હનુમાન વડવાનલ સ્તોત્ર

હર મહાદેવ  जय  हनुमान  જય ભગવાન 


।। विभीषणकृतं वडवानलहनुमत्स्तोत्रम् ।।

(વિપત્તિ-નિવારણ માટે)

सङ्कल्पः- ॐ अस्य श्रीहनुमद्-वडवानलस्तोत्र मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषिः।। श्रीवडवानलहनुमान् देवता ।। मम समस्तरोग प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याभि वृद्धयर्थ समस्त पापक्षयार्थ सीतारामचन्द्रप्रीत्यर्थं च हनुमद्वडवानलस्तोत्रजपमहं करिष्ये । 

ध्यानम्- मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् । 

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥

ॐ श्री राम रामाय नमः ।१।।

ॐ ह्रां ह्रीं ।। ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते प्रकटपराक्रमसकलदिङ्मण्डल यशोवितान धवलीकृत-जगत्त्रितय वज्रदेह रुद्रावतार लङ्कापुरीदहन उमा अमलमन्त्र उदधिबन्धन दशशिरः कृत्तान्तक सीताश्वसन वायुपुत्र अञ्जनीगर्भसम्भूत श्रीरामलक्ष्मणानन्दकर कपिसैन्यप्राकार सुग्रीवसाह्यरणपर्वतोत्पाटन कुमारब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्वपापग्रहवारण सर्वज्वरोच्चाटन डाकिनीविध्वंसन ।२।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीरवीराय सर्वदुः खनिवारणाय ग्रहमण्डल-सर्वभूतमण्ड लसर्वपिशाचमण्डलोच्चाटन भूतज्वर-प्रेतज्वर 

एकाहिकज्वर द्वयाहिकज्वर- त्र्याहिकज्वर-चातुर्थिकञ्चर सन्तापञ्चर-विषमज्वर-तापज्वर-माहेश्वर वैष्णवज्वरान् छिन्धि छिन्धि यक्ष- ब्रह्मराक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय उच्चाटय ।३।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते ।४।।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं: ह्र: आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ।५।।

ॐ नमो भगवते श्रीमहाहनुमते श्रवणचक्षुर्भूतानां डाकिनी शाकिनीनां विषमदुष्टानां सर्वविषं हर हर ।६।।

आकाशभुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय सकलमायां भेदय भेदय ।७।।

ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्री महाहनुमते सर्वग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय ।८।।

सकलबन्धनमोक्षणं कुरु कुरु शिरः शूल-गुल्मशूल सर्वशूलानिर्मूलय निर्मूलय नागपाशअनन्त-वासुकि तक्षक कर्कोटक कालियान् यक्षकुलजलगत बिलगत रात्रिञ्चर-दिवाचर सर्वान्निर्विषं कुरु कुरु स्वाहा। ।९।।

राजभय चोरभय परमन्त्र परयन्त्र परतन्त्र परविद्याश्छेदय छेदय ।१०।।

स्वमन्त्र स्वयन्त्र स्वतन्त्र स्वविद्याः प्रकटय प्रकटय ।११

सर्वारिष्टान्नाशय नाशय।१२।।

सर्वशत्रुन्नाशय नाशय ।१३।।

असाध्यं साधय साधय ॐ हूँ फट् स्वाहा । १४

।ॐ श्री राम रामाय नमः । ।१५।।

।। विभीषणकृतं हनुमद्वडवानलस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।।






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