હનુમાન જી કે ગુરુ સૂર્ય દેવ

💐#सूर्य_भगवान_हनुमानजी_के_गुरु_थे💐

जुग सहस्त्र जोजन जो भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने
वाले देवताओं में से एक हैं हनुमानजी।

इसी कारण आधुनिक युग में भी इनके
भक्तों की संख्या अत्यधिक है।

हनुमानजी को प्रसन्न करने का सरल
और श्रेष्ठ उपाय है हनुमान चालीसा
का पाठ करना।

नित करोड़ों लोग इसका पाठ करते हैं
फलतः यह एक सिद्ध मंत्र हो चुका है।

हनुमान चालीसा सैकड़ों वर्ष पूर्व गोस्वामी
तुलसीदास द्वारा रची गई थी और उसी समय
उन्होंने इसमें यह बता दिया था कि सूर्य और
पृथ्वी के बीच लगभग कितनी दूरी है।

जबकि विज्ञान अब बता रहा है
कि सूर्य और पृथ्वी के बीच की
दूरी 149,600,000 कि मी है। 
 
हनुमान चालीसा में एक दोहा है:
 
जुग(युग)सहस्त्र जोजन(योजन)पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
 
इस दोहे का सरल अर्थ यह है कि हनुमानजी
ने एक युग सहस्त्र योजन की दूरी पर स्थित
भानु यानी सूर्य को मीठा फल समझकर खा
लिया था।

हनुमानजी ने एक युग सहस्त्र योजन की
दूरी पर स्थित भानु यानी सूर्य को मीठा
फल समझकर खा लिया था।
 
एक युग = 12000 वर्ष
एक सहस्त्र = 1000
एक योजन = 8 मील
 
युग x सहस्त्र x योजन = पर भानु
 
12000 x 1000 x 8 मील =
=96000000 मील
 
एक मील = 1.6 किमी
 
96000000 x 1.6 = 153600000 किमी
 
इस गणित के आधार गोस्वामी तुलसीदास
ने प्राचीन समय में ही बता दिया था कि सूर्य
और पृथ्वी के बीच की दूरी लगभग 15 करोड़
किलोमीटर है।

शास्त्रों के अनुसार एक युग में होते हैं कुल
12000 दिव्य वर्ष
 
शास्त्रों के अनुसार एक लौकिक युग चार
भागों में बंटा हुआ है।
ये चार भाग हैं सतयुग,त्रेतायुग,द्वापरयुग
और कलियुग।

इसी लौकिक युग के आधार पर मन्वंतर
और कल्प की गणना ग्रंथों में की गई है।

इस गणना के अनुसार चारों युगों का संध्या
काल (युग प्रारंभ होने के पहले का समय)
और संध्यांश (युग समाप्त होने के बाद का
समय) के साथ 12000 दिव्य वर्ष माने गए हैं।
 
चार युगों के दिव्य वर्षों की संख्या
इस प्रकार है-
सतयुग = 4000 दिव्य वर्ष
त्रेतायुग = 3000 दिव्य वर्ष
द्वापरयुग = 2000 दिव्य वर्ष
कलियुग = 1000 दिव्य वर्ष
 
इस प्रकार चारों युग के दिव्य वर्षों की
संख्या है 10000 दिव्य वर्ष।
 
चारों युगों के संध्या काल के दिव्य वर्ष हैं,
400 + 300 + 200 + 100 = 1000 दिव्य
वर्ष और संध्यांश के भी 1000 दिव्य वर्ष हैं।
 
चारों युग के दिव्य वर्ष + संध्या काल
के
दिव्य वर्ष + संध्यांश के दिव्य वर्ष =
=कुल दिव्य वर्ष
 
इस प्रकार 10000+1000+1000=
=12000 दिव्य वर्ष। 

एक दिव्य वर्ष में मनुष्यों के 360 वर्ष
माने गए हैं।

अत: चारों युग में 12000 x 360 =
=4320000 मनुष्य वर्ष हैं।
 
अत: सतयुग 1728000 मनुष्य वर्षों
का माना गया है।
 
त्रेतायुग 1296000 मनुष्य वर्षों का
माना गया है।
 
द्वापरयुग 864000 मनुष्य वर्षों का
माना गया है।
 
कलियुग 432000 मनुष्य वर्षों का है,
जिसमें से अभी करीब पांच हजार साल
व्यतीत हो चुके हैं।

अभी कलियुग का 5120वां वर्ष चल रहा है।
कलियुग के अभी भी लगभग 427000
मनुष्य वर्ष शेष हैं।

शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी भगवान
शंकर के ही अवतार हैं और वे बालपन
में बड़े ही नटखट थे।

जन्म से ही उन्हें कई दिव्य शक्तियां प्राप्त थीं,
इस कारण वे और भी अधिक लीलाएं करते थे।

इन बाल लीलाओं के कारण वन क्षेत्र में रहने
वाले सभी ऋषि-मुनि और अन्य प्राणियों को
परेशानियां भी होती थीं।

एक समय बाल हनुमान खेल रहे थे तब
उन्हें सूर्य ऐसे दिखाई दिया जैसे वह कोई
मीठा फल हो।

वे शीघ्र ही सूर्य तक उड़कर पहुंच गए।
 
हनुमानजी ने स्वयं का आकार का इतना
विस्तृत कर लिया कि उन्होंने सूर्य भगवान
उनकी आकृति में छिप गए।

फलतः सारी सृष्टि में अंधकार फैल गया।

सभी देवी-देवता भयभीत हो गए।

जब देवराज इंद्र को यह मालूम हुआ कि
किसी वानर बालक ने सूर्य को ढक लिया
है तब वे क्रोधित हो गए।
 
क्रोधित इंद्र हनुमानजी के पास पहुंचे और
उन्होंने बाल हनुमान की ठोड़ी पर वज्र से
प्रहार कर दिया।

इस प्रहार से केसरी नंदन की ठोड़ी कट
गई और इसी वजह से वे हनुमान कहलाए।

संस्कृत में ठोड़ी को हनु कहा जाता है।

हनुमान का एक अर्थ है निरहंकारी या
अभिमानरहित।

हनु का अर्थ हनन करना और मान का
मतलब अहंकार।

अर्थात जिसने अपने अहंकार का हनन
कर लिया हो।

यह सर्वविदित है कि हनुमानजी को कोई
अभिमान नहीं था।

सूर्य भगवान को हनुमान जी ने अपना गुरु
बनाया था तो क्या अपने गुरु को कोई खा
(निगल) सकता है ?

सूर्य भगवान को निगलना एक काल्पनिक
अवधारणा है।
#साभार💐
#प्रत्यंचा_सनातन_संस्कृति💐

हनुमान अंजनी सूत् र्वायु पुत्रो महाबलः।
रामेष्टः फाल्गुनसखा पिङ्गाक्षोऽमित विक्रमः॥
उदधिक्रमणश्चैव सीता शोकविनाशनः।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मनः।
सायंकाले प्रबोधे च यात्राकाले च यः पठेत्॥
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।

हनुमान जी की सूर्य स्तुति;-

नमः सूर्याय शान्ताय सर्वरोग विनाशिने।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देव जगत्पते।।
ॐ सूर्यायनमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः।। 

समस्त चराचर प्राणियों एवं सकल विश्व
का कल्याण करो प्रभु श्री हनुमान💐

जयति पुण्य सनातन संस्कृति💐
जयति पुण्य भूमि भारत💐
जयतु जयतु हिंदुराष्ट्रं💐

सदा सर्वदासुमंगल💐
हर हर महादेव💐
ॐ हनुमते नमः💐
जयभवानी💐
जयश्रीराम💐

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