પાપી કભી હરિ નામ નહિ લે સકતા
*🚩जय श्री सीताराम जी की*🚩
*वाल्मीकिजीको अल्पप्राणवाला नाम भी क्यों नहीं आया ? कारण क्या था ? घ्यान दें ! राम नाम उच्चारण करनेमें सुगम हैं ; परंतु जिसके पाप अघिक हैं, उस पुरूष--द्वारा नाम--उच्चारण कठिन हो जाता है । एक कहावत है----*_
*मजाल क्या है जीव की,*
*जो राम-नाम लेवे।*
*पाप देवे थाप की,*
*जो मुण्डो फोर देवे ॥*
*जिनका अल्प पुण्य होता है वे राम नाम ले ही नहीं सकते।*
*श्रीमद्भगवद्गीतामें भी आया है*
*येषां त्वन्तगतं पापं जनाना पुण्यकर्मणाम् ।*
*ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मा दृढव्रता: ॥*
*जिनके पाप नष्ट हो गये हैं, वे ही दृढ़व्रत होकर भगवानके भजनमें लग सकते हैं । राम नामके विषयमें भी ऐसी ही बातें शास्त्रोंमें पढ़ते हैं, संतोंसे सुनते है । ऐसी ही हमने एक घटना सुनी है-*
*बाँकुड़ाकी बात है । एक सञ्जन थे श्रीबद्रीदासजी गोयन्दका । सरोवरके किनारे मछलियाँ पकड़ रहा था । श्रीजयदयालजी गोयन्दका एवं श्रीबद्रीदासजीने उसे देखा और कहा----यह बूढ़ा हो गया, बेचरा भजनमें लग जाय तो अच्छा है । उससे जाकर कहा कि तुम भगवन्नाम---- उच्चारण करो तो उसे राम नाम आया नहीं । वह मेहनत करनेपर भी सही उच्चारण नहीं कर सका । कई नाम बतानेके बाद अन्तमें होरे-होरे कहने लगा । इस नामका उससे उच्चारण हुआ और कोई नाम आया ही नहीं । उससे पूछा गया कि तुम्हें एक दिनमें कितने पैसे मिलते हैं ? उसने बताया कि इतनी मछलियाँ मारनेसे इतने पैसे मिलते हैं । तो उन्होंने कहा कि उतने पैसोंके चावल हम तुम्हें दे देंगे । तुम हमारी दुकानमें बैठकर दिनभर होरे--होरे ( हरि--हरि ) किया करो । उसको किसी तरह ले गये दुकानपर । वह एक दिन तो बैठा । दूसरे दिन देरसे आया और तीसरे दिन आया ही नहीं । फिर दो--तीन दिन बाद जकर देखा वह उसी जगह धूपमें मछली ककड़ता हुआ मिला ।*
*उन्होंने उससे कहाकि तूँ वहाँ दुकानमें छायामें बैठा था। क्या तकलीफ थी तुमको? यहाँ जितना मिलता है, उतना अनाज दे देंगे केवल दिनभर बैठकर हरि--हरि कीर्तन किया कर । उसने कहा----मेरेसे यह नहीं होगा । वह दुकानपर बैठ नहीं सका । ऐसी बीती हुई घटना बतायी। तब हमें विश्वास हुआ कि बात तो ठीक है भाई ! पापीका शुभ काममें लगना कठिन होता है ।*
*🚩जय श्री सीताराम जी की*🚩
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