पार्थिव शिव पूजन
पार्थिव शिव पूजन
नाद और विन्दुसे ३८ युक्त ओंकारके उच्चारणको विद्वान् पुरुष समानप्रणव कहते हैं। यदि प्रतिदिन आदरपूर्वक दस हजार पंचाक्षर मन्त्रका जप किया जाय अथवा दोनों सन्ध्याओंके समय एक-एक हजारका ही जप किया जाय तो उसे शिवपदकी प्राप्ति करानेवाला समझना चाहिये
विश्वेश्वर संहिता॥ ३६-३९ ॥
३९
ब्राह्मणोंके लिये आदिमें प्रणवसे युक्त पंचाक्षरमन्त्र अच्छा बताया गया है। फलकी प्राप्तिके लिये दीक्षापूर्वक गुरुसे मन्त्र ग्रहण करना चाहिये। कलशसे किया हुआ स्नान, मन्त्रकी दीक्षा, ९ मातृकाओंका न्यास, सत्यसे पवित्र अन्तःकरणवाला ब्राह्मण तथा ज्ञानी गुरु-इन सबको उत्तम माना गया है ।। ४०-४१ ॥
द्विजोंके लिये 'नमः शिवाय' के उच्चारणका विधान है। द्विजेतरोंके लिये अन्तमें नमः -पदके प्रयोगकी विधि है अर्थात् वे 'शिवाय नमः' इस मन्त्रका उच्चारण करें। स्त्रियोंके लिये भी कहीं-कहीं विधिपूर्वक अन्तमें नमः जोड़कर उच्चारणका ही विधान अर्थात् कोई-कोई ऋषि ब्राह्मणकी स्त्रियोंके लिये नमः पूर्वक शिवायके जपकी अनुमति देते हैं अर्थात् वे 'नमः शिवाय' का जप करें। पंचाक्षर मन्त्रका पाँच करोड़ जप करके मनुष्य भगवान् सदाशिवके समान हो जाता है। एक, दो, तीन अथवा चार करोड़का जप करनेसे क्रमशः ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र तथा महेश्वरका पद प्राप्त होता है।
आपको बता दें मिट्टी के शिवलिंग को पार्थिव शिवलिंग कहा जाता है। मिट्टी का शिवलिंग गाय के गोबर, गुड़, मक्खन, भस्म, मिट्टी और गंगा जल मिलाकर बनाया जाता है। पार्थिव शिवलिंग बनाते समय इन सभी चीजों को एक में मिला दें और फिर गंगाजल मिलाकर बनाएं। ध्यान रहे मिट्टी का शिवलिंग बनाते समय पवित्र मिट्टी का इस्तेमाल करे।
शिवलिंग की ऊंचाई
शिवलिंग बनाते समय ध्यान रहे कि यह 12 अंगुर से बड़ा नहीं होना चाहिए तथा अंगुष्ट से छोटा भी नहीं होना चाहिए। इससे आप विशष्ट रुद्राभिषेक भी करा सकते हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार सावन मास को शिव जी का माह माना जाता है, इसलिए इन दिनों में पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन का विशेष पुण्य मिलता है। शिवपुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया गया है। कहते हैं कि जो कोई भी सच्चे मन से इनका पूजन करता है उसकी सारी मोनकामना भगवान पूरी करते हैं। बता दें कि कलयुग में कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन प्रारम्भ किया था। शिव महापुराण के अनुसार पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। चलिए आगे जानते हैं इसके बारे में महत्वपूर्ण बातें-
शिव महापुराण के अनुसार इस पूजन से अन्न-धन, खुशहाल जीवन, पुत्र लाभ मिलता है और व्यक्ति को मानसिक तथा शारीरिक कष्टों से भी निजात मिलता है। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में सर्वप्रथम कुष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने की परंपरा की शुरुआत की थी
महत्व
ऐसा माना जाता है कि पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला। यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं। जो पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुःखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है।
कैसे करें पूजन
पूजन करने से पहले पार्थिव लिंग का निर्माण करना चाहिए। इसके लिए मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं। शिवलिंग के निर्माण में इस बात का ध्यान रखें कि यह 12 अंगुल से ऊंचा नहीं होना चाहिए। क्योंकि इससे अधिक ऊंचा होने पर पूजन का पुण्य प्राप्त नहीं होता है। फिर शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि जो प्रसाद शिवलिंग से स्पर्श कर जाए, उसे ग्रहण नहीं करें।
पूजन से पहले करें देवों की पूजा
शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती आदि का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। पार्थिव बनाने के बाद उसे परम ब्रह्म मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है।
सभी वर्गोके लीये अलग-अलग मन्त्र
१)द्विजोंके लिये 'ॐ नमः शिवाय'
२)द्विजेतरों(क्षत्रिय) के लिये अन्तमें नमः -पदके प्रयोगकी विधि है अर्थात् वे 'शिवाय नमः' इस मन्त्रका उच्चारण करें।
३)स्त्रियोंके लिये 'नमः शिवाय' का जप करें।
ॐ का उच्चारण न करे।
🍀 हर हर हर महादेव हर।🍀
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