गोपाष्टमी।।
*गोपाष्टमी*
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी. इसी दिन बाल कृष्ण और बलराम ने गाय चराना शुरू किया था.
बाल कृष्ण ने माता यशोदा से इस दिन गाय चराने की जिद की थी और यशोदा मइया ने कृष्ण के पिता से इसकी अनुमति मांगी थी. नंद महाराज से अनुमति दे दी । कहा कि गाय चराने की शुरुआत करने के लिए यह दिन अच्छा और शुभ है. इसलिए अष्टमी पर कृष्ण ग्वाला बन गए और उन्हें गोविन्दा के नाम से लोग पुकारने लगे.
*गोपाष्टमी का महत्व*
ऐसी मान्यता है कि गोपाष्टमी के दिन गौ सेवा करने वाले व्यक्ति के जीवन में कभी कोई संकट नहीं आता. जिस प्रकार एक मां अपनी संतान को हर सुख देना चाहती है, उसी प्रकार गौ माता भी सेवा करने वाले जातकों को अपने कोमल हृदय में स्थान देती हैं और उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं.
गाय माता का दूध, घी, दही, छाछ और यहां तक कि उनका मूत्र भी स्वास्थ्यवर्धक होता है. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हम गौ माता के ऋणी हैं और हमें उनका सम्मान करना चाहिए और सेवा करनी चाहिए. भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं में गौ माता की सेवा भी की है.🙏🙏🙏
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