महा पूज्य अगस्त्य।।
बहुतो लोकनि के जिज्ञासा छैन्हि, अगस्त्य तर्पणके संबंध मे सभहक एकेटा प्रश्न आयल जे हम सभ अगस्त्य मुनि के तर्पण कियाक करैत छी ?
उत्तर अछि :-
अगस्त्य मुनि अनेको बेर सृष्टि मे प्रलयंकारी शक्ति के विध्वंस कए सृष्टि संचालन मे सहायक रहला अछि । हुनक अनको आविष्कार सँ हम सभ एखनहुँ लाभान्वित होइत रहैत छी।
पूर्व समय मे आतापी आ वातापी नामक दूटा दैत्य अपन आकार के छोट कए अगस्त्य मुनि जहन समुद्र जल सँ आचमनी / कुरूर करैत रहथि , तहन हुनक मुँह बाटे, पेट मे पैस गेलन्हि । पेट मे गेलाक बाद ओ अपन आकार पैघ करय लागल। मुनि के जखने आभास भेलन्हि जे इ सभ आकार पैघ कए कऽ हमर पैट फारि देमय चाहैत अछि , हमरा समाप्ते कए देत। तखन ओ बामा हाथ सँ पेट मलय लगलाह आ दहिना हाथे पुरा समुद्र पिब लेलाह । ब्रह्मा , विष्णु आ अन्य देवता चिन्तित भए गेलाह जे जल यदि पृथ्वी पर नहि रहत तखन सृष्टि कोना चलत । (संकलन:- सीता राम झा) ब्रह्मा सहित सभ देवगण हुनका लग उपस्थित भेलाह , हुनका कहल जे जँ जल समाप्त भए जेतै तँ कोनो इ सृष्टि चलतै । ओहि समय मे ब्रह्मा कहलखिन्ह जे जल अहाँ छोरि दियौक आ एकटा वरदान माँगि लिय ।
पहिले ओ अपन साँस रोकिक आतापी आ वातापी के अपन पेट मे समाप्त कए गुदा मार्ग सँ निकालि देल ।
तखन ब्रह्मा सँ ब्राह्मण कुलोत्पन्न सभ हमर तर्पण करथि से वरदान स्वरूप माँगि लेलथि । अगस्त्य मुनि के पुत्र नहि रहनि ।
हम सभ ब्राह्मण लोकनि ब्रह्मा द्वारा देल वरदानक कारण साल मे एक दिन जे अगस्त्य मुनि प्रादुर्भाव दिवस छैन्हि , ओहि दिन अगस्त्य तर्पण करैत छी।
अपने देखबय जे तर्पणक विधि मे इ श्लोक सेहो छै प्रायः पढ़ने सेहो होयब। 👇🏻
ॐ आतापी भक्षितो येन वातापी च महावलः ।
समुद्रः शोषितो येन स मेऽगस्त्यः प्रसीदतु ॥
एकटा आओर मान्यतानुसार एक समय मे विन्ध्याचल पर्वत सभ सँ ऊँच बनबाक प्रयत्न कएलन्हि। ओ ततेक पैघ भए गेला जे सूर्यक मार्ग बाधित भए गेल । पृथ्वी पर सूर्य किरण नहि पडला सँ अनको तरहक समस्या उत्पन्न होमय लागल । तखन ब्रह्मा जी के विशेष आग्रह पर अगस्त्य मुनि एहि समस्या के निवारण केलखिन्ह । तखन ब्रह्मा जी हुनका वरदान देलखिन्ह जे भाद्रशुक्ल पूर्णिमा मे समस्त ब्रह्मण समाज अहाँकें अर्घ देताह आ पूजन करताह । ताहि कारण पितृपक्ष आरम्भ स पहले तर्पणाधिकारी अगस्त्य तर्पण करैत छथि।
फोटो साभार :- गुगल
*शास्त्री जी भावनगर*
9510713838
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