નવરાત્રી.नव दुर्गा नौ ही क्यों ??

नव दुर्गा नौ ही क्यों ??

भूमिरापोऽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च । अहंकार इतियं में प्रकृतिरष्टधा।।

ऐसा कह कर भगवान् ने आठ(८) प्रकृतियों का प्रतिपादन कर दिया( *भूमि, आकाश, अग्नि, वायु, जल, मन, बुद्धि और अहंकार* ) इनके परे केवल ब्रह्म ही है अर्थात *८ प्रकृति और १ ब्रह्म* (८+१=९ ) ये नौ हो गए जो परिपूर्णतम है। नौ देवियाँ, शरीर के नौ छिद्र, नवधा भक्ति, नवरात्र ये सभी पूर्ण है। ९ के अतिरिक्त संसार में कुछ नहीं है इसके अतिरिक्त जो है वह शून्य (०) है। किसी भी अंक को ९ से गुणा करने पर गुणनफल से प्राप्त अंको का योग ९ ही होता है। अतः ही परिपूर्ण है।
९ द्वार वाले शरीर को पूर्ण जाग्रत और क्रियाशील कर अपने परम लक्ष्य मोक्ष तक पहुँचने में ही इन ९ स्वरूपो की उपासना का तात्पर्य है। 
ये ९ स्वरुप :-
 *१.शैलपुत्री २.ब्रह्मचारिणी ३.चन्द्रघण्टा* *४. कूष्माण्डा* 
 *५. स्कन्दमाता ६. कात्यायनी* 
 *७. कालरात्रि ८. महागौरी* 
 *९. सिद्धिदात्री* 

दुर्गा को कुमारी माना गया है इसी वजह से २ वर्ष से लेकर १० वर्ष तक की कन्या को कुमारी स्वरुप माना गया है। *१ वर्ष की कन्या को गन्ध पुष्प आदि से प्रेम नहीं होता* अतः उसे शामिल नहीं किया जाता और *१० वर्ष से अधिक उम्र की कन्या को रजस्वला में गिना जाता है।*

 *अतः २वर्ष, ३वर्ष ,४ वर्ष,५ वर्ष, ६ वर्ष,७ वर्ष, ८ वर्ष,९ वर्ष और १० वर्ष की कन्याओ का पूजन क्रमशः प्रतिपदा से नवमी तक किया जाये ऐसा विधान है।* इस प्रकार ९ कन्याये होती है जिनकी पूजा की जाती है दुर्गा स्वरुप में ,ये भी एक आधार है नव दुर्गा के ९ होने का। ऐसे कई और भी आधार है।कुछ आधार चक्र और कुण्डलिनी से सम्बंधित भी है जिनको *गुह्य होने की वजह से सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए।*🙏🙏🙏

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