nasorine

गोतीर्थ नस्य (NASORINE) 

नाक के रोग क्या हैं? कब और क्यों 
होते है। 


नाक के रोग अक्सर तकलीफदेह होते हैं। नाक हमारे शरीर का एक अहम अंग है, जिसके माध्यम से हम ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बनडाइऑक्साइड छोड़ते हैं। नाक के रोग कई प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ जल्दी ठीक हो जाते हैं तो कुछ को ठीक होने में वक्त लगता है। नाक के रोग की विस्तृत जानकारी आपको उनसे बचाव करने में मदद करती है। यह हवा को फिल्टर करके, उसमें से धूल-मिट्टी और जलन पैदा करने वाले कणों को निकाल देती है। यह हवा को गर्म और नमी भरा बनाए रखती है, जिससे आपके फेफड़े और ट्यूब्स सूखते नही हैं। गोतीर्थ की नस्य  न केवल नाक के रोग  को दूर करता  है बल्कि  आज के इस  युग  मे माइग्रेन
इतनी तेजी से बढ़ रहा है लोग  इसका इलाज लाखों में कराते हैं वही गोतीर्थ का उद्देश्य मानव जीवन को स्वस्थ रखना तथा गाय माता को स्वालंबन देना है तथा उनके गव्य से उत्पादित गव्य औषधियां तैयार करना है जिसमें  से एक  नस्य है जो कितनी प्रभावी है 

गुणधर्म एवं उपयोग
• साइनस, बार-बार  छींके आना, आधासीसी, सिर दर्द डस्ट एलर्जी तथा माइग्रेन में बहुत उपयोगी है।
• मूर्छा को दूर करता है खर्राटों को बंद करता है।
• बार बार नाकसीर आना ठीक करता है।
• लकवा अधरंग में उपयोगी  है व लगातार प्रयोग करने से लकवा व अधरंग होने से बचाता है।
• दिमागी कमजोरी को दूर कर यादाश्त तेज करता है और कंधे से ऊपर की सभी बीमारियों में बहुत उपयोगी है ।
• बच्चों की स्मृति बढ़ाने के लिए व चंचलता दूर करने के लिए उपयोगी है।
• अस्थमा के रोगी (nasorine) के साथ श्वास रोग हर (Breathon)  का भी प्रयोग करें, इससे पंप की पराधीनता छूट जाएगी।
• मिर्गी के दौरों में लाभदायक है।
• जिनको नजला है व बार बार जुकाम होता है वे इसका जरूर प्रयोग करें।
• जिन्हें नींद नहीं आती उनको जरूर उपयोग करना चाहिए।
• डिप्रेशन के रोगी अवश्य प्रयोग करें।

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