्येक कार्य, अनुष्ठान की पूर्णता के लिए ब्राह्मण भोजन पर जोर दिया है। संपत्ति की प्राप्ति का भी यही साधन है।

संपत्ति का अर्थ सिर्फ जमीन से नहीं होता अपितु श्री, लक्ष्मी, धनसमृद्धिः, ऐश्वर्य सभी संपत्ति  हैं। भगवान शिव ने सोम को समस्त राज्य का प्रदाता कहा है।
" प्रदाता सर्वराज्यस्य श्रेष्ठश्चैव ततो हि सः "

गृहस्थ संपत्ति की प्राप्ति के लिए क्या करें????

शिवपुराण, विश्वेश्वरसंहिता, अध्याय 14....

" सोमवारे च लक्ष्म्यादीन्संपदर्थं यजेद्बुधः
आज्यान्नेन तथा विप्रान्सपत्नीकांश्च भोजयेत् "

विद्वान् पुरुष सोमवार को सम्पत्ति की प्राप्ति के लिये लक्ष्मी की पूजा करे तथा सपत्नीक ब्राह्मणों को घृतपक्व अन्न का भोजन कराये। 

शिवपुराण के अनुसार ही शिवलिङ्ग पर अक्षत अर्पित करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।

 दीपक की ज्योति में लक्ष्मी का वास होता है अतः दीपदान जरूर करें। लक्ष्मी प्राप्ति की इच्छा से किये हुए दीपदान में दीपक का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिये। शुद्ध गाय के घी का दीपक जलाएं और उसमें थोड़ी केसर भी दाल दें।

धन संपत्ति प्राप्ति, दरिद्रता निवारण के लिए दूध से रुद्राभिषेक करें, बिल्वपत्र अथवा पुष्प से शिव सहस्त्रार्चन (अर्थात शिव के 1000 नाम बोलते हुए कोई वस्तु जैसे बिल्वपत्र, पुष्प, अक्षत, मेवा आदि अर्पित करना) करें।

 दारिद्रदहन शिवस्तोत्र का पाठ करें। कुबेरकृत शिवस्तोत्र का पाठ करें जिससे कुबेर अपनी छिनी हुई धन-सम्पत्ति फिर से प्राप्त की थी। 

ब्रह्मवैवर्तपुराण तथा महाभारत के अनुसार कृत्तिका नक्षत्र में घी और खीर से युक्त भोजन ब्राह्मण व साधु संतो को दान करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। उत्तम स्वास्थ्य सर्वोत्तम धन है।

 कृत्तिका नक्षत्र में आपके लिए प्रस्तुत है स्कन्दपुराण, माहेश्वरखण्ड, कौमारिकाखण्ड से सङ्कलित ....

कार्तिकेय द्वारा शिव स्तुति....

नमः शिवायास्तु निरामयाय, 
नमः शिवायास्तु मनोमयाय । 
नमः शिवायास्तु सुरार्चिताय 
तुभ्यं सदा भक्त कृपापराय ।।

नमो भवायस्तु भवोद्भवाय 
नमोस्तु ते ध्वस्त मनोभावय ।  
नमोस्तु ते गूढ़महाव्रताय 
नमोस्तु मायागहनाश्रयाय ।।

नमोस्तु शर्वाय नमः शिवाय 
नमोस्तु सिद्धाय पुरातनाय । 
नमोस्तु कालाय नमः 
कलाय नमोस्तु ते कालकलातिगाय ।।

नमो निसर्गात्मकभूतिकाय 
नामोस्त्वमेयोक्षमहर्धिकाय । 
नमः शरण्याय नमोगुणाय 
नमोस्तु ते भीमगुणानुगाय ।।

नमोस्तु नाना भुवनाधिकात्रे 
नमोस्तु भक्ताभिमतप्रदात्रे । 
नमोस्तु कर्मप्रसवाय धात्रे नमः 
सदा ते भगवन्सुकत्रे ।।

अनंतरूपाय सदैव तुभ्यमसह्योकोपाय सदैव तुभ्यं । 
अमेयमानाय नमोस्तु तुभ्यं वृषेन्द्रयानाय नमोस्तु तुभ्यम ।।

नमः प्रसिद्धाय महौषधाय नमोस्तु ते व्याधिगणापहाय । 
चराचरायाथ विचारदाय कुमारनाथाय नमः शिवाय ।।

ममेश भूतेश महेश्वरोसि कामेश वागीश बलेश धीश । 
क्रोधेश मोहेश परापरेश नमोस्तु मोक्षेश गुहशयेश ।।

प्रभु स्वयं कहते हैं जो लोग सांय काल और सवेरे पूर्ण भक्तिपूर्वक इस स्तुति से शिव पूजा करेगा उन्हें कोई रोग नहीं होगा, दरिद्रता भी नहीं होगी तथा प्रियजनों से कभी वियोग भी न होगा। वे इस संसार में दुर्लभ भोगो का उपभोग करके मेरे परम धाम को प्राप्त होंगे। इतना ही नहीं, मैं उन्हें और भी परम दुर्लभ वर प्रदान करूँगा।
Shashtriji bhavnagar.

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