त्रि स्पृषा विजया एकादशी।।

त्रिस्प्रुषा विजया एकादशी

समय रविवार 27/02/2022 को त्रिशप्रुष एकादशी है। इस दिन एकादशी, द्वादशी एवं  तत्योदशी तीन तिथियों का संग्रह है, इसलिए इस एकादशी को त्रिशप्रुषा एकादशी कहा जाता है और यह सबसे बड़ी एकादशी है।  इसका व्रत करने से एक हजार एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता है।  जब कोई व्यक्ति एकादशी का व्रत चालीस वर्ष तक करता है तो उसका एक हजार एकादशी व्रतका फल प्राप्त होता है। एकादशीका माहात्म्य पढ़ने और सुननेसे एक हजार गौदानका फल प्राप्त होता हे। दिंनांक 2/03/2022 के दिन द्वापर यूगादी की तिथि है। उस दिन स्नान, जप, ध्यान, यज्ञ करनेसे अनँत फलकी प्राप्ति होती है।
                  🌷व्रत कथा🌷
इस कथा के अनुसार त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री रामचंद्रजी को जब चौदह वर्ष का वनवास हो गया, तब वे श्री लक्ष्मण तथा सीताजी सहित पंचवटी में निवास करने लगे। वहां पर दुष्ट रावण ने जब सीताजी का हरण किया तब इस समाचार से श्री रामचंद्रजी तथा लक्ष्मण अत्यंत व्याकुल हुए और सीताजी की खोज में चल दिए। घूमते-घूमते जब वे मरणासन्न जटायु के पास पहुंचे तो जटायु उन्हें सीताजी का वृत्तांत सुनाकर स्वर्गलोक चला गया। कुछ आगे जाकर उनकी सुग्रीव से मित्रता हुई और बाली का वध किया। हनुमानजी ने लंका में जाकर सीताजी का पता लगाया और उनसे श्री रामचंद्रजी और सुग्रीव की मित्रता का वर्णन किया। वहां से लौटकर हनुमानजी ने भगवान राम के पास आकर सब समाचार कहे। श्री रामचंद्रजी ने वानर सेना सहित सुग्रीव की सम्पत्ति से लंका को प्रस्थान किया। जब श्री रामचंद्रजी समुद्र से किनारे पहुंचे तब उन्होंने मगरमच्छ आदि से युक्त उस अगाध समुद्र को देखकर लक्ष्मणजी से कहा कि इस समुद्र को हम किस प्रकार से पार करेंगे। श्री लक्ष्मण ने कहा हे पुराण पुरुषोत्तम, आप आदिपुरुष हैं, सब कुछ जानते हैं। यहां से आधा योजन दूर पर कुमारी द्वीप में वकदालभ्य नाम के मुनि रहते हैं। उन्होंने अनेक ब्रह्मा देखे हैं, आप उनके पास जाकर इसका उपाय पूछिए।
लक्ष्मणजी के इस प्रकार के वचन सुनकर श्री रामचंद्रजी वकदालभ्य ऋषि के पास गए और उनको प्रमाण करके बैठ गए। मुनि ने भी उनको मनुष्य रूप धारण किए हुए पुराण पुरुषोत्तम समझकर उनसे पूछा कि हे राम! आपका आना कैसे हुआ? रामचंद्रजी कहने लगे कि हे ऋषे! मैं अपनी सेना सहित यहां आया हूं और राक्षसों को जीतने के लिए लंका जा रहा हूं। आप कृपा करके समुद्र पार करने का कोई उपाय बतलाइए। मैं इसी कारण आपके पास आया हूं। वकदालभ्य ऋषि बोले कि, हे राम! फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का उत्तम व्रत करने से निश्चय ही आपकी विजय होगी, साथ ही आप समुद्र भी अवश्य पार कर लेंगे। अत: प्रभु श्री राम ने इस एकादशी का व्रत करके रावण पर विजय प्राप्त की थी।
      ।।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।
 

Comments

Popular posts from this blog

કર્મકાંડી બ્રાહ્મણ મિત્રો ની ટ્રસ્ટ મંડળ ની વાર્ષિક મિટિંગ આયોજન સિહોર ભાવનગર

અષ્ટલક્ષ્મી સ્તોત્ર spritualshastri

मंगल गीतम spritualshastri