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Showing posts from July, 2019

ऋण मोचन मंगल स्तोत्र ।।

ऋणमोचन मंगल स्तोत्र मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:। स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।। लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां। कृपाकरं। वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।। धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्। कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्। अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:। वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।। एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्। ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात् ।। स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:। न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।। अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल। त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:।। ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:। भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।। अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:। तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।। विरञ्चि शक्रादिविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा। तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।। पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:। ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।। एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम्। महतीं श्रियमाप्...

पूजा से जुड़ी बातें

🙏 *જય ભગવાન* 🙏 🕉 *નમો નારાયણ* 🕉 ☘ *સનાતન ધર્મ વિશે* ☘ *।।पूजा से जुड़ी हुईं अति महत्वपूर्ण बातें।।* ★ एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। ★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। ★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें। ★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। ★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए। ★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए। ★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं। ★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए। ★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं। ★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है, ★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं। ★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए। ★...

નાડાછડી

🙏 *જય ભગવાન* 🙏 🕉 *નમો નારાયણ* 🕉 🔥  *સત્ય સનાતન ધર્મ કી જય હો*🔥 🕉 *જય શ્રી કૃષ્ણ* 🕉  🌺 *નાડાછડી* 🌺 🧶કોઈપણ દેવી-દેવતાની પૂજામાં બ્રાહ્મણ દ્વારા આપણા કાંડા પર એક વિશેષ દોરો બાંધવામાં આવે છે.  જેને નાડાછડી  કહેવામાં આવે છે. આ દોરાને બાંધવાથી ધર્મ લાભ ઉપરાંત સ્વાસ્થ્ય લાભ પણ મળે છે. આવો આજે જાણીએ કે પૂજામાં લાલ દોરો કેમ બાંધવામાં આવે છે અને તેના શુ સ્વાસ્થ્ય થાય  છે.   🧶હાથ પર જ્યા લાલ દોરો બાંધવામાં આવે છે. ડોક્ટર પણ એ જ સ્થાન પર નાડી તપાસીને બીમારી વિશે બતાવે છે.  લાલ દોરો બાંધતી વખતે આપણા કાંડા પર દબાણ પડે છે.  જેનાથી ત્રિદોષ મતલબ વાત, પિત્ત અને કફ નિયંત્રણમાં રહે છે.   🧶નાડાછડીના સંબંધમાં માન્યતા છે કે તેને બાંધવાથી ત્રિદેવ મતલબ બ્રહ્મા, વિષ્ણુ, મહેશ અને ત્રણેય દેવીઓ મતલબ લક્ષ્મી, પાર્વતી અને સરસ્વતીની વિશેષ કૃપા પ્રાપ્ત થાય છે.   🧶બ્રહ્માકી કૃપાથી કીર્તિ, વિષ્ણુની કૃપાથી બળ મળે છે અને શિવજી આપણા દુર્ગુણોનો નાશ કરે છે.  આ જ રીતે લક્ષ્મીથી ધન, દુર્ગાથી શક્તિ અને સરસ્વતીની કૃપાથી બ...

दक्षिणा मूर्ति स्तोत्रम्। जय गुरुदेव

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विश्वं दर्पणदृश्यमाननगरी तुल्यं निजान्तर्गतम्, पश्यन्नात्मनि मायया बहिरिवोद्भूतं यदा निद्रया। यः साक्षात्कुरुते प्रबोधसमये स्वात्मानमेवाद्वयम्, तस्मै श्रीगुरुमूर्तये नम इदं श्रीदक्षिणामूर्तये ॥१॥यह विश्व दर्पण में दिखाई देने वाली नगरी के समान है (अर्थात् अवास्तविक है),  स्वयं के भीतर है, मायावश आत्मा ही  बाहर प्रकट हुआ सा दिखता है  जैसे नींद में अपने अन्दर देखा गया स्वप्न बाहर उत्पन्न हुआ सा दिखाई देता है।जो आत्म-साक्षात्कार के समय यह ज्ञान देते हैं कि आत्मा एक (बिना दूसरे के) है उन श्रीगुरु रूपी, श्री दक्षिणामूर्ति को नमस्कार है ॥१॥This world is unreal like the image of a city in the mirror, it exists inside. Due to the power of Maya it looks as if it is manifested outside like in dream we see things outside ourselves. Salutations to Sri Shiva in the form of preceptor, who, at the time of self realization, makes one aware that Atma is without second (i.e. one).॥1॥   बीजस्यान्तरिवान्कुरो जगदिदं प्राङनिर्विकल्पं पुन- र्मायाकल्पितदेशकालकलना वैचित्र्यचित्री...

गुरु पूर्णिमा विशेष

गुरुदेव वे हैं, जो साधना बताते हैं, साधना करवाते हैं एवं आनंदकी अनुभूति प्रदान करते हैं । गुरुका ध्यान शिष्यके भौतिक सुखकी ओर नहीं, अपितु केवल उसकी आध्यात्मिक उन्नतिपर होता है । गुरु ही शिष्यको साधना करनेके लिए प्रेरित करते हैं, चरण दर चरण साधना करवाते हैं, साधनामें उत्पन्न होनेवाली बाधाओंको दूर करते हैं, साधनामें टिकाए रखते हैं एवं पूर्णत्वकी ओर ले जाते हैं । गुरुके संकल्पके बिना इतना बडा एवं कठिन शिवधनुष उठा पाना असंभव है । इसके विपरीत गुरुकी प्राप्ति हो जाए, तो यह कर पाना सुलभ हो जाता है । श्री गुरुगीतामें ‘गुरु’ संज्ञाकी उत्पत्तिका वर्णन इस प्रकार किया गया है, गुकारस्त्वन्धकारश्च रुकारस्तेज उच्यते । अज्ञानग्रासकं ब्रह्म गुरुरेव न संशयः ।। – श्री गुरुगीता अर्थ : ‘गु’ अर्थात अंधकार अथवा अज्ञान एवं ‘रु’ अर्थात तेज, प्रकाश अथवा ज्ञान । इस बातमें कोई संदेह नहीं कि गुरु ही ब्रह्म हैं जो अज्ञानके अंधकारको दूर करते हैं । इससे ज्ञात होगा कि साधकके जीवनमें गुरुका महत्त्व अनन्य है । इसलिए गुरुप्राप्ति ही साधकका प्रथम ध्येय है । गुरुप्राप्तिसे ही ईश्वरप्राप्ति होती है अथवा यूं कहें कि ...

नवग्रह चालीसा

*श्री नवग्रह चालीसा....*🌸💐👏🏼 *चौपाई :* 🌸 *श्री गणपति गुरुपद कमल,* *प्रेम सहित सिरनाय।* *नवग्रह चालीसा कहत,* *शारद होत सहाय।।* *जय जय रवि शशि सोम बुध,* *जय गुरु भृगु शनि राज।* *जयति राहु अरु केतु ग्रह,* *करहुं अनुग्रह आज।।* *श्री सूर्य स्तुति :* 🌸 प्रथमहि रवि कहं नावौं माथा, करहुं कृपा जनि जानि अनाथा। हे आदित्य दिवाकर भानू, मैं मति मन्द महा अज्ञानू। अब निज जन कहं हरहु कलेषा, दिनकर द्वादश रूप दिनेशा। नमो भास्कर सूर्य प्रभाकर, अर्क मित्र अघ मोघ क्षमाकर। *श्री चन्द्र स्तुति :* 🌸 शशि मयंक रजनीपति स्वामी, चन्द्र कलानिधि नमो नमामि। राकापति हिमांशु राकेशा, प्रणवत जन तन हरहुं कलेशा। सोम इन्दु विधु शान्ति सुधाकर, शीत रश्मि औषधि निशाकर। तुम्हीं शोभित सुन्दर भाल महेशा, शरण शरण जन हरहुं कलेशा। *श्री मंगल स्तुति :* 🌸 जय जय जय मंगल सुखदाता, लोहित भौमादिक विख्याता। अंगारक कुज रुज ऋणहारी, करहुं दया यही विनय हमारी। हे महिसुत छितिसुत सुखराशी, लोहितांग जय जन अघनाशी। अगम अमंगल अब हर लीजै, सकल मनोरथ पूरण कीजै। *श्री बुध स्तुति :* 🌸 जय शशि नन्दन बुध महाराज...