Janmashtmi vishe

जन्माष्टमी पर आज एक साथ तीन संयोग!
**********************************
स्मार्त समुदाय आज और वैष्णव समुदाय कल मनाएगा जन्माष्टमी
================================
अधिकतर श्रद्धालु आज यानी 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। स्मार्त अर्थात् पंचदेवों की पूजा करने वाले श्रद्धालु 23 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव समुदाय के श्रद्धालु अवश्य कल यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। जन्माष्टमी पर ग्रह गोचरों का महासंयोग वरदान होगा। इस तिथि पर छत्र योग, सौभाग्य सुंदरी योग और श्रीवत्स योग बन रहा है। यह पर्व पूजन और व्रतियों के लिए फलदायी सिद्ध होगा। 14 वर्षों के बाद तीन संयोग एक साथ बने हैं। जन्माष्टमी के समय सूर्यदेव अपनी सिंह राशि में रहेंगे।

मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, जो कि इस बार 23 अगस्त को पड़ रही है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाना सर्वोत्तम माना गया है।
रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 रात 11.56 बजे से ही शुरू हो जाएगा। 23 अगस्त को रोहिणी नक्षत्र 44 घटी का है इसलिए कृष्ण का जन्मदिन इस घटी में मनाना ही शुभ माना गया है। इस बार 23 अगस्त शुक्रवार को अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र से युक्त अत्यंत पुण्यकारक जयंती योग में मनाया जाएगा। वही वैष्णव संप्रदाय व साधु संतों की कृष्णाष्टमी 24 अगस्त शनिवार को उदया तिथि अष्टमी एवं औदयिक रोहिणी नक्षत्र से युक्त सर्वार्थ अमृत सिद्धि योग में मनाई जाएगी।

23 को जन्माष्टमी मनाने के तर्क
---------------------------------------------
भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के योग में हुआ था। शुक्रवार, 23 अगस्त को अष्टमी तिथि रहेगी और इसी तारीख की रात में 11.56 बजे से रोहिणी नक्षत्र शुरू हो जाएगा, इस वजह से 23 अगस्त की रात जन्माष्टमी मनाना ज्यादा शुभ रहेगा। भक्तों को 23 अगस्त को ही श्रीकृष्ण के लिए व्रत-उपवास और पूजा-पाठ करना चाहिए। अष्टमी तिथि 24 अगस्त को सूर्योदय काल में रहेगी, लेकिन दिन में तिथि बदल जाएगी। ये दिन अष्टमी-नवमी तिथि से युक्त रहेगा। इसलिए 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाना उचित नहीं होगा।

स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय में मतभेद क्यों?
-----------------------------------------------------
स्मार्त संप्रदाय के मंदिरों में, साधु-संन्यासी और शैव संप्रदाय के श्रद्धालु शुक्रवार यानी 23 अगस्त को, जबकि वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में शनिवार यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। स्मार्त संप्रदाय यानी जो लोग पंचदेवों की पूजा करते हैं। शैव संप्रदाय वाले शिवजी को प्रमुख मानते हैं। विष्णु के उपासक या विष्णु के अवतारों को मानने वाले वैष्णव कहलाते हैं। जन्माष्टमी को लेकर पंचांग भेद है, क्योंकि 23 अगस्त को उदया तिथि में रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा, 24 अगस्त को अष्टमी तिथि नहीं है। श्रीकृष्ण का जन्म इन्हीं दोनों योग में हुआ था।

इन बातों का रखें विशेष ध्यान
**************************
1. इस दिन अगर आप दूसरों को नुकसान पहुंचाते हैं तो इसका तीन गुना पाप भी आपको भोगना पड़ता है। इसलिए जन्माष्टमी पर कोई बुरा काम न करें।
2. इस दिन कान्हा की पुरानी मूर्ति भी पूजनी चाहिए।
3. जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज भी कहा जाता है। इस दिन घर में शांति और सद्भाव बनाए रखने से लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इसलिए विवाद कलह से दूर रहें।
4. विष्णु पुराण के अनुसार इस दिन भगवान के भोग में तुलसी का पत्ता जरूर होना चाहिए। बिना तुलसी के भगवान प्रसाद स्वीकार नहीं करते।
5. जन्माष्टमी के दिन सात्विक भोजन करना चाहिए। इस दिन मांस, मछली और मदिरा का सेवन न करें।

जय श्री कृष्णा
ओम नमो नारायण
जय भगवान

#Shashtriji_bhavnagar

#शास्त्री जी भावनगरshashtrijimjbhavnagar

Comments

Popular posts from this blog

व्यतिपात योग कब हे? जानिए क्या करे और क्या नहीं

panchang dt२९/०६/२५

रथयात्रा जगन्नाथपुरी