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Showing posts from July, 2023

ગોવિંદ દામોદર સ્તુતિ sbofficial

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ગોવિંદ દામોદર સ્તુતિ કરારવિન્દેન પદારવિન્દં મુખારવિન્દે વિનિવેશયન્તમ । વટસ્ય પત્રસ્ય પુટે શયાનં બાલં મુકુન્દં મનસા સ્મરામિ ।।૧|| શ્રીકૃષ્ણ ગોવિંદ હરે મુરારે હે નાથ નારાયણ વાસુદેવ । જીહવે પિબસ્વામૃતમેતદેવ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૨|| વિક્રેતુકામાકિલગોપકન્યા મુરારિપાદાર્પિતચિત્તવૃત્તિ: । દધ્યાદિકં મોહવશાદવોચદ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૩|| ગૃહે ગૃહે ગોપવધુ કદમ્બા: સર્વે મિલિત્વા સમવાપ્ય યોગમ । પુણ્યાનિ નામાનિ પઠન્તિ નિત્યં ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૪|| સુખં શયાના નિલયે નિજેપિ નામાનિ વિષ્ણો: પ્રવદંતિ મર્ત્યા: તે નીશ્ચિતં તન્મયતાં વ્રજંતિ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૫|| જીહવે સદૈવં ભજ સુંદરાણિ નામાનિ કૃષ્ણસ્ય મનોહરાણિ । સમસ્ત ભક્તાર્તિ વિનાશનાનિ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૬|| સુખાવસાને ઇદમેવ સારં દુઃખા વસાને ઇદમેવ જ્ઞેયમ । દેહાવસાને ઇદમેવ જાપ્યં ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૭|| શ્રીકૃષ્ણ રાધાવર ગોકુલેશ ગોપાલ ગોવર્ધનનાથ વિષ્ણો । જીહવે પિબસ્વામૃતમેતદેવ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૮|| જિહવે રસજ્ઞે મધુરપ્રિયા ત્વં સત્યં હિતં ત્વાં પરમં વદામિ । આવર્ણયેથા મધુરાક્ષરાણિ ગોવિંદ દામોદર માધવેતિ ।।૯|| ત્વામેવ યાચે મમ દેહિ...

एकादशी व्रत

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पद्मिनी एकादशी ( कमला एकादशी) 💐💐💐 अधिक मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को पद्मिनी एकादशी कहा जाता है। इसे कमला या पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते हैं।  हिन्दू पंचांग के अनुसार पद्मिनी एकादशी का व्रत जो महीना अधिक हो जाता है उस पर निर्भर करता है। इस एकादशी का व्रत करने के लिए कोई चन्द्र मास तय नहीं है। पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई को शनिवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस व्रत को करने से यश बढ़ता है और मृत्यु के बाद वैकुंठ की प्राप्ति होती है।  धर्मराज युधिष्‍ठिर बोले - हे जनार्दन ! अधिकमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? तथा उसकी विधि क्या है? कृपा करके आप मुझे बताइए। भगवान कृष्‍ण बोले- मलमास में अनेक पुण्यों को देने वाली एकादशी का नाम पद्मिनी है। इसका व्रत करने पर मनुष्य कीर्ति प्राप्त करके बैकुंठ को जाता है, जो मनुष्‍यों के लिए भी दुर्लभ है। कथा।🌺🌺🙏 त्रेता युग में एक पराक्रमी राजा था जिसका नाम कीतृवीर्य था। इस राजा की कई रानियाँ थी परंतु किसी भी रानी से राजा को संतान नहीं हुई। संतानहीन होने के कारण राजा...

पुरुषोत्तम मास

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પુરૂષોત્તમ માસની ૩૦ તિથિના વ્રત - દાન ૧. એકમનું વ્રત : પાપ વિનાશક - તલનું દાન ર. બીજનું વ્રત : રૂદ્રવ્રત - ગોળનું દાન દેવું (પ્રેત યોનિમાંથી છુટે) ૩. ત્રીજનું વ્રત : નીલ વ્રત - માથામાં તેલ ન નાખવું - બ્રાહ્મણને સીધુ આપવું. ૪. ચોથનું વ્રત : પ્રીતી વ્રત - ગૌરીપૂજન કરવું (સૌભાગ્યની વસ્તુનું દાન કરવું. ૫. પાંચમનું વ્રત : શિવવ્રત - શેરડીનું દાન કરવું અથવા દૂધનું દાન કરવું (અકાળ મૃત્યુ અટકે) ૬. છઠ્ઠનું વ્રત : સોમવ્રત - મીઠું નહિ ખાવાનું, મીઠાનું દાન કરવું (શત્રુ તથા ગુપ્તરોગ નાશ પામે છે. ૭. સાતમનું વ્રત : સુગતિ - સુખડના લાકડાનું દાન કરવું (સારી ગતિ મળે), ચોખાનું દાન કરવું. ૯. નોમનું વ્રત : વીરવ્રત - શકિત પ્રમાણે નાની બાળકી તથા ગૌરીમાની પૂજા કરવી. શણગારનું દાન કરવું. (પતિ અપરાધમાંથી છુટે). ૧૦. દશમનું વ્રત : ત્ર્યંબકં વ્રત આ દિવસે કુંભદાન દેવું. કુંભ ઉપર દિવો રાખી શિવમંદિરે મુકવો. ૧૧. અગિયારસનું વ્રત : એકાદશી વ્રત : દાન પુણ્યનો અને ઉપવાસનો મહિમા છે. ૧૨. બારસનું વ્રત : અહિંસા વ્રત : કુળદેવનો દિવો પ્રગટાવવો અને કુળદેવની પૂજા કરવી.      ૧૩...

શ્રાવણ માસ સોમવાર

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श्रावण सोमवार विशेष 〰️〰️🌸〰️🌸〰️〰️ श्रावण सोमवार का महत्त्व 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ श्रावण का सम्पूर्ण मास मनुष्यों में ही नही अपितु पशु पक्षियों में भी एक नव चेतना का संचार करता है जब प्रकृति अपने पुरे यौवन पर होती है और रिमझिम फुहारे साधारण व्यक्ति को भी कवि हृदय बना देती है। सावन में मौसम का परिवर्तन होने लगता है।प्रकृति हरियाली और फूलो से धरती का श्रुंगार देती है परन्तु धार्मिक परिदृश्य से सावन मास भगवान शिव को ही समर्पित रहता है। मान्यता है कि शिव आराधना से इस मास में विशेष फल प्राप्त होता है। इस महीने में हमारे सभी ज्योतिर्लिंगों की विशेष पूजा  ,अर्चना और अनुष्ठान की बड़ी प्राचीन एवं पौराणिक परम्परा रही है। रुद्राभिषेक के साथ साथ महामृत्युंजय का पाठ तथा काल सर्प दोष निवारण की विशेष पूजा का महत्वपूर्ण समय रहता है।यह वह मास है जब कहा जाता है जो मांगोगे वही मिलेगा।भोलेनाथ सबका भला करते है। श्रावण महीने में हर सोमवार को शिवजी का व्रत या उपवास रखा जाता है।श्रावण मास में पुरे माह भी व्रत रखा जाता है। इस महीने में प्रत्येक दिन स्कन्ध पुराण के एक अध्याय को अवश्य पढना चाहिए। यह महीना मनोकामना...

अनोखा लेख।

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पूर्व प्रधान मन्त्री। एक बार 94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने के कारण उसे मकान से निकाल दिया। बूढ़े व्यक्ति के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई और सामान था। बूढ़े ने मालिक से किराया देने के लिए कुछ समय देने का अनुरोध किया। पड़ोसियों को भी बूढ़े आदमी पर दया आयी और उनके कहने पर मकान मालिक को किराए का भुगतान करने के लिए उस बूढ़े आदमी को कुछ दिनों की मोहलत देने के लिए मना लिया। वह बूढ़ा आदमी अपना सामान अंदर ले गया। रास्ते से गुजर रहे एक पत्रकार ने रुक कर यह सारा नजारा देखा। उसने सोचा कि यह मामला उसके समाचार पत्र में प्रकाशित करने के लिए उपयोगी होगा। उसने एक शीर्षक भी सोच लिया,  ”क्रूर मकान मालिक, बूढ़े को पैसे के लिए किराए के घर से बाहर निकाल देता है।”  फिर उसने किराएदार बूढ़े की और किराए के घर की कुछ तस्वीरें भी ले लीं।  पत्रकार ने जाकर अपने प्रेस मालिक को इस घटना के बारे में बताया। प्रेस के मालिक ने तस्वीरों को देखा और हैरान रह गए। उन्होंने पत्रकार से पूछा, कि क्या व...

दक्षिणा के नियम।

*दक्षिणा के नियम* किसी एक ही कर्मकी दक्षिणा देनेमें— दाताके वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र) भेदसे दक्षिणामें शास्त्रानुसार अंतर होता है। *#ब्राह्मण_यजमानको—* शास्त्रोक्त नियत दक्षिणा ही देनी चाहिए। *#क्षत्रिय_यजमानको—*  दुगुनी दक्षिणा देनी चाहिए। *#वैश्य_यजमान—*  तिनगुनी दक्षिणा देवे,और  *#शूद्र_यजमान—* (जिनके यहां कुछ शास्त्रीय कर्म करनेका अधिकार है ऐसे सत्शूद्रों) को चौगुनी दक्षिणा देनी चाहिए। *यथोक्तां दक्षिणां दद्याद् ब्राह्मण: क्षत्रियस्तथा।* *द्विगुणां वैश्यवर्यस्तु त्रिगुणां शूद्रसत्तम:।* *चतुर्गुणां प्रयच्छेत मन्त्रसिद्धिविधीच्छया।।*                             (#सिद्धान्तसारसंग्रहे) इस श्लोकमें कही गई दक्षिणा साधारण यजमानोंके लिए है। यदि यजमान धनाढ्य या निर्धन है तो उनकी व्यवस्था इस प्रकार है— *धनिको द्विगुणं दद्यात् त्रिगुणन्तु महाधन:।* *यवार्द्धं तु दरिद्रेण दातव्यं पुण्यलब्घये।।* *दद्यान्महादरिद्रस्तु तदर्द्ध शुल्कमेव तु।।*               ...