विश्व विजय सरस्वती कवच स्तोत्र।
*🌹विश्वविजय सरस्वती कवच स्तोत्र🌹*
*श्रीं ह्रीं सरस्वत्यै स्वाहा शिरो मे पातु सर्वत:।*
*श्रीं वाग्देवतायै स्वाहा भालं मे सर्वदाऽवतु।।*
*ॐ सरस्वत्यै स्वाहेति श्रोत्रं पातु निरन्तरम् ।*
*ॐ श्रीं ह्रीं भारत्यै स्वाहा नेत्रयुग्मं सदाऽवतु।।*
*ऐं ह्रीं वाग्वादिन्यै स्वाहा नासां मे सर्वतोऽवतु।*
*ह्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा ओष्ठं सदाऽवतु।।*
*ॐ श्रीं ह्रीं ब्राह्मयै स्वाहेति दन्तपंक्ती: सदाऽवतु।*
*ऐमित्येकाक्षरो मन्त्रो मम कण्ठं सदाऽवतु।।*
*ॐ श्रीं ह्रीं पातु मे ग्रीवां स्कन्धं मे श्रीं सदाऽवतु।*
*श्रीं विद्याधिष्ठातृदेव्यै स्वाहा वक्ष: सदाऽवतु।।*
*ॐ ह्रीं विद्यास्वरूपायै स्वाहा मे पातु नाभिकाम्।*
*ॐ ह्रीं ह्रीं वाण्यै स्वाहेति मम पृष्ठं सदाऽवतु।।*
*ॐ सर्ववर्णात्मिकायै पादयुग्मं सदाऽवतु।*
*ॐ रागाधिष्ठातृदेव्यै सर्वाङ्गं मे सदाऽवतु।।*
*ॐ सर्वकण्ठवासिन्यै स्वाहा प्राच्यां सदाऽवतु।*
*ॐ ह्रीं जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहाग्रिदिशि रक्षतु।।*
*ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं सरस्वत्यै बुधजनन्यै स्वाहा।*
*सततं मन्त्रराजोऽयं दक्षिणे मां सदाऽवतु।।*
*ॐ ह्रीं श्रीं त्र्यक्षरो मन्त्रो नैऋत्यां मे सदाऽवतु।*
*कवि जिह्वाग्रवासिन्यै स्वाहा मां वारुणेऽवतु।।*
*ॐ सदाम्बिकायै स्वाहा वायव्ये मां सदाऽवतु।*
*ॐ गद्यपद्य वासिन्यै स्वाहा मामुत्तरेऽवतु।।*
*ॐ सर्वशास्त्र वासिन्यै स्वाहैशान्यां सदाऽवतु।*
*ॐ ह्रीं सर्वपूजितायै स्वाहा चोर्ध्वं सदाऽवतु।।*
*ॐ ह्रीं पुस्तकवासिन्यै स्वाहाऽधो मां सदाऽवतु।*
*ॐ ग्रन्थबीजरूपायै स्वाहा मां सर्वतोऽवतु।।*
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)
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