નવધા ભક્તિ good morning

🌞🌻 *સુપ્રભાતમ્* 🌻🌞

🙏🏻 *જય ભગવાન* 🙏🏻

🌹 *ૐ નમો નારાયણ* 🌹


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*🌷🌷।। नवघा भक्ति ।।🌷🌷* 

प्राचीन शास्त्रों में भक्ति के *" ९ "* प्रकार बताए गए हैं जिसे नवधा भक्ति कहते हैं।

श्रवणं, कीर्तनं, विष्णोः स्मरणं, पादसेवनम्। अर्चनं, वन्दनं, दास्यं, सख्य, आत्मनिवेदनम्॥

श्रवण *(परीक्षित),* 

कीर्तन *(शुकदेव),* 

स्मरण *(प्रह्लाद),* 

पादसेवन *(लक्ष्मी),* 

अर्चन *(पृथुराजा),* 

वंदन *(अक्रूर),* 

दास्य *(हनुमान),* 

सख्य *(अर्जुन)* और 

आत्मनिवेदन *(बलि राजा)* - 

इन्हें *नवधा भक्ति* कहते हैं।

*👉श्रवण:* 

ईश्वर की लीला, कथा, महत्व, शक्ति, स्रोत इत्यादि को परम श्रद्धा सहित अतृप्त मन से निरंतर सुनना।

*👉कीर्तन:* 

ईश्वर के गुण, चरित्र, नाम, पराक्रम आदि का आनंद एवं उत्साह के साथ कीर्तन करना।

*👉स्मरण:* 

निरंतर अनन्य भाव से परमेश्वर का स्मरण करना, उनके महात्म्य और शक्ति का स्मरण कर उस पर मुग्ध होना।

*👉पाद सेवन:* 

ईश्वर के चरणों का आश्रय लेना और उन्हीं को अपना सर्वस्य समझना।

*👉अर्चन:* 

मन, वचन और कर्म द्वारा पवित्र सामग्री से ईश्वर के चरणों का पूजन करना।

*👉वंदन:* 

भगवान की मूर्ति को अथवा भगवान के अंश रूप में व्याप्त भक्तजन, आचार्य, ब्राह्मण, गुरूजन, माता-पिता आदि को परम आदर सत्कार के साथ पवित्र भाव से नमस्कार करना या उनकी सेवा करना।

*👉दास्य:* 

ईश्वर को स्वामी और अपने को दास समझकर परम श्रद्धा के साथ सेवा करना।

*👉सख्य:* 

ईश्वर को ही अपना परम मित्र समझकर अपना सर्वस्व उसे समर्पण कर देना तथा सच्चे भाव से अपने पाप पुण्य का निवेदन करना।

*👉आत्मनिवेदन:* 

अपने आपको भगवान के चरणों में सदा के लिए समर्पण कर देना और कुछ भी अपनी स्वतंत्र सत्ता न रखना। यह भक्ति की सबसे उत्तम अवस्था मानी गई हैं।

*🌻🌻🌻जय श्री कृष्ण🌻🌻🌻*

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🌻 *ૐ નમો નારાયણાય* 🌻

🖋 *શાસ્ત્રીજી ભાવનગર* 🌹🙏🏻

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