દ્વારકા
🚩 *श्री जी धर्मक्षेत्र* 🚩 *श्रीद्वारका जी महिमा* इस अध्याय में:- (शंखोद्धारतीर्थ की महिमा) मार्कण्डेयजी कहते हैं- महाभारत में कौरव सेना के मारे जाने और समस्त योद्धाओं के नष्ट हो जाने पर अर्जुन भक्ति भाव से श्रीकृष्ण के समीप गये और उनकी परिक्रमा तथा प्रणाम करके हाथ जोड़कर बोले- 'भगवन्! शंखोद्धार तीर्थ का फल बताइये।' श्रीभगवान् बोले- 'महाबाहो! जो मनुष्य घर में रहकर भी शंखोद्धार तीर्थ का स्मरण करते हैं, उनकी पुनरावृत्ति नहीं होती। जो शंखोद्धार तीर्थ में जाकर मन-ही-मन भगवान् शंखधर का स्मरण करते हैं, वे विष्णुलोक में निवास पाते हैं। जो शंखोद्धार तीर्थ का दर्शन करता है, वह स्वर्गलोक को जाता है। अर्जुन ! यदि शंखोद्धार की यात्रा करने वाला मनुष्य मार्ग में ही मर जाय और शंखोद्धार का दर्शन न कर सके तो वह भी मुझे वैसा ही प्रिय है, जैसी कि लक्ष्मी हैं। मनुष्य को अपने घर में रहते हुए भी शंखोद्धार तीर्थ और शंखधारी भगवान् विष्णु का स्मरण करना चाहिये। करोड़ों सूर्यग्रहणों के समय सरस्वती तीर्थ में जो फल होता है, वही आधे प...