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Showing posts from 2019

Ishvar Krupa

*बह्ममहूर्त* अगर आप परमात्मा से प्रेम करते हो या जब परमात्मा खुद आपसे संपर्क करना चाहते है 3 से 5 के मध्य खुलती है नींद तो यह दिव्य शक्ति का कोई संकेत है जाने..... ? करोड़ों लोग ईश्वर से प्यार करते है पर बहुत खुशनसीब होते है वो जिनसे ईश्वर खुद प्यार करते है। सबसे पहले हम यह जाने जिस समय नींद खुल रही है वह अमृतवेला है। अमृतवेला जो कि परमात्मा की दिव्य शक्तियां बहुत ही तेजी से प्रवाह कर रही होती है। इस आसमान में, सृष्टि में पॉजिटिव वाइब्रेशन(positive vibration) बहुत तेजी से उस समय प्रवाहित होती रहती है उस समय आप जाप करते और भगवान का ध्यान करते है तो उनकी कृपा आपको बहुत ही आसानी से मिल जाती है। ३:00 बजे आंखें खुलने का यह मतलब हुआ सृष्टि चाहती हैं , आपके गुरु चाहते हैं आपके इष्ट चाहते हैं दिव्यशक्ति चाहती हैं कि आप उठे आप परमात्मा का स्मरण करें आप परमात्मा का जाप करें क्योंकि बहुत सारी शक्तियां आपके इंतजार कर रही है जो कि आपको मिलनी है। यह शक्तियां पॉजिटिव वाइब्रेशन से भरी हुई जो आप को तंदुरुस्त कर देंगे धन धान्य से परिपूर्ण कर देंगे भक्ति से भर देंगी यदि आप सुबह उठते हैं पा...

शरद पूनम विशेष

शरद पूर्णिमा पर क्या करें और क्या नहीं, इस रात खीर बनाने एवं पाने की भी है प्रमुख विधि!!!!!!  दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चांदनी में विशेष हितकारी किरणें होती हैं। इनमें विशेष रस होते हैं। इन दिनों में चन्द्रमा की चांदनी का लाभ लेने से वर्षभर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। प्रसन्नता और सकारात्मकता भी बनी रहती है। इस बार शरद पूर्णिमा 13 अक्टूबर रविवार को मनाई जाएगी। इस रात कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे खीर को दिव्य औषधि बनाया जा सकता है और इस खीर विशेष तरह से खाने पर इसका फायदा भी मिलेगा। शरद पूर्णिमा पर अश्विनी कुमारों के साथ यानी अश्विनी नक्षत्र में चंद्रमा पूर्ण 16 कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा की ऐसी स्थिति साल में 1 बार ही बनती है। वहीं ग्रंथों के अनुसार अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। इस रात चंद्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाना चाहिए। चन्द्रमा की चांदनी में खीर रखना चाहिए और अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ाएं।जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करें। ऐसी प्रा...

पापा कुंशा एकादशी व्रत

🙏💐 Jay Shri Krishna 💐🙏 🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃🌹🍃 *9 अक्तूबर को एकादशी, पापों से मुक्त करती है पापाकुंशा एकादशी का व्रत* ( टेटी ) *पापाकुंशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है।     एकादशी तिथि का व्रत जीवों के परम लक्ष्य, भगवद भक्ति, को प्राप्त करने में सहायक होता है। यह दिन श्री हरि की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक माना गया है। इस दिन मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिये भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरुप की पूजा की जाती है। वैसे तो प्रत्येक एकादशी का अपना ही अलग महत्व है लेकिन पापांकुशा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति का सभी जाने -अनजाने में किए गए पापों का प्रायश्चित होता है। इस व्रत को करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं।* *पापाकुंशा एकादशी एक हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है। इस एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है। इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का अधिकारी बनता है। इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। ...

पद्मा / परिवर्तिनी एकादशी

🕉 *नमो नारायण* 🍃 🙏🏻 *जय भगवान* 🙏🏻 9-9-2019 सोमवार पद्मा / परीवर्तीनी एकादशी युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान! भाद्रपद शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इसकी विधि तथा इसका माहात्म्य कृपा करके कहिए। तब भगवानश्रीकृष्णष कहने लगे कि इस पुण्य, स्वर्ग और मोक्ष को देने वाली तथा सब पापों का नाश करने वाली, उत्तम वामन एकादशी का माहात्म्य मैं तुमसे कहता हूं तुम ध्यानपूर्वक सुनो। यह पद्मा/परिवर्तिनी एकादशी जयंती एकादशी भी कहलाती है। इसका यज्ञ करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। पापियों के पाप नाश करने के लिए इससे बढ़कर कोई उपाय नहीं। जो मनुष्य इस एकादशी के दिन मेरी (वामन रूप की) पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं। अत: मोक्ष की इच्छा करने वाले मनुष्य इस व्रत को अवश्य करें। जो कमलनयन भगवान का कमल से पूजन करते हैं, वे अवश्य भगवान के समीप जाते हैं। जिसने भाद्रपद शुक्ल एकादशी को व्रत और पूजन किया, उसने ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन किया। अत: हरिवासर अर्थात एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस दिन भगवान करवट लेते हैं, इसलिए इसको परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। भगवान के...

Bhaktamar stotram jain sampraday ka mahtv he

भक्तामर स्तोत्र ◆●◆●◆●◆●◆ भक्तामर स्तोत्र का जैन धर्म में बडा महत्व है। आचार्य मानतुंग का लिखा भक्तामर स्तोत्र सभी जैन परंपराओं में सबसे लोकप्रिय संस्कृत प्रार्थना है। भक्तामर स्तोत्र में ऋषभनाथ की चित्रण【चित्र देखे】 इस स्तोत्र के बारे में कई किंवदंतियाँ हैं। इसमें सबसे प्रसिद्ध किदवंती यह है कि आचार्य मानतुंग को जब राजा भोज ने जेल में बंद करवा दिया था। और उस जेल के 48 दरवाजे थे जिन पर 48 मजबूत ताले लगे हुए थे। तब आचार्य मानतुंग ने भक्तामर स्तोत्र की रचना की तथा हर श्लोक की रचना ताला टूटता गया। इस तरह 48 शलोको पर 48 ताले टूट गए। मानतुंग आचार्य 7वी शताब्दी में राजा भोज के काल में हुए है। मंत्र शक्ति में आस्था रखने वालो के लिए यह एक दिव्य स्तोत्र है। इसका नियमित पाठ करने से मन में शांति का अनुभव होता है व सुख समृद्धि व वैभव की प्राप्ति होती है। यह माना जाता है कि इस स्तोत्र में भक्ति भाव की इतनी सर्वोच्चता है कि यदि आपने सच्चे मन से इसका पाठ किया तो आपको साक्षात ईश्वर की अनुभति होती है। *श्री भक्तामर स्त्रोत* ◆●◆●◆●◆●◆●◆ भक्तामर-प्रणत-मौलि-मणि-प्रभाणा- मुद्योतकं दलित-पाप...

એકાદશી વ્રત કરવાથી મળતું પુણ્ય .shashtri ji bhavangar

🍉🍍🍉🍍ઍકાદશી વ઼ત થી મળતુ પુણ્ય🍎🍌                            (૧)શ્રી મહાપ્રભુજી કહે છે કે  કરોડ યજ્ઞ બરોબર ૧ ઍકાદશી કરવાથી કરોડ યજ્ઞનુ ફળ મળે છે.                      (૨) કરોડ ગાયોનુ દાન બરોબર ૧ ઍકાદશી કરવાથી કરોડ ગાયોના દાન જેટલુ ફળ મળે છે.        (૩)  ૧ ભાર સોનુ રોજ દાન કરવા બરાબર ૧  ઍકાદશી કરવાથી તેના જેટલુ ફળ મળે છે.            (૪)  કોટી કલ્પ સુઘી ચાદૃાયણ વ઼ત જેટલુ ૧ ઍકાદશી કરવાથી ફળ મળે છે.                       (૫) ભારતના બધાં તીથૅ કર્યા બરાબર  ૧ ઍકાદશી કરવાથી ફળ મળે છે.     (૬) ૧ લાખ ઉપવાસ કરો કે ૧ ઍકાદશી કરવાથી            તેના જેટલુ ફળ મળે છે.       (૭) ઍક્યાસી હજાર ઋષીને જમાડવા જેટલુ ફળ ૧ ઍકાદશી કરવાથી મળે છે (૮)   કરોડ વાર ગંગામા સ્નાન કરવ...

ગુરુ સાધના સે લક્ષ્મી પ્રાપ્તિ

Every thing is possible in the world Thursday, 29 January 2015         गुरु साधना से लक्ष्मी प्राप्ति “अच्युताय नमस्तुभ्यं गुरवे परमात्मने |सर्वतंत्रस्वतंत्र   या चिद्घनानंदमूर्तये ||”‘ॐ त्वमा वह वहे वद वे गुरोर्चन धरै सह प्रियन्हर्षेतु’ हे अविनाशी परमात्मा स्वतंत्र चैतन्य और आनंद मूर्ति स्वरुप गुरुदेव ! आपको नमस्कार है | हे गुरुदेव ! आप सर्वज्ञ हैं , हम ईश्वर को नहीं पहचानते, न हि उन्हें कभी देखा है, और आपके द्वारा हि उस प्रभु या ईष्ट के दर्शन सहज और संभव है, मै अपना समर्पित कर आपका अर्चन पूजन कर पूर्णता प्राप्त करने का आकांक्षी हूँ |      भाइयो बहनों !                   इस श्लोक का भावार्थ आप समझ हि गए हैं यानि गुरु हि वह व्यक्तित्व है जो अज्ञान के अंधकार से शिष्य को पार ले जाकर जीवन में ज्ञान का प्रकाश देता है | गुरु हि हैं जो जीवन की बाधाओं के शिष्य को सचेत भी करते हैं औरुनसे निकलने का मार्ग भी प्रसस्त करते हैं |  प्रिय स्नेही स्वजन ! आगामी वर्ष कि ढेरो शुभ कामनाओं क...

बिल्वपत्र की महत्ता

🍃🍃 बिल्वपत्र की महत्ता 🍃🍃      🍃🍃हरि ॐ नम: शिवाय🍃🍃     ~-~-~-~-~-·····~-~-~-~-~- ★शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग पर कई प्रकार की सामग्री फूल-पत्तियां चढ़ाई जाती हैं। इन्हीं में से सबसे महत्वपूर्ण है बिल्वपत्र। बिल्वपत्र से जुड़ी खास बातें जानने के बाद आप भी मानेंगे कि बिल्व का पेड बहुत चमत्कारी है--- ●पुराणों के अनुसार रविवार के दिन और द्वादशी तिथि पर बिल्ववृक्ष का विशेष पूजन करना चाहिए। इस पूजन से व्यक्ति ब्रह्महत्या जैसे महापाप से भी मुक्त हो जाता है। ●क्या आप जानते हैं कि बिल्वपत्र छ: मास तक बासी नहीं माना जाता। इसका मतलब यह है कि लंबे समय तक शिवलिंग पर एक बिल्वपत्र धोकर पुन: चढ़ाया जा सकता है या बर्फीले स्थानों के शिवालयों में अनुपलब्धता की स्थिति में बिल्वपत्र चूर्ण भी चढाने का विधान मिलता है। ●आयुर्वेद के अनुसार बिल्ववृक्ष के सात पत्ते प्रतिदिन खाकर थोड़ा पानी पीने से स्वप्न दोष की बीमारी से छुटकारा मिलता है। इसी प्रकार यह एक औषधि के रूप में काम आता है। ●शिवलिंग पर प्रतिदिन बिल्वपत्र चढ़ाने से सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं। भक्त को जीवन में ...

Janmashtmi vishe

जन्माष्टमी पर आज एक साथ तीन संयोग! ********************************** स्मार्त समुदाय आज और वैष्णव समुदाय कल मनाएगा जन्माष्टमी ================================ अधिकतर श्रद्धालु आज यानी 23 अगस्त को जन्माष्टमी मनाएंगे। स्मार्त अर्थात् पंचदेवों की पूजा करने वाले श्रद्धालु 23 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। वैष्णव समुदाय के श्रद्धालु अवश्य कल यानी 24 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व मनाएंगे। जन्माष्टमी पर ग्रह गोचरों का महासंयोग वरदान होगा। इस तिथि पर छत्र योग, सौभाग्य सुंदरी योग और श्रीवत्स योग बन रहा है। यह पर्व पूजन और व्रतियों के लिए फलदायी सिद्ध होगा। 14 वर्षों के बाद तीन संयोग एक साथ बने हैं। जन्माष्टमी के समय सूर्यदेव अपनी सिंह राशि में रहेंगे। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था, जो कि इस बार 23 अगस्त को पड़ रही है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, इसलिए जन्माष्टमी रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाना सर्वोत्तम माना गया है। रोहिणी नक्षत्र 23 अगस्त 2019 रात 11.56 बजे से ही शुरू हो जाएगा। 23 अगस्त को रोहिणी नक...

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र ।।

ऋणमोचन मंगल स्तोत्र मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां। कृपाकरं। वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।। धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्। अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:। वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।। एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात् ।। स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।। अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:।। ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:। भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।। अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। विरञ्चि शक्रादिविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा। तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।। पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:। ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।। एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम्। महतीं श्रियमाप्...

पूजा से जुड़ी बातें

🙏 *જય ભગવાન* 🙏 🕉 *નમો નારાયણ* 🕉 ☘ *સનાતન ધર્મ વિશે* ☘ *।।पूजा से जुड़ी हुईं अति महत्वपूर्ण बातें।।* ★ एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। ★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। ★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें। ★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। ★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। ★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए। ★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं। ★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए। ★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं। ★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, ★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं। ★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए। ★...

નાડાછડી

🙏 *જય ભગવાન* 🙏 🕉 *નમો નારાયણ* 🕉 🔥  *સત્ય સનાતન ધર્મ કી જય હો*🔥 🕉 *જય શ્રી કૃષ્ણ* 🕉  🌺 *નાડાછડી* 🌺 🧶કોઈપણ દેવી-દેવતાની પૂજામાં બ્રાહ્મણ દ્વારા આપણા કાંડા પર એક વિશેષ દોરો બાંધવામાં આવે છે.  જેને નાડાછડી  કહેવામાં આવે છે. આ દોરાને બાંધવાથી ધર્મ લાભ ઉપરાંત સ્વાસ્થ્ય લાભ પણ મળે છે. આવો આજે જાણીએ કે પૂજામાં લાલ દોરો કેમ બાંધવામાં આવે છે અને તેના શુ સ્વાસ્થ્ય થાય  છે.   🧶હાથ પર જ્યા લાલ દોરો બાંધવામાં આવે છે. ડોક્ટર પણ એ જ સ્થાન પર નાડી તપાસીને બીમારી વિશે બતાવે છે.  લાલ દોરો બાંધતી વખતે આપણા કાંડા પર દબાણ પડે છે.  જેનાથી ત્રિદોષ મતલબ વાત, પિત્ત અને કફ નિયંત્રણમાં રહે છે.   🧶નાડાછડીના સંબંધમાં માન્યતા છે કે તેને બાંધવાથી ત્રિદેવ મતલબ બ્રહ્મા, વિષ્ણુ, મહેશ અને ત્રણેય દેવીઓ મતલબ લક્ષ્મી, પાર્વતી અને સરસ્વતીની વિશેષ કૃપા પ્રાપ્ત થાય છે.   🧶બ્રહ્માકી કૃપાથી કીર્તિ, વિષ્ણુની કૃપાથી બળ મળે છે અને શિવજી આપણા દુર્ગુણોનો નાશ કરે છે.  આ જ રીતે લક્ષ્મીથી ધન, દુર્ગાથી શક્તિ અને સરસ્વતીની કૃપાથી બ...

दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्। जय गुरुदेव

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विश्वं दर्पणदृश्यमाननगरी तुल्यं निजान्तर्गतम्, पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यदा निद्रया। यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयम्, तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये ॥१॥यह विश्व दर्पण में दिखाई देने वाली नगरी के समान है (अर्थात् अवास्तविक है),  स्वयं के भीतर है, मायावश आत्मा ही  बाहर प्रकट हुआ सा दिखता है  जैसे नींद में अपने अन्दर देखा गया स्वप्न बाहर उत्पन्न हुआ सा दिखाई देता है।जो आत्म-साक्षात्कार के समय यह ज्ञान देते हैं कि आत्मा एक (बिना दूसरे के) है उन श्रीगुरु रूपी, श्री दक्षिणामूर्ति को नमस्कार है ॥१॥This world is unreal like the image of a city in the mirror, it exists inside. Due to the power of Maya it looks as if it is manifested outside like in dream we see things outside ourselves. Salutations to Sri Shiva in the form of preceptor, who, at the time of self realization, makes one aware that Atma is without second (i.e. one).॥1॥   बीजस्यान्तरिवान्कुरो जगदिदं प्राङनिर्विकल्पं पुन- र्मायाकल्पितदेशकालकलना वैचित्र्यचित्री...

गुरु पूर्णिमा विशेष

गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते हैं । गुरुका ध्यान शिष्यके भौतिक सुखकी ओर नहीं, अपितु केवल उसकी आध्यात्मिक उन्नतिपर होता है । गुरु ही शिष्यको साधना करनेके लिए प्रेरित करते हैं, चरण दर चरण साधना करवाते हैं, साधनामें उत्पन्न होनेवाली बाधाओंको दूर करते हैं, साधनामें टिकाए रखते हैं एवं पूर्णत्वकी ओर ले जाते हैं । गुरुके संकल्पके बिना इतना बडा एवं कठिन शिवधनुष उठा पाना असंभव है । इसके विपरीत गुरुकी प्राप्ति हो जाए, तो यह कर पाना सुलभ हो जाता है । श्री गुरुगीतामें ‘गुरु’ संज्ञाकी उत्पत्तिका वर्णन इस प्रकार किया गया है, गुकारस्त्वन्धकारश्च रुकारस्तेज उच्यते । अज्ञानग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः ।। – श्री गुरुगीता अर्थ : ‘गु’ अर्थात अंधकार अथवा अज्ञान एवं ‘रु’ अर्थात तेज, प्रकाश अथवा ज्ञान । इस बातमें कोई संदेह नहीं कि गुरु ही ब्रह्म हैं जो अज्ञानके अंधकारको दूर करते हैं । इससे ज्ञात होगा कि साधकके जीवनमें गुरुका महत्त्व अनन्य है । इसलिए गुरुप्राप्ति ही साधकका प्रथम ध्येय है । गुरुप्राप्तिसे ही ईश्वरप्राप्ति होती है अथवा यूं कहें कि ...

नवग्रह चालीसा

*श्री नवग्रह चालीसा....*🌸💐👏🏼 *चौपाई :* 🌸 *श्री गणपति गुरुपद कमल,* *प्रेम सहित सिरनाय।* *नवग्रह चालीसा कहत,* *शारद होत सहाय।।* *जय जय रवि शशि सोम बुध,* *जय गुरु भृगु शनि राज।* *जयति राहु अरु केतु ग्रह,* *करहुं अनुग्रह आज।।* *श्री सूर्य स्तुति :* 🌸 प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा। हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू। अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा। नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर। *श्री चन्द्र स्तुति :* 🌸 शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि। राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा। सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर। तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा। *श्री मंगल स्तुति :* 🌸 जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता। अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी। हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी। अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै। *श्री बुध स्तुति :* 🌸 जय शशि नन्दन बुध महाराज...

श्राद्ध विषयक जय भगवान

🙏 *जय भगवान* 🙏 🌸 *जय श्री कृष्णा* 🌸 હાલના બ્રાહ્મણ સમાજમાં વ્યક્તિનાં મરણ પ્રસંગે પ્રથમ દિવસની અંતિમક્રિયા(અગ્નિદાહ)મા સુજ્ઞપંડિત મળવા મુશ્કેલ છે.ત્યારે મૃતકને વિષ્ણુ ધામ પહોંચાડવા માટે નું પુણ્ય સવિશેષ બ્રાહ્મણસમાજ ને પ્રાપ્ત થાય તથા મરણોત્તર અગ્નિદાહ વિધિ સરળ બની રહે તે હેતુ થી સવિધિ માર્ગદર્શન સાથે આ" અગ્નિદાહ પદ્ધતિ" નો જરુર પડ્યે ઉપયોગ કરી પિતૃરૂણ થી મુક્ત થવા પ્રયત્નશીલ રહેશો તેવી લાગણીશીલ અભ્યર્થના,, પંડીત જોડે જ પૂજા કરાવી  યજુર્વેદીય વિધાન🌞                ||પુરૂષ ના મરણ ની વિધિ|| મરણ સમ્બન્ધિત જાણકારી.~ (1)વૈદિક તિથિ મુજબ બે વર્ષ 719દિવસમાં બાળક નું મૃત્યુ થાય તો અગ્નિદાહ ન કરવો જમીનમાં વિલીન કરવું(असमाप्तद्विवर्षस्य पूर्वक्रियाऽपि नास्ति||श्राद्ध विवेकः||) (2)વૈદિક તિથિ મુજબ 320દિવસ અને તેથી મોટું 2159 દિવસ સુધીમાં બાળકનું મૃત્યુ થાય તો મલિન ષોડશી અર્થાત(અગ્નિદાહ અને દશમાની વિધિ)કરવી.(असमाप्तषड्वर्षस्य पूर्वक्रियामात्रम्||श्राद्धविवेके||) (3)વૈદિક તિથિ મુજબ છ વર્ષ 2160દિવસ અને તેથી મોટા બાળક ની અગ્નિદાહ તથા સમસ્ત ...