श्री वैदिक ब्राह्मण

*वेदों में देवता का वर्णन भाग ३*
(वेदों में जो देवता है उसको मनुष्य मानने वालों का भ्रम भंजन)

*विश्वेदेव* 

'अग्निर्देवता यजु० १४ । २०" इस मन्त्र में विश्वेदेवा देवता' लिख कर विश्वे-/देवों को देवता माना है और "इहेदसाथ अथर्वका १४. अ० १ सू० १ मं० ३२५ इस मन्त्र में वर वधू को कहा है कि विश्वेदेवा देवता तुम दोनों को सोम की कान्ति के तुल्य कान्तिवाला करें। विचारो, विश्वेदेवा देवता हैं यां मनुष्य ?

*वसु*
"अग्निर्देवता यजुः १४ । २०” इस मन्त्र में वसवो देवता' लिख कर अष्ट्र वसुओं को देवता बतलाया है और “वसवस्त्वा दक्षिणतः अथर्व कां०.१० अ०५ सू०६  म०८" इसमें लिखा है कि वसु देवता दक्षिण की ओर से तेरी रक्षा करेंगे। वसु क्या हैं; तुम्ही विचारो।

*वरुण*
“अग्निर्देवता यजु० १४ । २०" इसमें 'वरुणो देवता' लिखा है और "प्रेहि प्रेहि ऋ० मं० १० अ० १ सू०१४ मं०७" इस मन्त्र में अन्त्येष्टि करनेवाला मृतक पुरुष से कहता है कि तुम उस रास्ते से जाओ जिससे तुम्हारे पूर्वज गये हैं और अभीष्ट स्थान पर पहुँच कर तम वरुण देव को देखोगे । यहं वरुण क्या है ?

*पूषा*
"इमं गावः अथर्व का० १४ अ० १ सू० १ मं० ३३" इस मंत्र में लिखा है कि पूषा देवता तुमको प्रेरित करे और "पूष्मा अथर्व० कां० ७ अ० १ सू० ६ मं०२" 'पूषा देवता हमको निर्भय मार्ग से ले जावे यह बतलाया है।

*आदित्य*
"अग्निर्देवता यजु० १४ । २०” इसमें लिखा है कि 'आदित्या देवता' आदित्य देवता हैं और “वसवस्त्वा अथर्व० कां० १० अ० ५ सू० ६ मं०८” इस मंत्र में यह कहा है कि आदित्य देवता पीछे से तेरी रक्षा करेंगे। समझो आदित्य क्या हैं ?

*मरुत*
"इमं गावः अथर्व० कां० १४ अ० १ सू० १ मं० ३३” इस मंत्र में लिखा है कि इसके लिये तुमको मरुत प्रेरित करें और "इन्द्राग्नी अथर्व० कां० १४ अ० १ सू० १ मं०५४" इस मंत्र में प्रार्थना की गई है कि मरुत देवता इस नारी को सुन्दर प्रजा से बढ़ावें।

यद्यपि देवता हमारे लिखे देवताओं से बहुत अधिक हैं और उनका वर्णन वेदों के पांच पांच छः छः मंत्रों से अधिक मंत्रों में आता है जिसमे से कुछ थोड़े से देवता यहां लिख दिये हैं ।

आर्यसमाज की निम्न कक्षा की विद्वता :
आर्यसमाज की संस्कारविधि नामकरण प्रकरण की टिप्पणी।में सत्ताइस नक्षत्र के सत्ताइस देवता और सोलह तिथि के सोलह देवता लिख कर इनके नाम की आहुतियां देनी लिखी हैं। अब पाठक विचार करें कि ये देवजाति के देव हैं या लिखे पढ़े मनुष्य हैं ? यदि ये सब लिखे पढ़े मनुष्य ही हैं और विद्वान् होने के कारण इनको देवता लिख दिया है तो फिर अग्नि में डाली हुई आहुतियों से इनकी तृप्ति कैसे होगी?

संकलित - क्षेत्रज्ञ
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मृत्युभोज पर शास्त्रीय समाधान ।
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- क्षेत्रज्ञ
(श्री वैदिक ब्राह्मण ग्रुप,गुजरात)

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