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Showing posts from January, 2019

નવધા ભક્તિ good morning

🌞🌻 *સુપ્રભાતમ્* 🌻🌞 🙏🏻 *જય ભગવાન* 🙏🏻 🌹 *ૐ નમો નારાયણ* 🌹 🍂   🍂   🍂   🕉   🍂   🍂   🍂 🌇🌇🌇🌇🌇🌇🌇🌇🌇  *🌷🌷।। नवघा भक्ति ।।🌷🌷*  प्राचीन शास्त्रों में भक्ति के *" ९ "* प्रकार बताए गए हैं जिसे नवधा भक्ति कहते हैं। श्रवणं, कीर्तनं, विष्णोः स्मरणं, पादसेवनम्। अर्चनं, वन्दनं, दास्यं, सख्य, आत्मनिवेदनम्॥ श्रवण *(परीक्षित),*  कीर्तन *(शुकदेव),*  स्मरण *(प्रह्लाद),*  पादसेवन *(लक्ष्मी),*  अर्चन *(पृथुराजा),*  वंदन *(अक्रूर),*  दास्य *(हनुमान),*  सख्य *(अर्जुन)* और  आत्मनिवेदन *(बलि राजा)* -  इन्हें *नवधा भक्ति* कहते हैं। *👉श्रवण:*  ईश्वर की लीला, कथा, महत्व, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम श्रद्धा सहित अतृप्त मन से निरंतर सुनना। *👉कीर्तन:*  ईश्वर के गुण, चरित्र, नाम, पराक्रम आदि का आनंद एवं उत्साह के साथ कीर्तन करना। *👉स्मरण:*  निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना। *👉पाद सेवन:*  ईश्वर क...

शुभ चिंतन शास्त्रीजी भावनगर

🌻 *जय भगवान* 🌻 ☀ *सुप्रभातम्* ☀ ( सुंदर भाव कथा ) *मदद*                  रात दस बजे लगभग अचानक मुझे एलर्जी हो गई।घर पर दवाई नहीं, न ही इस समय मेरे अलावा घर में कोई और।                  श्रीमती जी बच्चों के पास गोवा और हम रह गए अकेले।                ड्राईवर भी अपने घर जा चुका था बाहर हल्की बारिश की बूंदे सावन महीने के कारण बरस रही थी।                दवा की दुकान ज्यादा दूर नहीं थी पैदल भी जा सकता था लेकिन बारिश की वज़ह से मैंने रिक्शा लेना उचित समझा।                *बगल में राम मन्दिर बन रहा था*।  एक रिक्शा वाला भगवान की प्रार्थना कर रहा था।               मैंने उससे पूछा चलोगे, तो उसने सहमति में सर हिलाया और बैठ गए हम रिक्शा में!                रिक्शा वाला काफी़ बीमार लग रहा था और उसकी आँखों में आँसू ...

शुभ रात्रि shashtriji mayur bhai jani

🌻 *जय भगवान* 🌻 🙏🏻🌹 *जय गुरुदेव* 🌹🙏🏻 ☘️🌷 जय बाबा स्वामी   🌷☘️ "लोग मुझसे आकर पूछते हैं -  गुरु जी हमें कैसे मालूम चलेगा की हम  मोक्ष के मार्ग पर कितना आगे बड़े?  मैं उनको कहता हूँ देखो भाई,  अगर तो तुम्हारे परिवार के सदस्यों की सिर्फ़ अच्छाइयों को देख के तुम प्रसन्न होते हो, उनकी प्रशंसा करते हो, उनको स्वीकार करते हो, उनसे प्रेम करते हो, उनको क्षमा कर देते हो और उनको judge नहीं करते, तब समझ लेना सही मार्ग पर चल रहे हो|और यदि अच्छाई और बुराई की परिभाषा तुम स्वयं ही बनाकर अपने परिवार वालों को उन्ही मापदंडों के आधार पर अच्छा या बुरा कह देते हो, तब तुम्हें अभी अपनी अंतर यात्रा और तय करनी है|   🌹 🌹 🌹 🌹🌹🌹🌹🌹🌹 💐🕉 *नमो नारायणाय* 🌞💐 🖋 *शास्त्रीजी भावनगर*  🌞

શુભ રાત્રિ શાસ્ત્રીજી ભાવનગર

🌻🙏🏻 *શુભ રાત્રિ* 🙏🏻🌻 🙏🏻🌹 *જય ભગવાન*  🌹🙏🏻 🌹🕉 *નમો નારાયણાય* 🕉🌹 " बूरा मत देखो"                    ~~~~~~~~  हम हमारी आँखो से जो भी देखते हैं,  उसका अच्छा  या बूरा प़भाव हमारे चीत पर पड़ता है|कोई किसी घटना का वणँन करता है तो जो प़भाव नही पड़ाता, उससे अधिक प़भाव चित्र  से पडता है|                     बुरे व्यक्तियों को देखना, बूरा घटनाओं को देखना तो दूर,  मै तो उनके "चित्र " भी देखने को मना कर रहा हूँ |आप ऐसा कुछ भी अपनी आँखों  से मत देखो जो आपके चित पर बुरा प़भाव डाले क्योंकि प़त्येक "फोटो"(चित्र) की खराब ऊजाँ चित को प़दूषित करते ही  रहती है | हमारे चित को कमजोर करने में हमारी "आँखो" का बड़ा योगदान है| आपके सामने ऐसा कोईभी दूष्य दिखता है, आप तुरंत अपनी नजर अपनी नजर वहाँ से हटा लो क्योंकि केवल नजर को हटाना ही आपके हाथ में है,   वही करो|                      ...

वेदों नि वर्ण व्यवस्था

💐 *जय भगवान* 💐 *🕉 नमो नारायणाय* 🌷 🌞 *सुप्रभातम्* 🌞 *વેદો ની વર્ણવ્યવસ્થા* *વેદો ને ભણતી વખતે ત્રણ પદ્ધતિ માંથી પસાર થવાનુ હોય છે* ૧) પરંપરાગતા ગુરુ શિષ્ય પરંપરા થી આચાર્યથી પઠન (આ મેસેજ માં કર્મ થી વર્ણવ્યવસ્થા ના દુષ્પ્રચાર સામે લડવા હુ વેદપઠન કરાવવા માટે અધિકૃત આચાર્ય ન હોવા છતા વેદ પર ચર્ચા કરી રહ્યો છુ જે બદલ વેદ ની ક્ષમા માંગુ છુ ૨)તર્ક ૩)મનન  પહેલી પરંપરા મુજબ અર્થઘટન સમજાવુ વાંચો👇🏻 આજકાલ કેટલાક હિંદુત્વ ના નામે ચાલતા શાસ્ત્રવિહીન સંગઠનો આર્ય સમાજ ગાયત્રી પરિવાર નો દુષ્પ્રચાર છે કે વેદકાલીન વર્ણવ્યવસ્થા જન્મ આધારિત નહોતી શાળા ના પુસ્તકો મા પણ અેવુ કહેવામા આવે છે કે વેદકાલીન વર્ણવ્યવસ્થા કર્મ ને અાધિન હતી પાછળ થી બ્રાહ્મણો અે તેમા બદલાવ કર્યો. આ માટે ઋગ્વેદ ના પુરુષસુક્ત નો શ્લોક ૧૨ અને ૧૩ મુકી દેવામાં આવશે (ઋગ્વેદ ૧૦ :૯૦) यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन्। मुखं किमस्य कौ बाहू का उरू पादा उच्येते॥१२॥ राजन्य: कृत: ब्राह्मणोऽस्य मुखामासीद्वाहू। ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत॥१३॥ આ શ્લોક મુકી તેનુ ભાષાંતર કરશે કે  સંકલ્પ દ્ધારા પ્રકટ કરવા વાળા વિરાટ પુરુષ...

यज्ञ कितने प्रकार के होते है।

यज्ञ दो प्रकार के होते है- श्रौत और स्मार्त। श्रुति   पति पादित यज्ञो को श्रौत यज्ञ और स्मृति प्रतिपादित यज्ञो को स्मार्त यज्ञ कहते है। श्रौत यज्ञ में केवल श्रुति प्रतिपादित मंत्रो का प्रयोग होता है और स्मार्त यज्ञ में वैदिक पौराणिक और तांत्रिक मंन्त्रों का प्रयोग होता है। वेदों में अनेक प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है। किन्तु उनमें पांच यज्ञ ही प्रधान माने गये हैं - 1. अग्नि होत्रम, 2. दर्शपूर्ण मासौ, 3. चातुर्म स्यानि, 4. पशुयांग, 5. सोमयज्ञ, ये पाॅंच प्रकार के यज्ञ कहे गये है, यह श्रुति प्रतिपादित है। वेदों में श्रौत यज्ञों की अत्यन्त महिमा वर्णित है। श्रौत यज्ञों को श्रेष्ठतम कर्म कहा है कुल श्रौत यज्ञो को १९ प्रकार से विभक्त कर उनका संक्षिप्त परिचय दिया जा रहा है। 1. स्मार्त यज्ञः- विवाह के अनन्तर विधिपूर्वक अग्नि का स्थापन करके जिस अग्नि में प्रातः सायं नित्य हनादि कृत्य किये जाते है। उसे स्मार्ताग्नि कहते है। गृहस्थ को स्मार्ताग्नि में पका भोजन प्रतिदिन करना चाहिये। 2. श्रोताधान यज्ञः- दक्षिणाग्नि विधिपूर्वक स्थापना को श्रौताधान कहते है। पितृ संबंधी कार्य होते है। 3....

काली भेद

काली के भेद........ काली के अलग - अलग तंत्रों में अनेक भेद हैं । अष्ट काली के भेद इस प्रकार हैं - १. संहार-काली, २. दक्षिण-काली, ३. भद्र-काली, ४. गुह्य-काली, ५. महा-काली, ६. वीर-काली, ७. उग्र-काली तथा ८. चण्ड-काली ।                 ‘कालिका-पुराण’ में उल्लेख हैं कि आदि-सृष्टि में भगवती ने महिषासुर को “उग्र-चण्डी” रुप से मारा एवं द्वितीयसृष्टि में ‘उग्र-चण्डी’ ही “महा-काली” अथवा महामाया कहलाई गयी है ।          योगनिद्रा महामाया जगद्धात्री जगन्मयी ।           भुजैः षोडशभिर्युक्ताः             इसी का नाम “भद्रकाली” भी है । भगवती कात्यायनी ‘दशभुजा’ वाली दुर्गा है । उसी को “उग्र-काली” कहा गया है ।  कालिकापुराणे –           कात्यायनीमुग्रकाली दुर्गामिति तु तांविदुः ।               “संहार-काली” की चार भुजाएँ हैं यही ‘धूम्र-लोचन’ का वध करने वाली हैं । “वीर-काली” अष्ट-भुजा हैं, इन्होंने ही चण्ड ...