હર મહાદેવ *भगवान विष्णु के तीन नाम, करते हैं रोगों का नाश!* सभी रसायन हम करी नहीं नाम सम कोय। रंचक घट मैं संचरै, सब तन कंचन होय।। सारा संसार आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक रोगों से ग्रस्त है। कभी-कभी सभी प्रकार की दवाएं कर लेने पर भी रोग मिटता नहीं, डॉक्टर भी रोग को पहचान नहीं पाते हैं। ऐसी स्थिति में भगवान का नाम-जप ही वह रसायन (औषधि) है जो मनुष्य के शारीरिक व मानसिक रोगों का नाश कर काया को कंचन की तरह बना देता है। जैसे भगवान में अनन्त चमत्कार हैं, अनन्त शक्तियां हैं; वैसे ही अनन्त शक्तियों से भरे उनके नाम जादू की पिटारी हैं जो लौकिक रोगों की तो बात ही क्या, भयंकर भवरोग को भी मिटा देते हैं। भगवान धन्वन्तरि समुद्र-मंथन से प्रकट हुए। उन्होंने देवताओं व ऋषियों को औषधि, रोग-निदान और उपचार आदि के बारे में बताया। सभी रोगों पर समान और सफल रूप से कार्य करने वाली महौषधि (सबसे बड़ी दवा) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा– अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चारण भेषजात्। नश्यन्ति सकला रोगा: सत्यं सत्यं वदाम्यहम्।। अर्थात्–‘अच्युत, अनन्त, गोविन्द–इन नामों के उच्चारणरूपी औषधि से समस्त रोग दूर हो जाते हैं,...
*क्यों जरूरी है कर्मकांड?* वेदों के दो मुख्य कर्मकांड और ज्ञानकांड है। जिसमें संहिता और ब्राह्मण भाग कर्मकांड विभाग है और आरण्यक तथा उपनिषद ज्ञानकांड विभाग है। वे एक दूसरे के पूरक है। कर्मकांड जहां सकाम निष्काम कर्म से भोग प्राप्त कराता है तो ज्ञानकांड कर्म के निषेध से मोक्ष। यह सम्भव ही नहीं कि बिना कर्मकांड के आप ज्ञानकांड तक पहुंच पाए। कारण के कर्मकांड विभाग में नित्य नैमित्तिक काम्य निष्काम आदि कर्मविभाग कहा है जिसके माध्यम से मनुष्य चित्तशुद्धि कर के ज्ञानमार्ग अर्थात ज्ञानकांड का अधिकारी बनता है। जहां कर्मकांड जिसे वेदपूर्वभाग भी कहते है वो विधिपरक है, और ज्ञानकांड जिसे वेदांत कहते है वो निषेध परक। सीधे ज्ञानकांड की बातें करने वाले अधूरे घड़े आपको कभी नहीं समझाएंगे की क्या विधि है क्या निषेध है? अथवा क्यों विधि है क्यों निषेध है? जब तक गृहस्थ है तब तक विधि की मानना ही मानना है अर्थात नित्य नैमित्तिक कर्म करना ही करना है। क्योंकि जब आपको विधि का ज्ञान होगा तब आपको निषेध क्या करना है उसका ज्ञान होगा। सीधा ज्ञान सामान्य मनुष्यों के लिए असंभव है। अतः जो वेदमार्ग है वही विह...
વિશ્વમાં જન્મ લેવા માટે તમે 9 મહિના સુધી માતાના ગર્ભાશયમાં રાહ જોઈ શકો છો.!!! ચાલવા માટે,- 2 વર્ષ શાળામાં પ્રવેશ માટે - 3 વર્ષ, મત આપવા માટે - 18 વર્ષ, નોકરી માટે - 22 વર્ષ, લગ્ન માટે - 25 -30 વર્ષ, આ રીતે, આપણે ઘણા પ્રસંગો માટે પ્રતીક્ષા કરીએ છીએ, પરંતુ ,,,,, વાહન ચલાવતી વખતે, ઓવરટેક કરતી વખતે, "30 સેકંડ" પણ રાહ નથી જોવાતી. આપણે કયાં મોટા બિઝનેસમેન છે કે એક મિનીટમાં લાખોનું નૂકશાન થાય.!! જયારે એક "અકસ્માત" થયા પછી, જો તમે "જીવિત" હોવ તો, તમે અકસ્માત પછી સારવાર માટે "ઘણા કલાકો", "ઘણા દિવસો" , "મહિનાઓ અથવા વર્ષો" હોસ્પિટલમાં પસાર કરો છો.!! "થોડીક સેકંડ" ની કેટલી ગડબડ "ભયાનક પરિણામો" લાવી શકે છે.,જેઓ જાય છે, પાછળના લોકોનું શું ? ? પછી દર વખતની જેમ, ફક્ત" ભાગ્ય" ને દોષ આપવો અને એ બહાને મોત હશે તેવું ખોટું આશ્વાસન લેવું!! તેથી જ" યોગ્ય ગતિ" ," સાચી દિશા" અને "સલામતી" થી વાહન ચલાવો "સુરક્ષિત" રહો.. તમારા પોતાના નિર્દોષ કુટુંબીજનો તમારી ઘરે રાહ જોઈ...
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