ઉપાસના માં માળા નું મહત્વ ભૂદેવ38
, : *🙏श्री गणेशाय नम:🙏* :
, *जय माता दी*
*उपासना में माला का महत्व*
- प्रार्थना करने के कई तरीके हैं, शब्द, कीर्तन या मंत्र से प्रार्थना
- इनमें मंत्र सबसे ज्यादा प्रभावशाली माने जाते हैं
- मन को तुरंत एकाग्र करते हैं मंत्र, इनका प्रभाव भी जल्दी होता है
- हर मंत्र में अलग प्रभाव और अलग शक्ति होती है
- मंत्र जाप के लिए अलग-अलग मालाओं का इस्तेमाल होता है
- ऐसा करने से अलग-अलग मन्त्रों की शक्ति का पूरा लाभ मिलता है
- मंत्र जाप में संख्या का विशेष महत्व है
-सही संख्या में मंत्रों का जाप करने के लिए भी माला का प्रयोग होता है
- माला में लगे हुए दानों को मनका कहते हैं
- आमतौर पर माला में 108 मनके होते हैं
-कभी-कभी माला में 27 या 74 मनके भी होते हैं
माला के प्रयोग की सावधानियां
- माला के मनकों की संख्या कम से कम 27 या 108 होनी चाहिए.
हर मनके के बाद एक गाँठ जरूर लगी होनी चाहिए.
- मंत्र जप के समय तर्जनी अंगुली से माला का स्पर्श नहीं होना चाहिए
- सुमेरु का उल्लंघन भी नहीं होना चाहिए.
- मंत्र जप के समय माला किसी वस्त्र से ढंकी होनी होनी चाहिए या गोमुखी में होनी चाहिए.
- मंत्र जाप करने के पूर्व हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए
- प्रार्थना करें कि माला से किया गया मंत्र जाप सफल हो .
- माला हमेशा व्यक्तिगत होनी चाहिए
- दूसरे की माला का प्रयोग नहीं करना चाहिए.
- जिस माला से मंत्र जाप करते हैं उसे धारण नहीं करना चाहिए.
रुद्राक्ष की माला का महत्व
- सामान्यतः किसी भी मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से कर सकते हैं
- शिव जी और उनके परिवार के लिए मन्त्र जाप रुद्राक्ष की माला से लाभकारी होता है
- महामृत्युंजय और लघुमृत्युंजय मन्त्र केवल रुद्राक्ष पर ही जपना चाहिए
स्फटिक की माला का महत्व
- ये माला एकाग्रता , सम्पन्नता और शान्ति की माला मानी जाती है
- माँ सरस्वती और माँ लक्ष्मी के मन्त्र इस माला से जपना उत्तम होता है
- धन प्राप्ति और एकाग्रता के लिए स्फटिक की माला धारण करें
हल्दी की माला का महत्व
- विशेष प्रयोगों और मनोकामनाओं के लिए हल्दी की माला का प्रयोग किया जाता है
- बृहस्पति देव और माँ बगलामुखी के मन्त्रों के लिए हल्दी की माला का प्रयोग होता है
- हल्दी की माला से ज्ञान और संतान प्राप्ति के मन्त्रों का जाप भी कर सकते हैं
चन्दन की माला का महत्व
- चन्दन की माला दो प्रकार की होती है - लाल चन्दन और श्वेत चन्दन
- देवी के मन्त्रों का जाप लाल चन्दन की माला से करना फलदायी होता है
- भगवान् कृष्ण के मन्त्रों के लिए सफ़ेद चन्दन की माला का प्रयोग कर सकते हैं
तुलसी की माला का महत्व
- वैष्णव परंपरा में इस माला का सर्वाधिक महत्व है
- भगवान विष्णु और उनके अवतारों के मन्त्रों का जाप इसी माला से किया जाता है
- ये माला धारण करने पर वैष्णव परंपरा का पालन जरूर करना चाहिए
- तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए.
- रूद्राक्ष से लेकर तुलसी तक, जानें मंत्र जाप कौन सी माला है बेहतर
स्फटिक की माला : स्फटिक पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है। इसके देवता कालाग्नि हैं। माता लक्ष्मी और सरस्वती की उपासना के लिए स्फटिक की माला शुभ मानी गई है। इसका मंत्र है- 'पंचवक्त्र: स्वयं रुद्र: कालाग्निर्नाम नामत:।।'
दरिद्रतानाशक मंत्र : ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:।
हालांकि इस माला से और भी कई मंत्र जप सकते हैं। इसकी माला से किसी मंत्र का जप करने से वह मंत्र शीघ्र ही सिद्ध हो जाता है। स्फटिक की माला को भगवती लक्ष्मी का रूप माना जाता है। इससे जहां लक्ष्मी की प्राप्ति होती है वहीं शुक्र ग्रह के दोष दूर भी होते हैं। स्फटिक के उपयोग से दु:ख और दारिद्र नष्ट होता है। माना जाता है कि इसे धारण करने से भूत-प्रेत आदि की बाधा से भी मुक्ति मिल जाती है। मां अम्बा की उपासना करने के लिए स्फटिक की माला का प्रयोग भी किया जाता है।
2.कमल गट्टे की माला : माता लक्ष्मी की उपासना के लिए कमल गट्टे की माला शुभ मानी गई है। हालांकि इससे भगवान विष्णु और माता कालीका की उपासना का विधान भी है।
कमलगट्टे से शुक्रवार के दिन प्रात: स्नान करने के बाद 108 बार ''ॐ श्रींश्रीं महालक्ष्म्यै' का जाप करें और फिर इस माला को धारण करेंगे तो धन संबंधी समस्या का समाधान होगा। इसके अलावा अक्षय तृतीया, दीपावली, अक्षय नवमी के दिन इस माला से कनकधारा स्तोत्र का जप करने वाले को धनलाभ के अवसर मिलते रहते हैं।
यदि इस माला से माता कालिका की पूजा या जप किया जाता है तो शत्रुओं पर विजयी होता है। मां काली की उपासना के लिए काली हल्दी अथवा नील कमल की माला का प्रयोग भी करना चाहिए।
पहला : ॐ कालिके नम:।
दूसरा : ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।
3.वैजयंती की माला : वैजयंती के बीजों की माला से भगवान विष्णु या सूर्यदेव की उपासना करने से ग्रह नक्षत्रों का प्रभाव खत्म हो जाता है। खासकर शनि का दोष समाप्त हो जाता है।
इसको धारण करने या प्रतिदिन इस माला से अपने ईष्ट का जप करने से नई शक्ति का संचार तथा आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। मानसिक शांति प्राप्त होती है जिससे व्यक्ति अपने कार्य क्षेत्र में मन लगाकर कार्य करता है।
4. तुलसी की माला : तुलसी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है। श्यामा तुलसी और रामा तुलसी। तुलसी और चंदन की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। इसके लिए मंत्र ॐ विष्णवै नमः का जप श्रेष्ठ माना गया है।
इसके अलावा क्लेशनाशक मंत्र : ॐ श्रीकृष्णाय शरणं मम। या कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम:॥ को सभी तरह के क्लेश को समाप्त करने वाला माना गया है। इस मंत्र का नित्य जप करने से कलह और क्लेशों का अंत होकर परिवार में खुशियां वापस लौट आती हैं।
इसके अलावा राम... राम... राम.... या ॐ हं हनुमते नम:। का जप करना चाहिए। तुलसी की माला में विद्युत शक्ति होती है। इस माला को पहनने से यश, कीर्ति और सौभाग्य बढ़ता है। शालग्राम पुराण में कहा गया है तुलसी की माला भोजन करते समय शरीर पर होने से अनेक यज्ञों का पुण्य मिलता है। तुलसी की माला पर कभी भी देवी और शिव जी के मन्त्रों का जप नहीं करना चाहिए।
5.चंदन की माला : चंदन दो प्रकार के पाए जाते हैं रक्त एवं श्वेत। मां दुर्गा की उपासना रक्त चंदन की माला से करना चाहिए। इससे मंगल ग्रह के दोष भी दूर होते हैं। इसके अलावा चंदन की माला विष्णु, राम और कृष्ण से संबंधित जपों की सिद्धि के लिए उपयोग में लाई जाती है। सफेद चंदन की माला से महासरस्वती, महालक्ष्मी मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का जप करना विशेष शुभफलप्रद होता है।
दुर्गा उपासना के लिए ॐ दुर्ग दुर्गाय नम: और गायत्री उपासना का लिए ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् || उक्त मंत्र का जप करने से यह बहुत ही जल्द सिद्ध हो जाता है।
चंदन की माला धारण करने से नौकरी पेशा में उन्नती तो होती ही है सभी लोग ऐसे व्यक्ति से खुश रहते हैं और सभी उसके मित्र बने रहते हैं। ऐसे व्यक्ति को सभी ओर से सहयोग प्राप्त होता रहता है। इसके अतिरिक्त इस माला को मानसिक शांति एवं लक्ष्मी प्राप्ति के लिए भी गले में धारण करने से लाभ होता है।
6. रुद्राक्ष की माला : रुद्राक्ष की माला से भगवान शंकर के सभी मंत्रों का जप किया जाता है जो तुरंत ही सिद्ध हो जाते हैं। शिव का मूल मंत्र है- ॐ नम: शिवाय। इस मंत्र का निरंतर जप करते रहने से चिंतामुक्त जीवन मिलता है। यह मंत्र जीवन में शांति और शीतलता प्रदान करता है। शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाते हुए यह शिव मंत्र बोलें व रुद्राक्ष की माला से जप भी करें। तीन शब्दों का यह मंत्र महामंत्र है।
इसके अलावा मृत्यु पर विजय के लिए महामृंत्युजय मंत्र : ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिंपुष्टिवर्द्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
पद्म पुराण, शिव महापुराण अनुसार इसे पहनने वाले को शिव लोक मिलता है। रुद्राक्ष यह सर्वकल्याणाकारी, मंगलप्रदाता एवं आयुष्यवर्द्धक है। पांचमुखी रुद्राख मेष, धनु, मीन, लग्न के जातकों के लिए अत्यन्त उपयोगी माना गया है। यह माला सामान्यत: सभी मंत्रों के जप के लिए उपयोगी मानी गई है। रूद्राक्ष की छोटे दानों की माला अधिक शुभ मानी जाती है। जितने बड़े दानों की माला होती है उतनी ही वह सस्ती भी होती है।
7. हल्दी की माला : हल्दी की माला से पीताम्बरा देवी मां बगलामुखी, भगवान गणेश और बृहस्पति देव के सभी मंत्रों का जप कर सकते हैं। बृहस्पति के लिए हल्दी या ‘जीया पोताज् की माला का प्रयोग करें। उपरोक्त माला से यदि बगलामुखी मंत्र का जाप करते हैं तो शत्रु बाधा निवारण होगा। बृहस्पति के मंत्रों का जप करते हैं तो जीवन में सुख और शांति आएगी। गणेशजी के मंत्रों का जप करते हैं तो सभी तरह के कष्ट मिटेगें और नौकरी एवं व्यापार में लाभ होगा।
हल्दी की माला विशेषकर धनु एवं मीन राशि वाले जातकों के लिए उपयोगी मानी गई है। हल्दी की मला भाग्य दोष का हरण करती है। हल्दी की माला धन एवं कामनापूर्ति और आरोग्यता के लिए श्रेष्ठ है। ऐसा माना जाता है कि पीलिया से पीड़ित व्यक्ति को हल्दी की माला पहनाना से पीलिया समाप्त हो जाता है।
8.मोती की माला : मोती, शंख या सीप की माला धारण करने वाले को संसार के समस्त प्रकार के लाभ मिलते हैं। इसके पहनने से चन्द्रमा संबंधी सभी दोष नष्ट हो जाते हैं। यह माला विशेषकर कर्क राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी जाती है। इस माला से चंद्रदेव और शिवजी की आराधना की जाती है। शंख माला किसी भी तरह के तांत्रिक मंत्र के लिए उपयोगी होती है।
9. मूंगे की माला : मूंगें के पत्थरों से बनाई गई इस माला से मंगल ग्रह की शांति होती है। विशेषकर मेष और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए उपयोगी मानी गई है। मूंगा मंगल ग्रह का रत्न है। अर्थात् मूंगा धारण करने से मंगल ग्रह से सम्बंधित सभी दोष दूर हो जाते हैं।
मूंगे की माला से मंगलदेव या हनुमानजी के मंत्र का जाप किया जा सकता है। इससे भूत-प्रेत, जादू-टोने और शनि पीड़ा से मुक्ति मिलती है।
10. माणिक्य की माला : माणिक्य या बेल की लकड़ी की माला से भगवान सूर्यदेव के मंत्रों का जाप किया जाता है। इससे सभी प्रकार के पितृदोष और ग्रह पीड़ा दूर हो जाती है।
. *"卐 ज्योतिषी और हस्तरेखाविद 卐"*
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