सौंदर्य लहरी
હર મહાદેવ
❤️सौन्दर्य लहरी ❤️
शिवः शक्तत्या युक्तो यदि भवति शक्तः प्रभवितुं
न चेदेवं देवो न खलु कुशलः स्पन्दितुमपि ।
अतस्त्वामाराध्यां हरिहरविरिश्वादिभिरपि
प्रणन्तुं स्तोतुं वा कथमकृतपुण्यः प्रभवति ॥🌺
अर्थः- शिव शक्ति से युक्त होकर ही सृष्टि करने को शक्तिमान होता है और यदि ऐसा न होता तो वह ईश्वर भी स्पन्दित होने को योग्य नहीं था इसलिये तुझे हरि और ब्रह्मा की भी आराध्य देवता को त्याग कर किसी भी पुण्यहीन मनुष्य में प्रणाम करने अथवा स्तुति करने की प्रवृत्ति कैसे हो सकती है ?☯️⚕️
🌹DETAILED DESCRIPTION (MUST READ)-🪷
(१) शक्ति, इच्छा -ज्ञान- क्रिया भेद से त्रिधा होती है, उस के बिना शिव कुछ नहीं कर सकते । शिव *हं* वाच्य है और शक्ति *सः* वाच्य, इसलिये इस श्लोक से *हंसः* मत्र सिद्ध होता है जिसको उलटा करने से *सोऽहं* बनता है। ✡️
सोहं में से स और ह दोनों अक्षरों को हटा दिया जाय तो *ॐ* शेष रह जाता है। *ॐ निर्गुण अक्षर ब्रह्य वाचक है, हंस जीव वाचक और सोहं ब्रह्मात्मैक्य पद है।*🕉️
ह, स दोनो *हादि विद्या* के प्रथम दो अक्षर हैं, इसलिये सौंन्दर्य लहरी में प्रतिपाद्य आनन्द लहरी पद से श्री विद्या का संकेत करते हैं और यह श्लोक इस ग्रंथ का प्रथम मंगलाचरणार्थ लिखा गया है। 🔱
ह और स दोनों के योग से *सौ* बीज मंत्र भी
बनता है, जिसको *प्रेत बीज* कहते हैं। इस बीज में शिव शक्ति दोनों को प्रलय कालीन महासुप्ति अवस्था में दिखाया गया है प्रत्येक श्वास मै प्राणिमात्र का हंसः अथवा सोहं जप होता रहता है,🧘♂️ इसको *अजपाजप* अथवा अजपा गायत्री कहते हैं ! जप यद्यपि स्वतः होता है, परन्तु उस पर हेतु सहित ध्यान रखने से ही जप का फल हो सकता है ।🔯
उच्छश्वास के समय *सः* और निःश्वास के समय *हं* बीज का शब्द स्वतः होता रहता है। यदि इस के जोडे का वियोग हो जाय तो श्वास की गति रुकने से या तो मृत्यु हो जायेगी अथवा समाधि हो जायगी। सृष्टि या प्रभव के लिये शिव का शक्ति सहित रहना आवश्यक है । ⚛️
ब्रह्मा विष्णु और हर तीनों क्रमशः रजोगुण, सत्वगुण
और तमोगुण की शक्तियों से सृष्टि स्थिति संहार करते हैं, इसलिये आदि शक्ति की अराधना के सिवाय उनमें कुछ भी करने का सामर्थ्य नहि है। आदिशक्ति इन त्रिदेव की भी आराध्या हैं इसलिये मुमुक्षुओं को भगवती की शरण में रहकर आराधना करना आवश्यक है। ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीमात्रे नमः🙏🙏
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