મહા પાખંડ

*गायत्री परिवार का घर घर यज्ञ एक महापाखंड।* 

अपने परिवार का विनाश चाहते है तो घर पर गायत्री यज्ञ करें। 

गायत्री परिवार वाले क्या शास्त्रीय मर्यादाएं जानते है? गायत्री परिवार वालों से नीचे दिए गए प्रश्न करे।

१. गायत्री परिवार वाले शाप विमोचन के साथ कुल गोत्र वेद शाखा अनुसार विधि करवाते है?

२. गायत्री परिवार का हवन कितना शास्त्रीय है?

३. गायत्री परिवार लोह कुंड में हवन करवाता है, लोह पात्र में केवल अभिचार कर्म ही किया जाता है, लोहपात्र में किया गया हवन निष्फल है आहुति जो सो देवताओं को नहीं यम को जाती है। गायत्री परिवार वाले यह जानते है? या सामान्य भोलीभाली जनता को वो मृत्यु के मुख में धकेल रहे है।

४. होम हवन के कुछ नीति नियम होते है, हवन कुंड किंतनी लंबाई का करना है कितना गहरा करना है, कौन से वर्ण के लिए कौन से कुंड का उपयोग करना चाहिए, कुंड के साथ मंडप भी होता है मंडप का शास्त्रीय विधान क्या है? कुंड निर्माण का शास्त्रीय विधान क्या है? यह गायत्री परिवार वाले जानते है?

५. गायत्री परिवार में महिलाओं को उपनयन दिया जाता है जो महापाखंड है, उपनयन संस्कार केवल द्विज वर्ण के लिए है (मनुस्मृति, याज्ञवल्क्य आदि तमाम स्मृतियों का यह मत है।)

६.गायत्री परिवार की स्त्रियां आहुति देती है, बृहदारण्यक अनुसार स्त्री योनि स्वयं कुंड है जिसमे समिधा पुरुष डालकर आहुति देता है,इसलिए स्त्रियों की हवन में आहुति देना वर्जित है। गायत्री हवन में आहुति देने के लिए स्त्रियां अधिकारी है? ना, कारण की ब्राह्मण पुरुष भी उपनयन न हो जाए तब तक अधिकारी नहीं।

७.गायत्री मंत्र सार्वजनिक मंत्र नहीं गुप्त मंत्र है, न गायत्री को उच्च स्वर में बोलना चाहिए न ही सामान्य स्वर में यह मर्यादा है, गायत्री मंत्र केवल द्विज वर्ण के लिए है, द्विज वर्ण में भी केवल उपनीत हो वही गायत्री मंत्र कर सकते है, अनुपवित ब्राह्मण पुत्र के लिए भी गायत्री मंत्र निषेध है व स्त्रियों के लिए भी अनुपवित होने के कारण निषेध है स्त्रियों के जिम्मेदारी का अधिक जनेऊ पुरुष पहनते है, क्या यह गायत्री परिवार वाले जानते है?

लोग कहते है आपके पास कोई
प्रमाण है?जी बिल्कुल शास्त्रीय प्रमाण है, की वेदो के अंतिम भाग वेदांत यानि उपनिषद में अद्विज,चतुर्थ वर्ण और स्त्रियों को गायत्री मंत्र जप आदि का निषेध दिया गया है।
प्रमाण :

सावित्रीं प्रणवं यजुर्लक्ष्मीं स्त्रीशूद्राय नेच्छन्ति।
- नृसिंहपूर्वतापनियउपनिषद

सावित्रीमन्त्र को, प्रणव को, यजुर्मन्त्रों को और लक्ष्मीमन्त्र को स्त्री तथा शूद्र को देना नहीं चाहिए।

सावित्रीं लक्ष्मीं यजुः प्रणवं यदि जानीयात्स्त्रीशूद्रः स मृतोऽधो गच्छति
- नृसिंहपूर्वतापनियोपनिषद
गायत्री (सावित्री) मन्त्र, लक्ष्मीमन्त्र, यजुस्, और प्रणवमन्त्र को यदि स्त्री या शूद्र जान ले, तब तो उसका मरण और अध:पतन ही होगा।

तस्मात्सर्वदा नाचष्टे यद्याचष्टे स आचार्यस्तेनैव स मृतोऽधो गच्छति॥
- नृसिंहपूर्वतापनियउपनिषद
आचार्य को उनके आगे इन मन्त्रों का उच्चारण नहीं करना चाहिए। अगर आचार्य उनके आगे बोलेगा तो उसका मरण और अध:पतन होगा।

अगर आप में से कोई कहता है कि यह उपनिषद अर्थात वेद को प्रमाण नहीं मानते तो समझ लीजिए आप हिन्दू नहीं कारण हिन्दू के लिए वेद ही अंतिम प्रमाण है, और शास्त्र प्रमाण अंतिम प्रमाण है, यहीं भगवान श्रीकृष्ण का श्रीमद्भागवतगीता के १६ वे अध्याय में कहते है। :

यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः।
न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम्। गीता १६.२३

जो मनुष्य शास्त्रविधिको छोड़कर अपनी इच्छासे मनमाना आचरण करता है, वह न सिद्धि को, न सुखको और न परमगतिको ही प्राप्त होता है।

तस्माच्छास्त्रं प्रमाणं ते कार्याकार्यव्यवस्थितौ।
ज्ञात्वा शास्त्रविधानोक्तं कर्म कर्तुमिहार्हसि। गीता १६.२४

अर्थात तेरे लिये कर्तव्य-अकर्तव्यकी व्यवस्थामें शास्त्र ही प्रमाण है, इसे जानकर शास्त्र विधिसे नियत कर्तव्य कर्म करना चाहिए।

इसपर गायत्री परिवार की प्रतिक्रिया उनका मत पक्ष मान्य नहीं, कारण की यह सर्वोच्च वेद प्रमाण हमने दिया है, यह शास्त्र आधारित निर्णय है।

❗जय महादेव❗
 ⭕प्रश्न नहीं स्वाध्याय करें‼️

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