દક્ષિણા કા મહત્વ
” दक्षिणा ” देने से ही क्यों मिलता है धार्मिक कर्मों का फल। 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 *बहुत मेहनत और खोजने के बाद ये मिला है कृपया पूरी पोस्ट पढ़ने का कष्ट करें* यजुर्वेद में एक बहुत सुंदर मन्त् है, वह कहता है ब्रह्मचर्य आदि व्रतों से ही दीक्षा प्राप्त होती है अर्थात् ब्रह्मविद्या या किसी अन्य विद्या में प्रवेश मिलता है। फिर दीक्षा से दक्षिणा अर्थात् धन समृद्धि आदि प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यहाँ दक्षिणा मिलने का अर्थ है दक्षिणा देना, वेद ने यही माना है कि जो देता है उसे देवता और अधिक देते हैं। जो नहीं देता है, देवता उसका धन छीनकर दानियों को ही दे देते हैं। फिर कहता है दक्षिणा से श्रद्धा प्राप्त होती है, और श्रद्धा से सत्य प्राप्त होता है। क्रम है, व्रत –> दीक्षा –> दक्षिणा –> श्रद्धा –> सत्य मध्य में दक्षिणा है, एक बार दीक्षित हो गए, मार्ग पर बढ़ गए, और फिर दक्षिणा में लोभ किया तो मार्ग नष्ट हो जाता है। इसलिए विद्वानों, गुरु, आचार्य को दक्षिणा और पात्रों को दान देने से ही मार्ग आगे प्रशस्त होता है। दक्षिणा देने से अपने गुरु, आचार्य में श्रद्धा बढ़ती है। गुरु भी अपनी अन्य सांसार...