शास्त्रीय ज्ञान।।जानियें, मोर-पंख से कैसे पायें - सुख-समृद्धि और शांति ||
|| जानियें, मोर-पंख से कैसे पायें - सुख-समृद्धि और शांति ||
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सनातन धर्म में मोर-पंख का विशेष महत्तव है। मोर-पंख का संबंध केवल श्रीकृष्ण से नहीं, बल्कि अन्य देवी-देवताओं से भी है। मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है यही मोर भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय का वाहन भी है। नेपाल आदि देशों में मोर को ब्रम्हा की सवारी के रूप में माना जाता है यहाँ तक कि जापान, इंडोनेसिया थाईलैंड और अन्य देशों में भी मोर पूज्य है।
जन सामान्य में मोर-पंख को लेकर यह विश्वास है कि मोर-पंख के प्रयोग से अमंगल टल जाता है। वास्तु एवं ज्योतिष के क्षेत्र में मोर-पंख का अति महत्त्वपूर्ण स्थान है। मोर-पंख घर में रखना मंगलकारी माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मोर के पंखों में सभी देवी-देवताओं और सभी नौ ग्रहों का वास होता है। ऐसा क्यों होता है इसकी कथा हमारे धर्म ग्रंथों में इस प्रकार प्राप्त होती है -
प्राचीन काल में संध्या नाम का एक असुर हुआ था। यह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था। संध्या असुर ने कठोर तप द्वारा शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त की। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों का सताने लगा था। इस असुर ने स्वर्ग पर आधिपत्य कर देवताओं को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।
योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए। इसा कारण वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा।
इसलिए विधिपूर्वक यदि मोर-पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु-दोष और कुंडली के ग्रह-दोष भी शांत किये जा सकतें हैं।
मोर-पंख के कुछ आध्यात्मिक प्रयोग इस प्रकार है -
* घर का द्वार यदि वास्तु के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करें।
* काल-सर्प दोष को दूर करने की इस मोर-पंख में अद्भुत क्षमता मानी जाती है। काल-सर्प दोष वाले व्यक्ति को अपने तकिये के अंदर सात मोर-पंख सोमवार में डालकर प्रतिदिन इसी तकिये का प्रयोग करना चाहिए तथा अपने बैड-रूम की पश्चिमी दीवार पर मोर-पंख का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर-पंख हों लगा देने से काल सर्प दोष के कारण आयी बाधा दूर होती है।
* बच्चा यदि जिद्दी हो तो मोर-पंख छत के पंखे के पंखों पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर-पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे धीरे उसकी जिद कम होती जायेगी।
* नवजात बालक के सिर की तरफ दिन रात एक मोर-पंख चांदी के ताबीज में डाल कर रखने से बालक डरता नहीं है तथा हर प्रकार के नजर-दोष और नकारात्मक प्रभाव से बचा रहता है।
* यदि शत्रु अधिक तंग कर रहें हो तो मोर-पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिन्दूर से मंगलवार या शनिवार रात्री में शत्रु नाम लिखकर अपने घर के मंदिर में रात को रखें प्रातःकाल उठकर बिना नहाये बहते पानी में प्रवाहित कर देने से शत्रु शत्रुता छोड़ कर मित्रता का व्यवहार करने लगता है।
* सर्प भय से मुक्ति के लिए सबसे अच्छा और सरल उपाय है घर में मोर-पंख रखा जाए। मोर पंख घर में ऐसे स्थान पर रखें जहां से आसानी से दिखाई दे। सर्प मोर-पंख से डरते हैं। क्योंकि सर्प और की शत्रुता है ,मोर उसे मारकर खा जाता है। अत: सर्प उस क्षेत्र में नहीं जाता है जहां मोर या मोर-पंख दिखाई दे।
* मोर-पंख घर में रखने से वातावरण में मौजूद नकारात्मक शक्तियां नष्ट हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय हो जाती है। इससे हमारी सोच पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।
* सूर्य की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए रविवार के दिन नौ मोर-पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करें।
* चंद्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए सोमवार को आठ मोर-पंख लेकर आएं, मोर-पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध लें। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। दूध की बनी मिठाई का प्रसाद अर्पित करें।
* मंगल की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए मंगलवार को सात मोर-पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध लेँ। इसके बाद एक थाली में पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ भूमि पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद चढ़ाएं।
* बुध की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ छ: सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।
* गुरु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ पांच सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करें। बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।
* शुक्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए शुक्रवार को चार मोर-पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध लेँ। एक थाली में पंखों के साथ चार सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करें। गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
* शनि शांति के लिए शनिवार को तीन मोर-पंख ले कर आएं। मोर-पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ तीन सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करें। गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं।
* राहु की अशुभ-दशा से मुक्ति के लिए शनिवार को सूर्योदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंखों के साथ दो सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करें। कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।
* केतु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध लें। एक थाली में पंख के साथ एक सुपारी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करें -
ॐ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।
पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करें। फलों का प्रसाद चढ़ाएं ।
જય ભગવાન
शास्त्री जी भावनगर
९५१०७१३८३८
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