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Showing posts from May, 2020

कोन से ऋषि का क्या है महत्व ।। shashtriji

कौन से ऋषि का क्या है महत्व अंगिरा ऋषि: ऋग्वेद के प्रसिद्ध ऋषि अंगिरा ब्रह्मा के पुत्र थे। उनके पुत्र बृहस्पति देवताओं के गुरु थे। ऋग्वेद के अनुसार, ऋषि अंगिरा ने सर्वप्रथम अग्नि उत्पन्न की थी। विश्वामित्र ऋषि: गायत्री मंत्र का ज्ञान देने वाले विश्वामित्र वेदमंत्रों के सर्वप्रथम द्रष्टा माने जाते हैं। आयुर्वेदाचार्य सुश्रुत इनके पुत्र थे। विश्वामित्र की परंपरा पर चलने वाले ऋषियों ने उनके नाम को धारण किया। यह परंपरा अन्य ऋषियों के साथ भी चलती रही। वशिष्ठ ऋषि: ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा और गायत्री मंत्र के महान साधक वशिष्ठ सप्तऋषियों में से एक थे। उनकी पत्नी अरुंधती वैदिक कर्मो में उनकी सहभागी थीं। कश्यप ऋषि: मारीच ऋषि के पुत्र और आर्य नरेश दक्ष की १३ कन्याओं के पुत्र थे। स्कंद पुराण के केदारखंड के अनुसार, इनसे देव, असुर और नागों की उत्पत्ति हुई। जमदग्नि ऋषि: भृगुपुत्र यमदग्नि ने गोवंश की रक्षा पर ऋग्वेद के १६ मंत्रों की रचना की है। केदारखंड के अनुसार, वे आयुर्वेद और चिकित्साशास्त्र के भी विद्वान थे। अत्रि ऋषि: सप्तर्षियों में एक ऋषि अत्रि ऋग्वेद के पांचवें मंडल के अधिकांश सूत्रों के ऋषि थे।...

વક્તા કેસે હોને ચાહીયે

(૧) વક્તા નો અર્થ શું ? (૨) વક્તા ની લાયકાત શું ? (૩) વક્તા નુ મહત્વ શું ?  (૪) વક્તા ના કાર્યો શું ?  જાણકાર હોય એ જવાબ આપે. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  श्रीमद्भागवतमाहात्म्य  छठ्ठा अध्याय विरक्तो वैष्णवो विप्रो वेदशास्त्रविशुद्धिकृत् । दृष्टान्तकुशलो धीरो वक्ता कार्योऽति निःस्पृह ॥ २० ॥ अनेकधर्मनिभ्रान्ताः स्त्रैणाः पाखण्डवादिनः । शुकशास्त्रकथोच्चारे त्याज्यास्ते यदि पण्डिताः ॥ २१ ॥ वक्तुः पार्श्वे सहायार्थं अन्यः स्थाप्यस्तथाविधः । पण्डितः संशयच्छेत्ता लोकबोधनतत्परः ॥ २२ ॥ वक्त्रा क्षौरं प्रकर्तव्यं दिनाद् अर्वाक् व्रताप्तये । अरुणोदयेऽसौ निर्वर्त्य शौचं स्नानं समाचरेत् ॥ २३ ॥ नित्यं संक्षेपतः कृत्वा संध्याद्यं स्वं प्रयत्‍नतः । कथाविघ्नविघाताय गणनाथं प्रपूजयेत् ॥ २४ ॥ जो वेद-शास्त्रकी स्पष्ट व्याख्या करनेमें समर्थ हो, तरह-तरहके दृष्टान्त दे सकता हो तथा विवेकी और अत्यन्त नि:स्पृह हो, ऐसे विरक्त और विष्णुभक्त ब्राह्मणको वक्ता बनाना चाहिये ॥ २० ॥ श्रीमद्भागवतके प्रवचन में ऐसे लोगोंको नियुक्त नहीं करना चाहिये जो पण्डित होनेपर भी अनेक धर्मोंके चक्करमें पड़े हुए, स्त्री- लम...

वट सावित्री अमावास्या व्रत ।।

वट सावित्रि अमावस्या व्रत 22 मई विशेष 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ वट सावित्रि व्रत का महत्व एवं कथा 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ जैसा कि इस व्रत के नाम और कथा से ही ज्ञात होता है कि यह पर्व हर परिस्थिति में अपने जीवनसाथी का साथ देने का संदेश देता है। इससे ज्ञात होता है कि पतिव्रता स्त्री में इतनी ताकत होती है कि वह यमराज से भी अपने पति के प्राण वापस ला सकती है। वहीं सास-ससुर की सेवा और पत्नी धर्म की सीख भी इस पर्व से मिलती है। मान्यता है कि इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और उन्नति और संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं। भारतीय पञ्चाङ्ग अनुसार वट सावित्री अमावस्या की पूजा और व्रत इस वर्ष 22 मई को मनाया जाएगा।  वट सावित्री व्रत समय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष गणना के अनुसार, इस वर्ष यह पर्व 22 मई दिन शुक्रवार को कृतिका नक्षत्र और शोभन योग में पड़ रहा है, जो ज्योतिषीय गणना के अनुसार उत्तम योग है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि का प्रारंभ 21 मई दिन गुरुवार को रात्रि 09 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है, जो 22 मई को रात्रि 11 बजकर 08 मिनट तक रहेगी। अमावस्या तिथि प्रारम्भ👉 मई 21, 2020 क...

पंचांग देखना सीख ले ।।

*कृपया पञ्चाङ्ग देखना सीख ले एवं घर के बच्चों से ले कर सभी को पञ्चाङ्ग देखना अवश्य सिखाएं* अपनी संस्कृति के दिवस और जयन्तियां मनायें -- "हिन्दुधर्म की आलोचना करते हुए अंग्रेजों ने कहा "ये 365 दिनों में 1660 व्रत पर्व मनाते हैं। कैसे हैं ये लोग?" विवेचना के अभाव में हिन्दू समाज चुप रहा। धीरे धीरे उन लोगों ने इसका लाभ उठाते हुए आज एक हजार से अधिक "डे" घोषित कर दिया। अब हम जवाब मांगते है 365 दिनों में एक हजार से अधिक "डे" की क्या जरूरत पड़ गयी?  एक दिन में यदि 5 व्रत या पर्व है तो आप संकल्प लेकर उन 5 को पूरा कर सकते हैं, क्योंकि ऋषिप्रोक्त संकल्प ही व्रत कहलाता है (व्रतराजग्रन्थ)। ० यदि मातृनवमी थी तो मदर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि कौमुदी महोत्सव था तो वेलेंटाइन डे क्यों लाया गया? ० यदि गुरुपूर्णिमा थी तो टीचर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि धन्वन्तरि जयन्ती थी तो डाक्टर्स डे क्यों लाया गया? ० यदि विश्वकर्मा जयंती थी तो प्रद्यौगिकी दिवस क्यों लाया? ० यदि सन्तान सप्तमी थी तो चिल्ड्रन्स डे क्यों लाया गया? ० यदि नवरात्रि और कंजिका भोज था तो डॉटर्स डे क्यों लाया? ...

આજ ની સત્ય ઘટના (પ્રેરણા દાયક વાત ) પોસ્ટ by shashtriji bvn guj

*લઘુ કથા:- મદદ કરવાની સાચી રીત..!!👌🏽👌🏽* 🌹🌹 સોસાયટી માં ઘર બેઠા નાના_નાના બાળકો 👩‍🦲ને ભણાવતી એક ટીચર👩🏻‍🏫 ની ઘરે લોટ અને શાકભાજી 🥗ખલાસ થઇ ગયા..!! હમેશા સાદગી થી રહેનારી ટીચર ને બહાર મળતા મફત રેશન ની લાઈન માં👫🏻👭🏽🧍🏼 ઉભા રહેવામાં સ્વાભાવિક રીતે ખુબ સંકોચ થયો..!! 😥 ફ્રી માં રેશન આપવા વાળા યુવાનો👥 ને જયારે આ વાત ની ખબર પડી ત્યારે એ લોકો એ જરૂરિયાત મઁદો ને ફ્રી માં લોટ અને શાકભાજી આપવાનું તત્કાળ પૂરતું બઁધ કર્યું,, આ તો બધા ભણેલા ગણેલા👩🏻‍🎓👨🏼‍🎓 યુવાનો હતા, અંદરોઅંદર વિચાર વિમર્શ કરી ને નક્કી કર્યું કે આવા તો કેટલાય મધ્યમ વર્ગ ના પરિવારો ને જરૂરત હોવા છતાં, પોતાના આત્મસન્માન ને કારણે ફ્રી માં મળતા રેશન ની લાઈન માં નથી ઉભા રહી શકતા.!! આ યુવાનો એ પોતાના વિચારો વડીલો👳🏼‍♀ ની સમક્ષ વ્યક્ત કર્યા અને તેઓ ની સલાહ બાદ બીજે જ દિવસે ફ્રી રેશન નું બોર્ડ હટાવી ને બીજું બોર્ડ લગાવ્યું📜...જેમાં લખ્યું તું..🗣 *-ખાસ ઓફર:- *કોઈ પણ  શાકભાજી🥗 Rs.15 ની કિલો મળશે અને સાથે એટલો જ લોટ અને દાળ 🍲 ફ્રી આપવામાં આવશે...!!* આ બોર્ડ જોઈ ને ભિખારી ની ભીડ દૂર થઇ ગઈ અને મધ્યમ વર્ગ ના મજબૂર લોક...

नारद भक्ति सूत्र ।। नारद जयंती ।। shashtriji

आज नारद जयंती विशेष  〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ नारद मुनि👉  ब्रह्माण्ड के प्रथम संवाद दाता।  नारद, देवताओं के ऋषि हैं। इसी कारण नारद जी को देवर्षि नाम से भी पुकारा जाता हैं। इनका जन्‍म ब्रह्माजी की गोद से हुआ था।      पुराणों के अनुसार हर साल ज्येष्ठ के महीने की कृष्णपक्ष प्रतिपदा को नारद जयंती मनाई जाती है। क्‍या आप जानते हैं नारद को ब्रह्मदेव का मानस पुत्र भी माना जाता है. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार जब ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण कर रहे थे तब उनके चार पुत्र हुए। जो बड़े होने पर तपस्या करने के लिए चले गये। ब्रह्मा के सभी पुत्रों में से नारद सबसे चंचल स्वभाव के थे वह किसी की बात नहीं मानते थे। जब ब्रह्मा ने अपने पुत्र नारद से सृष्टि के निर्माण में सहयोग करने के लिए विवाह करने की बात कही तब नारद ने अपने पिता को साफ मना कर दिया। जिस पर क्रोधित होकर भगवान ब्रह्मा ने उन्हें आजीवन अविवाहित रहने का श्राप दे दिया। नारद मुनि को श्राप देते हुए ब्रह्मा ने कहा तुम हमेशा अपनी जिम्मेदारियों से भागते हो इसलिए अब पूरी जिंदगी इधर उधर भागते ही रहोगे। अन्य कथा अनुसार दक्ष प्रजापति ने...

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*घर में नकारात्मक ऊर्जा हो तो ऐसे दूर भगाएं*  • यदि घर के किसी कमरे में किन्हीं कारणों से परिवार के बड़े सदस्यों या बच्चों को अच्छी नींद न आती हो या सोते समय बुरे स्वप्न दिखते हों, तो उस कमरे में एक 0 वॉल्ट का या 15 वॉल्ट का पीले रंग का नाइट बल्ब इस्तेमाल करें। • इससे उस कमरे में रात्रि को बाहर से आकर बसने वाली नकारात्मक ऊर्जा पास नहीं फटकेगी एवं सभी को मीठी एवं सुखद नींद आएगी। यदि आप के भवन का मुख्य द्वार किसी नकारात्मक दिशा में पड़ता है, तो उसकी दाईं एवं बाईं ओर श्यामा काली तुलसी का एक-एक पौधा लगा दें, इससे वह अपनी सकारात्मक शक्ति से मेन गेट की नकारात्मकता समाप्त करके उसे बड़ी आसानी से सकारात्मक बना सकता है। • यदि मकान के किसी कमरे में सोने पर तरह-तरह के भयावह सपने आते हो तो इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए कमरे में एक जीरो वॉट का पीले रंग का नाइट लैम्प या बल्ब जलाए रखें। यह उस कमरे में बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को दूर भगाता है। • कभी-कभी बच्चों को मकान के किसी कमरे में अकेले जाने या उस कमरे में सोने से डर लगता हो तो उस कमरे के बेड या पलंग के सिरहाने के पास वाले दोनों किना...

બુધ્ધ પૂર્ણિમા // જય ભગવાન // શાસ્ત્રીજી ભાવનગર

* बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं * ऐसा हुआ कि बुद्ध एक वृक्ष के नीचे एक पूर्णिमा की रात ध्यान करते थे। शहर से कुछ युवक एक वेश्या को लेकर जंगल में आ गए हैं। नशे में धुत उन्होंने वेश्या को नग्न कर दिया है। वे हंसी-मजाक कर रहे हैं। वे अपनी क्रीड़ा में लीन हैं। उनको बेहोश देखकर, शराब में धुत देखकर वेश्या भाग निकली। थोड़ी देर बाद जब उन्हें होश आया और देखा कि वेश्या तो जा चुकी है, तो वे उसे खोजने निकले। कोई और तो न मिला, राह के किनारे, वृक्ष के नीचे बुद्ध मिल गए। तो उन्होंने पूछा कि "ऐ भिक्षु, यहां से तुमने एक बहुत सुंदर स्त्री को नग्न जाते देखा?' बुद्ध ने कहा, "कोई यहां से गया--कहना मुश्किल है कि स्त्री है या पुरुष। क्योंकि वह भेद तभी तक था जब अपनी कामना थी। अब कौन भेद करता है! किसको लेना-देना है! क्या पड़ी है! कोई गया जरूर; तय करना मुश्किल है कि स्त्री थी या पुरुष था। और तुम कहते हो, सुंदर!--तुम और कठिन सवाल उठाते हो, सुंदर और असुंदर भी गया। वह अपने ही मन का खेल था। हां एक अस्थिपंजर, मांस-मज्जा से भरा, गुजरा है जरूर। कहां गया, यह कहना मुश्किल है। क्योंकि, मैं आंखों को भीतर...

दक्षिणा देने से सत कर्मो का फल मिलता है ।। bhudev38 ।। Shashtriji ।।

Shashtriji bhavnagar * दक्षिणा * देने से ही क्यों मिलता है धार्मिक कर्मों का फल*। 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 बहुत मेहनत और खोजने के बाद ये मिला है कृपया पूरी पोस्ट पढ़ने का कष्ट करें।  यजुर्वेद में एक बहुत सुंदर मन्त् है, वह कहता है ब्रह्मचर्य आदि व्रतों से ही दीक्षा प्राप्त होती है अर्थात् ब्रह्मविद्या या किसी अन्य विद्या में प्रवेश मिलता है। फिर दीक्षा से दक्षिणा अर्थात् धन समृद्धि आदि प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यहाँ दक्षिणा मिलने का अर्थ है दक्षिणा देना, वेद ने यही माना है कि जो देता है उसे देवता और अधिक देते हैं। जो नहीं देता है, देवता उसका धन छीनकर दानियों को ही दे देते हैं। फिर कहता है दक्षिणा से श्रद्धा प्राप्त होती है, और श्रद्धा से सत्य प्राप्त होता है। क्रम है, व्रत –> दीक्षा –> दक्षिणा –> श्रद्धा –> सत्य मध्य में दक्षिणा है, एक बार दीक्षित हो गए, मार्ग पर बढ़ गए, और फिर दक्षिणा में लोभ किया तो मार्ग नष्ट हो जाता है। इसलिए विद्वानों, गुरु, आचार्य को दक्षिणा और पात्रों को दान देने से ही मार्ग आगे प्रशस्त होता है। दक्षिणा देने से अपने गुरु, आचार्य में श्र...

ram raksha stotram ।। shashtriji bhavnagar ।। bhudev38

राम रक्षा स्तोत्र : धन व समृद्धि के लिए जरूर करें विनियोग:  अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य बुधकौशिक ऋषिः। श्री सीतारामचंद्रो देवता। अनुष्टुप छंदः। सीता शक्तिः। श्रीमान हनुमान कीलकम। श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः। अथ ध्यानम्‌: ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्धपद्मासनस्थं पीतं वासो वसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्‌। वामांकारूढसीतामुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं नानालंकार दीप्तं दधतमुरुजटामंडलं रामचंद्रम।। चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम्‌ । एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम्‌ ॥1॥ ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम्‌ । जानकीलक्ष्मणोपेतं जटामुकुटमंडितम्‌ ॥2॥   सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तंचरांतकम्‌ । स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम्‌ ॥3॥ रामरक्षां पठेत्प्राज्ञः पापघ्नीं सर्वकामदाम्‌ । शिरो मे राघवः पातु भालं दशरथात्मजः ॥4॥       कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रियः श्रुती । घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सलः ॥5॥ जिह्वां विद्यानिधिः पातु कण्ठं भरतवंदितः । स्कंधौ दिव्यायुधः पातु भुजौ भग्नेशकार्मुकः ॥6॥ करौ सीतापतिः पातु हृदयं जा...