साधना मे सिद्धि क्यों नहीं मिल पाती है ??
🚩🔱🕉️🔯🔥📿 *॥साधना मे सिद्धि क्यों नहीं मिल पाती है❓❓❓❓❓❓॥*
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हर साधक मंत्र साधना करता है पर फिर उसे सिद्धि प्राप्त नहीं हो पाती है कारण क्या है ❓ कभी जानने की कोशिश की आपने क्या❓नहीं बस मंत्र मिला और शुरू कर दी साधना ...मंत्र फेसबुक,गुगल पर या कही से ले उठा लिया और माला फेरने लग गये ....मात्र माला फेरने से सिद्धि नही मिल पाती है अगर ऐसा होता तो आज धर धर सिद्ध अधोरी,तांत्रिको होते ओर दुनिया में कोई दुःख ही नही होता ना ❓ सब सही विधि विधान सब मंत्रों की अलग होती हैं सबके न्यास विनियोग मुद्रा सब होते हैं बिना यह केसे संभव है ओर गुरु मार्गदर्शन भी जरुरी होता ना❓बाकी तो आज सब नेट,फेसबुक,गुगल,ग्रुप,किताबों में से लेकर करने लग जाते है कितने लोग सफल हुए ❓❓कोई नहीं बल्कि खुद परेशान हो गया इस लिए
सदैव स्मरण रखो इन वाक्यों को
“”””माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।।””””
यह दोहा अपने आपमें साधनात्मकता के ज्ञान को छुपाये बैठा है ...क्योंकि साधना मार्ग मात्र मंत्र जप करने से नहीं होता है और साधना मे हर वस्तु और क्रिया का अपना ही महत्व है।
आजकल अधिकतर साधक मात्र मंत्र जप तक सीमित रह चुके है ...बस २१ माला करो ..१००माला करो ...तो सिद्धि हो जायेगी..अब यहाँ पे सोचने और समझने वाली बात तो यही है कि क्या बस इतनी माला करने से ही सिद्धि हो जाता है ..,तब तो वे योगी और ऋषि मुनि ही ग़लत थे...मुर्ख थे ❓जिन्होंने हज़ारों हज़ारों वर्षों तपस्या की...रावण महामूर्ख था❓ जिसने जीवन का आधे से ज़्यादा समय तपस्या मे लगा दिया। और हम बस मात्र १०० माला से सिद्धि प्राप्त कर रहे...तीन दिन मे या सात दिन मे देवताओं को प्रत्यक्ष कर रहे है ...यहाँ तो ऐसा लगता है कि हम सब मे इतना तेज़ सा तप आ गया है कि हम उन ऋषि मुनियों से अधिक तपस्वी हो गये होंगे
सब भ्रांतियों और काल्पनिकों का खेल है.....
साधक साधना मे प्रथम ग़लती कौन सी करता है जहाँ पे वह सिद्धि प्राप्ति में मात खा जाता है ....वह है सिद्धि होने से पूर्व ही सिद्धि के कल्पना मे डुब जाना और वह अमुक शक्ति आयेगी ...मै उससे अमुक कार्य करवाऊँगा,उससे ऐसा कराऊँगा ...वैसा कराऊँगा ...और हाथ मे तो माला लिये बैठे है ....मनका फेर रहे है और साधना चल रही है ....और उधर साधक विचारों में...कल्पनाओं की दुनिया मे खोया रहता है ....कि ऐसा होगा ....ऐसे अनुभव होंगे ...वह होगा ...और इसी कारण अधिकतर साधनायें असफल हो जाती है और यही वह समय होता है जब शक्तियाँ माया रचती है और साधक उस माया को ही सिद्धि मान लेता है ...उसे केवल यही लगता है कि बस सिद्धि हो गई ...जबकि उसने तो अभी चलना शुरू किया ही नहीं ...उसकी साधना की शुरूवात ही नही हो पाई है ... बस माला फेर रहे है...मन विचारों मे डुबा है ...साधना तो शुरु की है पर चलना अभी शुरू ही नहीं किया और जब मंत्र जप पूर्ण होता है निश्चित दिन के साथ और विचारों की माया रूपी अनुभव प्राप्त होने पर उसी ही सिद्धि मान लेता है ....यही मुख्य कारण है कि साधना असफल हो जाती है ...
साधना मे सिद्धि प्राप्ति के लिए आवश्यक है स्वयं को सिद्धि के योग्य बनाना ....स्वयं का निर्माण करना ....मन के विचारों पर रोक लगाना ....केवल माला के मनके फेरने से सिद्धि नही मिलती है ...चाहे फिर तुम तीन तीन घंटे या कई घंटों तक एक आसन पर बैठे कर माला फेरते रहो ...
साधना के लिए साधना शक्ति के प्रति समर्पण,प्रेम भाव,भक्ति ,श्रद्धा,विश्वास,धैर्य,एकाग्रता ,स्थिरता,हृदय साधना के देवता का वास होना आवश्यक है
इस दुनिया में ९७% साधक उपरोक्त ख़तरनाक समस्या से ग्रस्त है और साधना मार्ग से पथ भ्रष्ट है ...जो कि एक साधक के लिए स्वयं के लिए एक ख़तरनाक रोग है या साधक पागल हो सकता है ....यह साधक के लिए स्वयं के लिए हानिकारक है ...इसलिए साधना के लिए एकाग्र होकर बैठे ...कल्पना विचारों पे रोक लगायें ...क्योंकि जब तक इन सब पर रोकथाम नहीं लगा पायेंगे तो तब तक साधनायें असफल ही होती रहेगी।अब आगे आप सबका अपना निर्णय है।
*मेरी भक्ति गुरु गोरक्षनाथ जी की शक्ति आदेश जय गिरनारी आदेश* 🚩🔱🔥📿🔯🕉️⚛🌹💢🍃
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